बुधवार, 19 सितंबर 2018

राष्ट्र के नैतिक उत्थान के लिए अणुव्रत आज भी प्रासंगिक

जोधपुर। राष्ट्र के भौतिक विकास का होना एक अलग बात है लेकिन मूल विकास उस राष्ट्र के नैतिक उत्थान पर निर्भर करता है और वर्तमान संदर्भ में अणुव्रत एेसा सशक्त माध्यम है जिससे आमजन के माध्यम से भी सशक्त राष्ट्र निर्माण हो सकता है। ये कहना है कि प्रख्यात लेखक, विचारक ओर चिंतक प्रोफेसर सूर्यप्रसाद दीक्षित का। वे यहां जोधपुर में वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य एवं अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी विषयक परिसंवाद में अणुव्रत सत्याग्रही कानराज सालेचा के अभिनंदन ग्रंथ के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे।
जोधपुर के शब्द संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में अणुव्रत सिद्धान्तों के साथ मानवीय मूल्यों से जुड़े विविध पहुलओं पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम में मौलाना आजाद विश्वविद्यालय के कुलपति पदमश्री अख्तरुल वासे ने कहा कि चारित्रिक विकास, साम्प्रदायिक एकता, सांस्कृतिक समन्वय के साथ साथ जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए अणुव्रत वर्तमान में सबसे प्रासंगिक बताया। इस मौके पर अणुव्रती सत्याग्रही कानराज सालेचा के अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। शब्द संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक प्रो नंदलाल कल्ला ने इस मौके पर कानराज सालेचा के अणुव्रत संबधी किये कार्यों को पटल पर रखा। कल्ला ने परिसंवाद को संबोधित करते हुए वर्तमान परिस्थियों में राष्ट्र की समस्याओं के समाधान के लिए अणुव्रत आंदोलन को एक सकारात्मक कदम बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अणुव्रत महासमिति नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र कर्णावत ने कहा कि स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद राष्ट्र के नैतिक उत्थान, चारीत्रिक विकास और मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी ने 1949 में अणुव्रत आंदोलन का श्री गणेश किया। वे ये मानते थे कि व्यक्ति के अणु संकल्प ही उसे महान बनाते है जिससे कि समाज का निर्माण करता है। कार्यकम में समाजशास्त्री कैलाशनाथ व्यास, जैन विश्व भारती लाडनू के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी के साथ अणुव्रत विश्व भारती राजसमंद से विशेष रूप से आमंत्रित संचय जैन ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर कानराज सालेचा अभिनंदन ग्रंथ समिति के संपादक मंडल प्रोफेसर नंदलाल कल्ला, साध्वी प्राग्भा विराट, डॉ. रणजीत सिंह और डॉ. आरडी सागर को वर्ष 2018 के आचार्य तुलसी सम्मान से सम्मनित भी किया गया। कार्यक्रम संचालन डॉ. नरेंद्र मिश्र ने किया तथा डॉ. शैलेन्द्र स्वामी ने शब्द संस्कृति संस्थान की ओर से सभी का आभार व्यक्त किया।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें