दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा दमण को प्रदूषित करने वाली इकाइयों पर कितनी पेनी नज़रे रखी जा रही है यह तो आपको इस मामले को देखते ही समझ आ जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी कितने कर्मठ और ईमानदार है यह बताने की आवश्यकता हमे नहीं, जनता जानती है और जो नहीं जानते वह एक बार दमण गंगा देख ले, तो वह भी अवश्य जान ही जाएंगे।
प्रदूषण संबधित मामलो में क्रांति भास्कर ने सदेव दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारियों को आईना दिखाने का काम किया है, मामला चाहे पर्यावरण संबन्धित नियमों की अनदेखी का हो या बढ़ते प्रदूषण का, या फिर अयोग्य अधिकारी के नियुक्ति का, क्रांति भास्कर ने सदेव ही जनता तथा प्रशासन के सामने सच परोसा है और क्रांति भास्कर आगे भी अपनी यही मुहिम जारी रखेगी।
एक समय था जब क्रांति भास्कर को यह जानकारी मिली थी की दमण में शराब उत्पादन करने वाली खेमानी डिस्टलरी और रॉयल डिस्टलरी के पास, दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति का कनसंट ही नहीं है मामला यह था की पिछले लगभग 5 वर्षों से उक्त दोनों इकाइयो का कनसंट रिनयू नहीं हुआ था और वह बिना कनसंट रिनयू ही शराब का उत्पादन कर रही थी, तो क्रांति भास्कर ने उक्त मामले की सत्यता की पड़ताल कर, उक्त मामले में खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, आलम यह रहा कि दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रह गए और क्रांति भास्कर की खबर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति ने संज्ञान लेते हुए खेमानी डिस्टलरी और रॉयल डिस्टलरी की बिजली काट देने के आदेश दे दिए। उस वक्त दमण-दीव व दानह के प्रशासक आशीष कुन्द्रा थे और आज प्रशासक प्रफुल पटेल है।
पूर्व के इस मामले का हवाला इस लिए दिया जा रहा है क्यो की पूर्व की भांति ऐसा ही एक मामला क्रांति भास्कर के सामने आया है। मामला है दमण में खनन कर रही 21 कंपनियो का तथा क्वारी प्लांट का। सूत्रो का कहना है की खनन करने वाली तथा क्वारी प्लांट चलाने वाली कंपनियो के पास दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति का कनसंट नहीं है और बिना कनसंट ही तमाम खनन कंपनियाँ और क्वारी प्लांट मनमानी करते हुए खुलेआम नियमो की धज्जिया उड़ा रहे है।
इन खनन कंपनियो को पिछली बार कनसंट कब दिया गया यह जानने के लिए क्रांति भास्कर ने प्रदूषण नियंत्रण समिति को, सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन भी किया था, लेकिन लगता है की आर-टी-आई जैसे मामलो में, सभी विभागीय अधिकारियों ने इंगले के पद चिनन्हों पर चलने का मन बना लिया है, खेर, क्रांति भास्कर को आर-टी-आई का जवाब तो नहीं मिला, लेकिन इसके बाद भी क्रांति भास्कर ने अपनी ख़ोज-बीन जारी रखी और दमण-दीव व दानह प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष से इस मामले में सवाल किया कि क्या वह जानते है की दमण में प्रदूषण नियंत्रण समिति के कनसंट के बिना खनन और क्वारी प्लांट चल रहे है और पर्यावरण नियमो को धतता बता रहे है? इस सवाल के बदले में अध्यक्ष का जवाब मिला की जल्द कार्यवाही होगी।
अब आप इस जवाब से ही आप समझ जाइये की सत्यता क्या है, वैसे सवाल एक नहीं था क्रांति भास्कर द्वारा पर्यावरण संबन्धित अन्य मामलो में भी दर्जनो सवाल किए गए और यकीन मानिए सभी सवालो के जवाब ऐसे थे जैसे किसी ने पर्यावरण को बर्बाद करने का बीड़ा उठा लिया हो, सभी सवाल थे तो पर्यावरण से संबन्धित लेकिन खनन और क्वारी प्लांट से संबन्धित नहीं थे, इस लिए अन्य सवालो का पिटारा क्रांति भास्कर अन्य खबरों में आपके सामने रखेगी।
इस वक्त तो यही बेहतर होगा की पर्यावरण संबधित नियमों को तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष जल्द इस मामले में कार्यवाही करें। बाकी अगले अंको में।
दमण-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारियों की नाक के नीचे इस तरह पर्यावरण नियमों की अनदेखी चल रही है और प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है। क्या खेमानी और रॉयल डिस्टलरी की भांति इन सभी के प्रदूषण को रोकने के लिए भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति को आगे आना पड़ेगा या प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्यक्ष ईमानदारी दिखाते हुए मामले में संज्ञान लेंगे?