स्वास्थ्य संबन्धित मामलो में नियमो की अनदेखी कोई नई बात नहीं, समय समय पर निजी अस्पतालो की मनमानी और दादागिरी के कई किस्से सामने आते रहे है, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है वह अब तक सामने आए मामलो से भी अधिक चिंता जनक दिखाई पड़ता है।
मामला है अस्पतालो में मौजूद उपकरणो की ऑपरेटिंग के संबंध में तथा उपकरण एवं सयंत्र चलाने वाले कर्मचारियों की योग्यता तथा पात्रता के संबंध में। जोधपुर के बनाड क्षेत्र में स्थित सोना मेडीहब अस्पताल के बारे में कुछ ऐसी ही चोकाने वाली जानकारी, क्रांति भास्कर की टीम के हाथ लगी, जिसके बाद मिली जानकारी की सत्यता पर पड़ताल क्रांति भास्कर टीम द्वारा की गई। पड़ताल में पता चला की सोना अस्पताल खुले आम नियमों को धतता बता रहा है तथा जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बड़े चौकाने वाली बात है कि उक्त अस्पताल में मौजूद उपकरण ऐसे कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे है जिनके पास उपकरण चलाने हेतु ना कोई योग्य डिग्री है ना उपकरणो की पूरी जानकारी। अस्पताल प्रबंधन बीमार मरीज़ को जांच के लिए ऐसे कर्मचारियो को सोप रहा है जिनहे जांच की ए-बी-सी तक नहीं आती, उपकरण तथा सयंत्र चलाने वाले कर्मचारी की योग्यता के अभाव के चलते, यदि मरीज़ के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो उस अनहोनी का कारण अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही है यह भी उस मरीज़ को पता नहीं चल पाएगा क्यो की मरीज़ डाक्टर से डिग्री नहीं मांगता, वह तो इसी विश्वास के साथ चिकित्सालय पहुंचता है की उक्त चिकित्सालय को यदि प्रशासन ने चिकित्सालय चलाने की अनुमति दी है तो कुछ सोच समझकर ही दी होगी, अब सोना अस्पताल का यह मामला अस्पतालो को दी गई प्रशासनिक अनुमति प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करने का काम कर रही है।
जोधपुर के निजी अस्पतालो में मरीज़ो के लिए लगाए गए उपकरणो की ऑपरेटिंग में योग्यता और पात्रता की धांधनी का यह मामला, जहां एक तरफ मरीज़ो की जान से खिलवाड़ दिखाई देता है वही दूसरी और जोधपुर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
एक्स-रे करने वाले व्यक्ति से अवश्य करे यह सवाल
क्या आपका एक्स-रे करने वाले व्यक्ति के पास, एक्स-रे करने के संबंध में लिए गए तकनीकी प्रशिक्षण एवं योग्यता का सर्टिफिकेट है? यदि नहीं तो गलत एक्स-रे आने पर उसका भुगतान कोन करेगा?
वैसे मरीज़ो की जान से इस प्रकार का खिलवाड़ करने पर, अब ऐसे अस्पतालो पर सरकार को क्या कार्यवाही करनी चाहिए यह तो सरकार सवय ही तय करे, लेकिन जो मामला सामने आया है उसे देखकर लगता है की अस्पतालो में जांच के लिए जाते समय अधिकारियों को अपने साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी अतिरिक्त बल ले जाना पड़ेगा, क्यो की बताया जाता है स्वस्थ्य सेवा देने का दावा करने वाले अस्पताल प्रबंधन ने अपनी करतूतों पर पर्दा डालने तथा अपने अस्पताल को बे-नकाब होने से बचाने के लिए ऐसे कर्मियों को भी अस्पताल में रखा है जो प्रबंधन के इशारे पर गुंडई पर भी उतर आए, हालांकि मामला स्वास्थ्य एवं सेहत का है तो बेहतर यही होगा की प्रशासन इस एक मामले से सबक लेकर अब उन तमाम अस्पतालो पर निगरानी रखना शुरू कर दे जो इस प्रकार की अनियमितताओं एवं धांधली में शामिल है और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। शेष फिर।