बुधवार, 19 सितंबर 2018

मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी विभाग को मिला एनएबीएल प्रमाण पत्र

जोधपुर। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग से जुड़े तीनों अस्पतालों मथुरादास माथुर, उम्मेद और महात्मा गांधी अस्पताल की पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं को एनएबीएल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित मानको आईएसओ 15189-2012 के अन्तर्गत प्रमाणिकता प्रदान की है। यह जानकारी आज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़, पैथोलॉजी विभाग के वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. आंनदराज कल्ला ने संवाददाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने बताया कि उक्त प्रमाणिकता प्राप्त करने के लिए पिछले दो वर्षों से विभाग एवं प्रयोगशाला के चिकित्सक और लेबोरेट्री स्टाफ सम्मलित रूप से प्रयासरत थे और उनके प्रयासों से राजस्थान मंस पहली बाहर मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों को यह गुणवत्ता प्रमाण पत्र दिया गया है जो 11 सितम्बर 2018 से 10 सितम्बर 2010 तक मान्य रहेगा। इस दौरान हर दस माह में एनएबीएल के प्रतिनिधि इसकी जांच और निरीक्षण करने के बाद आगे निरंतर बढ़ाते रहेंगे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के सभी राजकीय चिकित्सालयों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर का पैथोलॉजी विभाग एेसा पहला विभाग है जिसको एनएबीएल की प्रमाणिकता प्राप्त हुई है। इस प्रमाणिकता प्राप्त होने से अस्पताल में तैनात चिकित्सकों, इलाज के लिए आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को प्रयोगशाला जांचों की गुणवत्ता पर विश्वास बढेग़ा एवं लोग सरकारी अस्पताल की प्रयोगशाला सेवाओं का भरपूर लाभ ले पाएंगे।
एनएबीएल प्रमाणिकता प्राप्त करने के लिए प्रयोगशाला को विभिन्न परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता है जिसमें सफलता प्राप्त करके यह प्रमाण पत्र हासिल किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में पूर्व एवं वर्तमान प्रधानाचार्य एवं नियंत्रकों का भी भरपूर सहयोग रहा। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और नियंत्रक डॉ. एसएस राठौड़ ने बताया कि अन्य लेबों के लिए भी गुणवता प्रमाण पत्र प्राप्त की प्रक्रिया चल रही है और समय आने पर उनको भी यह प्रमाणपत्र मिल जाएगा।
उन्होंने बताया कि डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज से जुड़े महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीसी व्यास, उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई एवं ेएमडीएमएच के डॉ. एनके आसेरी का विशेष सहयोग रहा तथा विभागीय स्तर पर डॉ. किशोर खत्री, डॉ. ओमवीरसिंह चौहान, डॉ. तरूण शर्मा, डॉ. अर्पिता सिंघवी एवं डॉ. अपूर्वी दूबे ने भी काफी प्रयास इस मुकाम को पाने में किए।



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