संध प्रदेश दादरा नगर हवेली की प्रशासन द्वारा विकास कार्यों तथा विकास कार्यो को लेकर पढ़ाया गया ईमानदार का पाठ शायद सिलवासा नगर पालिका के अधिकारियों के पल्ले नहीं पड़ रहा है या फिर सिलवसा नगर पालिका के अधिकारियों को यह लगने लगा है की प्रशासक प्रफुल पटेल के नेतृत्व में काम करने वाले अधिकारियों पर सवाल खड़े करने की हिम्मत अब किसी में नहीं, शायद यही कारण है जिनके चलते दानह नगर पालिका के अधिकारी अपनी मनमानी कर, निविदाओं के संबंध में गठित नियमों की अनदेखी कर रहे है।
सिलवासा नगर पालिका द्वारा लगभग 120 होल्डिंग के स्पेस हेतु एक निविदा अगस्त माह में जारी की गई उक्त निविदा में बताया गया की उक्त ठेका जिस किसी कंपनी को मिलेगा केवल वही सिलवसा नगर पालिका क्षेत्र में होल्डिंग लगा पाएगा, इतना ही नहीं उक्त निविदा में ऐसी कई शेर्ते देखने को मिली जिसे देखकर लगता है की सिलवसा नगर पालिका को पहले से पता हो की उक्त ठेका किसे मिलेगा और उसे कितना फाइदा पहुंचाना है! सबसे पहली शर्त तो यह रखी गई की निविदा में भाग लेने वाले का टर्नओवर 50 लाख से अधिक होना चाहिए। इसके बाद यह बताया गया की 120 होल्डिंग मे से केवल 40 होल्डिंग का किराया ही ठेका प्राप्त करने वाली कंपनी को देना पड़ेगा, बाकी के 80 होल्डिंग का किराया तब तक नहीं देना होगा जब तक उक्त होल्डिंग ठेका लेने वाली कंपनी आगे किसी और को किराए पर नहीं दे देती, इस शर्त को देखते हुए लगता है की सिलवसा नगर पालिका के अधिकारियों ने इस निविदा के जरिए बड़ा भ्रष्टाचार करने की योजना बनाई है, इतना ही नहीं निविदा में कोई अनुमानित रकम का आंकड़ा भी नहीं देखने को मिला। वैसे इस निविदा के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए जब डीएनच टेण्डर वेबसाइट पर देखा तो पता चला की सिलवसा नगर पालिका डीएनच टेण्डर वेबसाइट पर निविदाओं के रिजल्ट उपलोड ही नहीं करती, जिससे पता ही नहीं चलता की कोनसी निविदा किसको मिली है, डीएनच टेण्डर वेबसाइट पर जानकारी नहीं मिलने पर सिलवसा नगर पालिका के कार्यालय में फोन किया गया तो फोन पर जिससे बात हुई उसने सिलवसा नगर पालिका के मुख्य अधिकारी तथा कार्यपालक अभियंता संपर्क नम्बर बताने से ही मना कर दिया, इसके बाद पता चला की कार्यपालक अभियंता तो वही है जिन पर पहले से सिविसी की जांच चल रही है, यह सब देखकर यह विश्वास करना तो मुश्किल है की इस निविदा के अलावे अन्य निविदाओं में भी गड़बड़िया नहीं हुई होगी!
वैसे बाजार में लगभग एक होल्डिंग का किराया प्रतिमाह 3000 रुपये से लेकर 6000 रुपये प्रतिमाह तक बताया जाता है, यदि 120 होल्डिंग के न्यूनतम किराए का हिसाब प्रतिमाह 3000 रुपये से भी लगाया जाए तो वार्षिक किराया ही 40 लाख के पार होता है और यह तो पांच सालो की मोनोपोली का मामला है।
इससे पहले भी बस स्टॉप तथा इलेक्टिक पोल के होल्डिंग की निविदाए जारी की जा चुकी है तो क्या उनमे भी यही शर्ते थी की जब तक ठेका लेने वाली कंपनी को होल्डिंग का किराएदार नहीं मिलता तब तक होल्डिंग का किराया सरकार नहीं लेगी? यदि पूर्व में जारी निविदाओं में इस प्रकार की शर्ते नहीं थी तो अब इस प्रकार की शर्ते इजात करने की तकनीक सिलवसा नगर पालिका ने अधिकारियों ने कहा से हासिल की इस मामले की जांच दादरा नगर हवेली के ईमानदार समाहर्ता को करनी चाहिए क्यो की ईमानदारी के चर्चे से कोई ईमानदार नहीं बनता कभी कभी अपनी ईमानदारी भी साबित करनी पड़ती है! शेष फिर।
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