जोधपुर। पितृ पक्ष श्राद्ध का आरंभ 24 सितंबर से होगा। पंद्रह दिन तक चलने वाले इस पक्ष में लोग अपने पितरों की शांति के लिए श्रद्धानुसार दान दक्षिणा देकर ब्राह्मण भोज करते है।
हर वर्ष आश्विन माह के आरंभ से ही श्राद्ध आरंभ हो जाता है वैसे भाद्रपद माह की पूर्णिमा से ही श्राद्ध आरंभ हो जाता है। जिन पितरों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा है तो उनका श्राद्ध भी पूर्णिमा को ही मनाया जाता है। इसके बाद आश्विन माह की अमावस्या को श्राद्ध समाप्त हो जाते है और पितर अपने पितृलोक में लौट जाते है।
माना जाता है कि श्राद्ध का आरंभ होते ही पितर अपने-अपने हिस्से का ग्रास लेने के लिए पृथ्वी लोक पर आते है इसलिए जिस दिन उनकी तिथि होती है उससे एक दिन पहले संध्या समय में दरवाजे के दोनों ओर जल दिया जाता है जिसका अर्थ है कि आप अपने पितर को निमंत्रण दे रहे हैं और अगले दिन जब ब्राह्मण को उनके नाम का भोजन कराया जाता है तो उसका सूक्ष्म रुप पितरों तक भी पहुंचता है। बदले में पितर आशीर्वाद देते है और अंत में पितर लोक को लौट जाते है।
यदि किसी व्यक्ति को अपने पितरों की तिथि नहीं पता है तो वह अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकता है और अपनी सामथ्र्यानुसार एक या एक से अधिक ब्राह्मणों को भोजन करा सकता है। कई विद्वानों का यह भी मत है कि जिनकी अकाल मृत्यु हुई है या विष से अथवा दुर्घटना के कारण मृत्यु हुई है उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन करना चाहिए।
महालय अमावस्या :-पितृ पक्ष के सबसे आखिरी दिन को महालय अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते है क्योंकि इस दिन उन सभी मृत पूर्वजों का तर्पण करवाते हैं, जिनका किसी न किसी रूप में हमारे जीवन में योगदान रहा है। इस दिन उनके प्रति आभार पकट करते हैं और उनसे अपनी गलतियों की माफी मांगते है। इस दिन किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जा सकता है। खासतौर से वह लोग जो अपने मृत पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वह इस दिन तर्पण करा सकते है।
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मंगलवार, 18 सितंबर 2018
24 सितंबर से शुरू होगा पितृ पक्ष श्राद्ध
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