शनिवार, 15 सितंबर 2018

गलतियों के लिए मांगी क्षमा, कहा- मिच्छामि दुक्कड़म्

जोधपुर। पर्युषण पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को क्षमापना का संवत्सरी पर्व मनाया गया। इस दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगी गई और भगवान की भक्ति गई। इस दौरान जैन धार्मिक स्थलों और स्थानकों में कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

क्षमापना के संवत्सरी पर्व पर गुरुवार को जैन समाज के लोगों ने एक दूसरे व अन्य लोगों से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए मिच्छामि दुक्कड़म् कहकर क्षमा मांगी। पर्युषण पर्व के अंतिम दिन आज भी कई धार्मिक कार्यक्रम हुए। खैरादियों का बास स्थित श्री राजेंद्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुति पौषधशाला में बारासा सूत्र की अष्ट मंगलकारी पूजा, प्रभु आरती, बारह सौ श्लोक का वाचन साध्वी दर्शनकला द्वारा किया गया। इसी तरह श्री चिंतामणि पाश्र्वनाथ जैन मंदिर गुरों का तालाब में क्षमापना पर्व मनाया गया। सुबह नौ बजे बारासा सूत्र का वाचन किया गया।

इसके साथ ही खापटा आराधना भवन लखारा बाजार जैन उपाश्रय आदि स्थानों पर तप त्याग क्षमा का परिचायक क्षमापना पर्व मनाया गया। इस दौरान पन्यास प्रवर विरागरत्न विजय, प्रवचनकार देवर्षिरत्न विजय आदि साधु साध्वी के सान्निध्य में बारासा सूत्र का वाचन, लाभार्र्थियों परिवार द्वारा सूत्र का दर्शन, पांच ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकारी गुरु पूजन तथा दोपहर को क्रिया भवन में सांवत्सरिक प्रतिक्रमण किया गया। पन्यास प्रवर विरागरत्नविजय ने कहा कि क्षमा शांति का महामंत्र है। देवर्षि रत्न विजय ने अहिंसा संयम धर्म के तीन स्वरूप बताएं व कहा कि तप देव गुरु धर्म की कृपा से होता है।

शासन साध्वी कमलप्रभा ने पर्युषण महापर्व की आराधना करते कहा कि ध्यान जीवन का सार है। साध्वी ने माहावीर भगवान के भवों के बारे में बताया। साध्वी मंजुला ने कहा कि एकाग्रता के साथ ध्यान करने से हमें स्वर्ग की अनुभूति होती है। उन्होंने ध्यान के चारों प्रकार की महत्वता को बताई। साध्वी योगप्रभा व साध्वी स्मृद्धिप्रभा ने एक गीतिका से तपस्वियों की तप की अनुमोदना की। हनुमन्तराज मेहता, महिलामंडल की मंत्री मोनिका चोरडिय़ा ने भी तपस्वियों की तप की अनुमोदना की।



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