गुरुवार, 28 नवंबर 2019

दमण में खेती कि जमीन पर, शराब का लाइसेन्स, फूड लाइसेन्स और जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे जारी हुआ?

दमण में खेती कि जमीन पर, शराब का लाइसेन्स, फूड लाइसेन्स और जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे जारी हुआ?

दमण। संघ प्रदेश दमण आबकारी विभाग के अधिकारियों कि कार्यप्रणाली देखकर लगता है उक्त प्रदेश में शराब कारोबारियों कि चांदी होती रही है और जब तक प्रशासन, कुम्भकर्णी निंद्रा में मग्न आबकारी अधिकारियों कि विभाग से पूरी तरह छुट्टी नहीं करती, तब तक अनियमितताओं में कमी कि कामना बेमानी है।

खेर इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत में कही भी ऐसा कोई राज्य है, जहां आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी को (ऐग्रीकल्चर) खेती कि जमीन पर बार एंड रेस्टोरेन्ट का लाइसेन्स जारी किया हो? क्या किसी ने किसी राज्य में अब तक खेती कि जमीन पर, बार एंड रेस्टोरेन्ट को देखा है? तो इन दोनों सवालों का जवाब होगा नहीं। क्यो कि यह तो नामुमकिन है कि कोई खेती कि जमीन पर शराब के कारोबार का व्यवसाय करें, और वह भी विभाग कि स्वीकृति लेकर। लेकिन यह सब दमण में मुमकिन हो चुका है।

दमण में खेती कि जमीन पर एक नहीं बल्कि 3 बार एंड रेस्टोरेन्ट का मामला सामने आया है। जिसमे से पहला है न्यू चीयर्स बार एंड रेस्टोरेन्ट, दूसरा है आमंत्रण बार एंड रेस्टोरेन्ट और तीसरा है अतिथि बार एंड रेस्टोरेन्ट। अब इन तीनों के अलावे दमण में और कितने बार एंड रेस्टोरेन्ट खेती कि जमीन पर चल रहे है यह तो आबकारी आयुक्त को पता करना चाहिए। वैसे खेती कि जमीन पर चल रहे उक्त तीनों बार एंड रेस्टोरेन्ट को लेकर, क्रांति भास्कर ने दिनांक 18-11-2019 को एक प्रमुखता से खबर प्रकाशित कि थी। लेकिन उक्त खबर के बाद जहां एक तरफ जनता अब आबकारी विभाग से तरह तरह के सवाल कर रही है वही दूसरी तरफ आबकारी अधिकारियों अभी भी ऐसे हाथ पर हाथ धरे मुद्रा से बैठे है जैसे कि वह किसी कुम्भकर्णी निंद्रा में मग्न हो। अब आबकारी विभाग के अधिकारियों कि निंद्रा कब खुलेगी? यह सवाल भी फन उठाए है? क्यो कि उक्त तीनों बार एंड रेस्टोरेन्ट पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं देखने को मिली।

  • आबकारी विभाग के अधिकारियों ने कितनी रिश्वत लेकर, खेती कि जमीन पर बार एंड रेस्टोरेन्ट का लाइसेन्स जारी किया?
  • किस अधिकारी द्वारा उक्त तीनों बार एंड रेस्टोरेन्ट के लाइसेस जारी किए?

अब कार्यवाही क्यो नहीं हुई यह सवाल तो जनता कर ही रही है साथ ही साथ जनता यह भी जानना चाहती है यह नामुमकिन कैसे मुमकिन हुआ? आबकारी विभाग के अधिकारियों ने कितनी रिश्वत लेकर, इस नामुमकिन को मुमकिन किया? और किस अधिकारी द्वारा उक्त तीनों बार एंड रेस्टोरेन्ट के लाइसेस जारी हुई? इन तीनों सवालों का जवाब तो जांच के बाद ही मिल सकता है लेकिन जांच कब होगी और होगी भी या नहीं यह? इस सवाल का जवाब तो आबकारी आयुक्त को स्वय देना चाहिए। क्यो कि वही इस विभाग के मुख्या है।

  • खेती कि जमीन पर फूड लाइसेन्स कैसे जारी हुआ, जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ?

वैसे बताया जता है कि बार एंड रेस्टोरेन्ट के लाइसेन्स जारी करने कि एक लम्बी प्रक्रिया होती है। जिसमे लाइसेन्स के लिए आवेदन करने वाले से आबकारी विभाग के अधिकारी आवेदन के साथ साथ कई दस्तावेज़ और जनकारियाँ मांगते है। उसके बाद लाइसेन्स जारी करने के पहले आबकारी विभाग के अधिकारी उस स्थल का निरक्षण भी करते है जहां वह लाइसेन्स जारी करने वाले है। उस जमीन पर पार्किंग के लिए जगह है या नहीं, जमीन एन-ए है या नहीं, एसी कई बातों का ध्यान रखा जाता है और उसके बाद बार एंड रेस्टोरेन्ट का लाइसेन्स जारी किया जाता है। लेकिन उक्त तीनों बार एंड रेस्टोरेन्ट के लाइसेन्स खेती कि जमीन पर देख कर लगता है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने उक्त मामले में काफी बड़ा भ्रष्टाचार किया है, अन्यथा छोटी से छोटी कमी का हवाला देकर लाइसेन्स ना देने वाले अधिकारी भला खेती कि जमीन में बिना रिश्वत लिए लाइसेन्स जारी कर दे दे यह बात जनता के लिए हज़म करनी मुश्किल है।

खेर जो हो चुका है उसे आबकारी विभाग के अधिकारी तो बदल नहीं सकते, लेकिन अब मामले में नियमानुसार कार्यवाही कर, यह अवश्य साबित कर सकते है कि यह सब कुछ अंजाने में हुआ और विभाग के किसी अधिकारी ने इस मामले में कोई रिश्वत नहीं ली। और यदि आबकारी विभाग के अधिकारी ऐसा नहीं करते तो उन्हे गिनीज़ बुक में अपने नाम दर्ज करवाने से कोई नहीं रोक सकता, क्यो कि मामला दूध बेचने का नहीं है मामला शराब बेचने का है।



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निर्माणाधीन इमारत के निर्माण में लाइट चोरी कि कीमत एक फ्लेट?

निर्माणाधीन इमारत के निर्माण में लाइट चोरी कि कीमत एक फ्लेट?

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव का विधुत विभाग, भवन तथा इमारत के निर्माण के समय बिल्डर को एक अस्थायी बिजली कनेक्शन जारी करता है। इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद, इमारत में बने फ्लेट, दुकान का ख़रीदार अपने नाम का अलग अलग विधुत कनेकसन लेता है और प्रत्येक कनेकसन का एक अलग मीटर लगाया जाता है, जिसके बाद इमारत के सभी फ्लेट अथवा दुकान का अलग अलग बिजली बिल आता है, बिल में मीटर चार्ज, न्यूनतम शुल्क, विधुत शुल्क के बारे में तो लगभग सभी जानते है, लेकिन यदि 100 कनेकसन कि जगह तथा 100 मीटर कि जगह एक ही मीटर हो तो क्या होगा? यह सवाल इस लिए क्यो कि दमण में ऐसी कई इमरते है जिनके निर्माण के समय लिया गया अस्थायी बिजली कनेक्शन, इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद भी जारी है। इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद भी अस्थायी बिजली कनेक्शन नहीं काटा गया। बल्कि इमारत के निर्माण के समय बिल्डर द्वारा विधुत विभाग से लिए गए अस्थायी बिजली कनेक्शन से, बिल्डर ने स्वय अपना ही विधुत विभाग खोल दिया है, बिल्डर ने अस्थायी बिजली कनेक्शन से उन सभी फ्लेट और दुकानों में बिजली सप्लाई के लिए तार जोड़ दिए जिसकी स्वीकृति शायद बिल्डर के पास नहीं है। बिल्डर एक ही बिजली कनेक्शन से सभी फ्लेट में बिजली कि सप्लाई कर विधुत विभाग के नियमों का उलंधन कर रहा है या नहीं यह तो विधुत विभाग के अभियन्ताओं को पता होगा ही।

कई बिल्डरों ने खोल रखा है अपना खुदका विधुत विभाग।

वैसे इस पूरे मामले के इतर सवाल यह भी है कि अस्थायी बिजली कनेक्शन कब लिया गया? अस्थायी बिजली कनेक्शन जारी करने के बाद उसका प्रतिमाह कितना बिल आया? और कितना बिल आना चाहिए था? यह सवाल इस लिए क्यो कि दमण में बिजली चोरी के कई किस्सों में से एक किस्सा अस्थायी बिजली कनेक्शन का भी है। पूर्व में जनता में ऐसी चर्चा होती रही है कि विधुत विभाग के अभियंता बिल्डरों को इमारत के निर्माण के लिए सीधे थम्बे से लाइन जोड़कर दे दिया करते थे या मीटर देरी से लगते थे और उसके बदले इमारत में अपने अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर फ्लेट बुक कर लेते थे, वैसे पूर्व में लाइट चोरी के लिए मीटर बदलना और मीटर जला देना भी एक चर्चा का विषय रहा है। अब पूर्व कि भांति यह आलम अब भी तो जारी नहीं है? इसका पता लगाने के लिए तो दमण-दीव प्रशासक को दो प्रकार कि अलग अलग जांच करवानी होगी, पहली जांच में यह पता लगाना होगा कि किस बिल्डिंग के निर्माण में कितनी बिजली खपत हुई और जितना बिल आया क्या वह सही है? दूसरी जांच आयकर विभाग से करवानी होगी कि किस अभियंता तथा अभियंता के परिवार के सदस्य के नाम पर दमण में कितनी संपत्ति, फ्लेट, दुकाने है? यदि उक्त दोनों मामलों में ईमानदारी से जांच अधिकारियों ने जांच कि तो अवश्य ही चौकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते है।

क्या समाहर्ता संदीप कुमार ने यह कहा था कि सभी अवैध इमारतों के मालिक को बिजली-पानी काटने की धम्की देकर बुलाओ, उनसे अच्छे खासे धन की उगाही करनी है? | Kranti Bhaskar image 2
Daman Bildaer

कुछ समय पहले कई इमारतों के बिजली और पानी कनेकसन काटने के लिए कहा था दमण के तत्कालीन समाहर्ता ने आज तक नहीं कनेकसन नहीं कटे, गरीबों के झोपड़े पर बुलडोजर चलाने के लिए कहा होता तो कब का चल गया होगा!

वैसे मामला यह नहीं है कि पूर्व में क्या हुआ था। मामला तो यह है कि इस वक्त अस्थायी बिजली कनेक्शन से सभी फ्लेट में बिल्डर अपनी मनमर्जी से कैसे कनेकसन बाँट रहा है? और विभाग के अभियंता सबकुछ जानते हुए भी मामले में कार्यवाही क्यो नहीं कर रहे है? मीटर यदि अलग नहीं है तो विभाग को कितना नुकसान हो रहा है और कितना नुकसान हो चुका है? क्या इसका हिसाब किसी अभियंता ने लगाया? या फिर टेरीफ़ चार्ज का हवाला देते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया? प्रशासक प्रफुल पटेल को चाहिए कि इस मामले में स्वय संज्ञान ले और नियम तोड़ने वाले अभियंता तथा बिल्डर दोनों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही करें ताकि पुनः इस प्रकार कि अनियमितताओं के चलते प्रशासन कि छवि धूमिल ना हो।

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लोकसभा में पास हुआ दोनों संघ प्रदेशों के विलय का बिल, दोनों सांसदों ने कई मुद्दो पर कि बात।

लोकसभा में पास हुआ दोनों संघ प्रदेशों के विलय का बिल, दोनों सांसदों ने कई मुद्दो पर कि बात।

दमण। बुधवार को दानह और दमण दीव के विलय का बिल लोकसभा में पारित हो गया। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा जहां पास होने बाद इस प्रदेश का नाम दादरा नगर हवेली एवं दमण दीव हो जाएगा और दो की जगह एक ही संघ प्रदेश होगा। इस बिल के समर्थन में दमण दीव और दानह के सांसदों ने बोला।

वहीं इस बिल पर बोलते हुए लालू पटेल ने कहा कि दोनों प्रदेशों के एक होने से रुपए की बचत होगी। उन्होंने मांग अनुरोध किया कि ग्रुप बी और ग्रुप सी के कर्मचारियों को उनके ही संघ प्रदेश में रहने दिया जाए, मतलब कि उनका तबादला ना हो। इस प्रदेश के हंगामी कर्मचारीयो को नियमित करने, प्रदेश के शिक्षित युवकों को इसी प्रदेश में नौकरी देने की मांग भी उठाई। उन्होंने दोनों जगहों पर संसदीय सीट बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के प्रति धन्यवाद भी दिया।

उन्होने कहा कि दोनो प्रदेशो में दो सांसदो का प्रावधान किया है उसके लिए सरकार को और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ध्यवाद किया। सांसद लालूभाई पटेल ने दमण में सरपंचों के अधिकार बहाल करने, एफएसआई और मिनी असेम्बली की मांग भी रखी। वही लालूभाई पटेल ने सरपंच के अधिकार, पंचायत और नगर निगम क्षेत्र में एक जैसी एफ-एस-आए तथा सी-आर-जैसे मुद्दे पर भी आवाज उठाई।

इस बिल के समर्थन में संसद में बोलते हुए दादरा नगर हवेली के सांसद मोहनभाई डेलकर ने कहा कि दोनों प्रदेशों के हित में लाए गए इस बिल का समर्थन करते हैं। उन्होने कहा कि वह गृहमंत्री का भी धन्यवाद करना चाहाते है जिन्होंने दोनो प्रदेशो के लोगो को एक छत के निचे लाकर एक बना दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मुक्ति के बाद से भारत सरकार ने आदिवासियो को आरक्षण देने का काम किया था। लोकसभा की सीट भी आरक्षित सीट है। उन्होंने कहा कि दोनो प्रदेशो की मांग पांडिचेरी की तर्ज पर विधानसभा के गठन की है। वर्ष 2014 में  गृहमंत्राल की स्टेडिग कमेटी बनी थी और प्रदेश का दौरा किया था। जिसने बाद में राज्यसभा में मिनी असेम्बली की बात कही थी। कुल मिलकर यह कह सकते है कि दोनों प्रदेशों के सांसद, अलग अलग अन्य मांगों के साथ बिल के पक्ष में रहे।



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बुधवार, 27 नवंबर 2019

‘नशीली दवाओं के दुरूपयोग की रोकथाम’ पर कार्यशाला का आयोजन, दोनों मुख्य अतिथि आबकारी विभाग से।

‘नशीली दवाओं के दुरूपयोग की रोकथाम’ पर कार्यशाला का आयोजन, दोनों मुख्य अतिथि आबकारी विभाग से।

दमण। राष्ट्रीय समाज सुरक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से  राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी  दमण एवं दीव द्वारा तथा समाज कल्याण सचिव  के मार्गदर्शन में 27 से 28 नवम्बर को आदिवासी भवन मोटी दमण में पूर्वाह्न 09.30 बजे से अपराह्न 06.00 बजे तक नशीली दवाओं के दुरूपयोग की रोकथाम विषय पर दो-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में दमण जिला के समाहर्ता एवं सचिव (समाज कल्याण) तथा (आबकारी विभाग के आयुक्त) डॉ. राकेश मिन्हास, उप समाहर्ता (आबकारी विभाग कि उप-आयुक्त) श्रीमती चार्मी पारेख, राज्य कार्यक्रम अधिकारी   संजीव पंड्या, रिसोर्स पर्सन के रूप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, अहमदाबाद से पधारे अधीक्षक  हरिश कुमार तथा दमण जिला के विविध कार्यालयों जैसे कि पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, आबकारी विभाग,नहेरू युवा केन्द्र, आईसीडीएस, महिला शक्ति केंद्र, चाइल्ड लाइन कार्यालय एवं बाल कल्याण समिति तथा किशोर न्याय बोर्ड, दमण एवं दीव के अधिकारी व कर्मचारी गण उपस्थित रहे।

कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए समाहर्ता डॉ. राकेश मिन्हास ने कहा कि दमण एक उभरता हुआ पर्यटक स्थल है। वैसे तो यहां   ड्रग्स एब्यूस की समस्या काफी कम है, फिर भी आने वाले समय में ऐसी किसी गंभीर स्थिति का सामना न करना पड़े, इसके लिए हमें जागरूक रहना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे ड्रग्स का सेवन सामान्यत: 30 वर्ष तक के नौजवान करते पाए जाते हैं, ये नौजवान ही हमारे भविष्य की नींव हैं, अत: इनको हर कुवृत्ति से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।  उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस बिन्दु पर भी ध्यान देना होगा कि जो व्यक्ति ऐसे नशीले पदार्थों के चंगुल में आ गया है, उसे किस तरह से ठीक कर समाज की मुख्य धारा में जोड़ा जाए।

कार्यशाला में उपस्थित, (आबकारी विभाग कि उप-आयुक्त) उप समाहर्ता श्रीमती चार्मी पारेख ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नशीली दवाओं का सेवन समाज में एक गंभीर बीमारी की तरह फैलता जा रहा है। यह हमारे समाज का एक कलंक है। समाज कल्याण विभाग के साथ-साथ प्रशासन के सभी विभाग एकजुट होकर इस व्यसन से लड़ने में अपना योगदान दें। हम सभी मिलकर यह प्रयास करें कि हमारा संघ प्रदेश ड्रग्स व्यसन से मुक्त प्रदेश बनकर देश में एक आदर्श उपस्थित करे। कार्यशाला में नशीली दवाओं के दुरूपयोग पर नियंत्रण लाने हेतु बाल संरक्षण सेवा से जुड़े विविध विभागो के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने पर भी विचार-मंथन किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाल संरक्षण समिती के कार्यक्रम अधिकारी श्री संजीवकुमार पंड्या एवं उनकी टीम का सहयोग रहा|

बड़े ताज्जुब कि बात है कि उक्त कार्यक्रम में नशीली दवाओं के दुरुपयोग कि बात करने वाले दोनों मुख्य अधिकारियों के पास आबकारी विभाग का प्रभार है और जहां तक नशीले पदार्थों कि बात है तो नशीले पदार्थो में शराब एक मुख्य नशीला पदार्थ है जो कि दमण में आसानी से उपलब्ध है, हालांकि शराब कि दमण में अवैध नहीं है, लेकिन ऐसे कई शराब व्यापारी है जो दमण में शराब के नशीले कारोबार को अवैध तरीके से कर रहे है जिनके पास ना आबकारी विभाग कि स्वीकृति है ना ही आबकारी विभाग द्वारा जारी किया कोई लाइसेन्स, कुछ लाइसेन्स तो ऐसे है जो दमण में खेती कि जमीन पर जारी कर दिए गए अब समझ में नहीं आता कि खेती कि जमीन पर बार एंड रेस्टोरेन्ट के लाइसेन्स जारी करने वाले अधिकारियों के बारें में क्या कहे? खेर उक्त कार्यक्रम में नशीले पदार्थों के बारे में जो आबकारी अधिकारियों द्वारा जो सजगता दिखाई गई है वह अवश्य सराहनीय है। लेकिन दमण में बिना लाइसेन्स चल रहे बार एंड रेस्टोरेन्ट और खेती कि जमीन पर चल रहे बार एंड रेस्टोरेन्ट आबकारी विभाग कि किरकिरी का कारण बनी हुई है।



source https://krantibhaskar.com/workshop-on-prevention-of-drug-abuse-both-from-the-chief-guest-excise-department/

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

स्वामी नारायण मंदिर में चल रही थी नकली नोटों की छपाई, पुजारी सहित पांच गिरफ्तार।

स्वामी नारायण मंदिर में चल रही थी नकली नोटों की छपाई, पुजारी सहित पांच गिरफ्तार।

गुजरात। गुजरात पुलिस ने अपनी कारवाई के दौरान करीब 1 करोड़ रुपये कीमत वाले 2000 हजार के नकली नोट पकड़े हैं। यह कारवाई पुलिस ने रविवार को की। सूरत क्राइम ब्रांच ने मंदिर परिसर पर छापे मारकर 5 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें मंदिर का एक पुजारी भी शामिल है।

पुलिस ने एक मुखबिर की सूचना पर यह छापेमारी की है जिसमें 2 हजार के 5013 नकली नोट जब्त किये गए इन नोटों की कीमत करीब एक करोड़ 26 हजार रुपये बताई जाती है। क्राइम ब्रांच की टीम ने एक साधु समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी अलग-अलग जगहों पर नकली नोट को छापने का काम कर रहे थे।

खेड़ा जिले के आम्बाव गांव में स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण कार्य 4 साल से चल रहा है। इस मंदिर के एक कमरे से 50 लाख रुपये के नकली 2 हजार के नोट बरामद किये गए। पुलिस ने मंदिर के पुजारी राधा रमन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक, मंदिर में दिन के समय लोगों का आना-जाना होने के कारण रात के समय यहां नोटों की छपाई का काम होता था।

क्राइम ब्रांच की टीम ने मिली सूचना के आधार पर सूरत में कामरेज स्थित एक फॉर्म हाउस पर भी छापा मारा, इस जगह से प्रतीक चोडवाडिया को 2000 रुपये के नकली 203 नोट के साथ गिरफ्तार किया, जब प्रतीक से पुछताछ की गई तो उसने पुजारी के अलवा 3 अन्य लोगों के नाम बताये, प्रवीण चोपड़ा, कालू चोपड़ा और मोहन वधूराडे।

इससे पहले भी देश भर में अलग अलग जगह कई बार नकली नोटो की छपाई के मामले सामने आते रहे है लेकिन यह मामला काफी चौकाने वाला है क्योकि यह छपाई मंदिर निर्माण की आड़ में हो रही थी। सरकार के लिए वैसे भी नकली नोट एक बड़ी परेशानी का कारण रहे है और ऐसे में जब कि बाजार में मंदी छाई है तब के समय में नकली नोटो कि छपाई और कमर तोड़ने का काम कर रही है।



source https://krantibhaskar.com/printing-of-fake-notes-was-going-on-in-swami-narayan-temple-five-arrested/

स्वास्थ्य राज्य मंत्री द्वारा स्वास्थ्य जांच अभियान का शुभारंभ, 4,73,460 बच्चों की होगी स्वास्थ्य जांच।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री द्वारा स्वास्थ्य जांच अभियान का शुभारंभ, 4,73,460 बच्चों की होगी स्वास्थ्य जांच।

वापी। शाला आरोग्य जांच तंदुरुस्त भारत निर्माण के लिए जन आंदोलन है। यह उद्गार धरमपुर तालुका के भेंसधरा में आयोजित शाला आरोग्य राष्ट्रीय ाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों की डॉक्टरी जांच अभियान का शुभारंभ करते हुए जिला प्रभारी तथा आरोग्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री किशोर कानाणी ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर मंत्री किशोर कानाणी ने बताया कि शाला आरोग्य जांच राज्य सरकारी की संवेदनशीलता का उदाहरण है। स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए राज्य सरकार को कटिबद्ध बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार घर पर स्वास्थ्य जांच कर नि:शुल्क उपचार की सेवा देती है। मां वात्सल्य कार्ड और आयुष्यमान भारत कार्ड द्वारा गरीबों को नया जीवन मिला है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधीजी के स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने का अभियान शुरू किया है। सबको साथ मिलकर नए भारत के निर्माण में सहभागी होने का उन्होंने आह्वान किया। इस अवसर पर जिला पंचायत प्रमुख मणिलाल पटेल, विधायक कनु देसाई, भरत पटेल, अरविन्द पटेल ने प्रासंगिक प्रवचन में राज्य सरकार की आरोग्य सेवाओं की सराहना कर जरुरतमंदों को इसका लाभ लेने की सलाह दी। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के लाभार्थियों का सम्मान किया गया। आयुष्यमान कार्ड का वितरण भी किया गया। किडनी के गंभीर रोगों का इलाज करवा चुके लाभार्थियों ने आरोग्यमंत्री से मिलकर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मंत्री ने 87.96 लाख के खर्च से बनकर तैयार भेंसधरा प्राथमिक आरोग्य केन्द्र का लोकार्पण भी किया। मुख्य जिला आरोग्य अधिकारी डॉ अनिल पटेल ने स्वागत प्रवचन में जिला में उपलब्ध आरोग्य सेवाओं की जानकारी दी।



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सोमवार, 25 नवंबर 2019

स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, IAS अधिकारी रवि जैन का वीडियो वायरल!

स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, IAS अधिकारी रवि जैन का वीडियो वायरल!

IAS अधिकारी रवि जैन, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, झुंझुनू को दृढ़ता से लगता है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम (आरकेएसके) को झुंझुनू में लागू करना चाहिए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरों की मदद करना है। यह कार्यक्रम राजस्थान के 10 जिलों में लागू किया गया है झुंझुनू में किशोरों की आबादी यहाँ कि कुल आबादी का 23% है, जो लगभग 5 लाख है और यह इस मुद्दे को अत्यधिक प्रासंगिक बनाता है। किशोर से जुड़े मुद्दों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, श्री जैन कहते हैं कि स्कूलों में फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को किशोरों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, विशेष रूप से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में, लगातार उन्हें मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार होने से बचने के लिए अग्रसर किया जाता है।

जैन कहते हैं, “किशोरावस्था संक्रमण का काल है।उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ, प्रत्येक किशोर एक स्वस्थ व्यक्ति के रूप में विकसित हो सकता है और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे सकता है”।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम ७ जनवरी २०१४ को शुरू किया गया था | इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोर भागीदारी, नेतृत्व, निष्पछ्ता और समावेश है | यह कार्यक्रम भारत के सभी किशोरों को सरकार से हर तरह की सहायता और सेवा  दिलाने और उनको जिम्मेदारीपूर्ण और जानकारीपूर्ण निर्णय लेने में मदद करते हुए उनको उनकी पूरी क्षमता का अहसास दिलाने का उद्देश्य रखता है |



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वलसाड का यह दवा एसोसिएशन तो निकला फर्जी!

वलसाड का यह दवा एसोसिएशन तो निकला फर्जी!

वापी। वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन द्वारा दिनांक 10-11-2019 को एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी गई कि वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन दिनांक 24-11-2019 एक सामान्य सभा का आयोजन करने जा रही है तथा उक्त सामान्य सभा में सभी सदस्यों को उपस्थित रहने के लिए आग्रह भी किया गया। वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन के पत्र पर अध्यक्ष कोशिक मकड़िया, उपाध्यक्ष राजेश भावसार, सचिव आश्विन अमीन, खजांची हितेश कलारिया, सयुक्त सचिव निमेष कोठारी तथा ओर्ग्नैजिंग सचिव गोरांग देसाई का नाम अंकित है।

अब उक्त एसोसिएशन का पत्र सामने सामने आने के बाद, वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन को लेकर काफी चोकाने वाली जानकारियाँ मिली है। जानकारी देने वाले ने नाम ना बताने कि शर्त पर बताया कि वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन एक अवैध एसोसिएशन है मतलब कि उक्त एसोसिएशन रजिस्टर नहीं है वैसे जो पत्र वलसाड विभाग केमिस्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किया गया उसमे भी एसोसिएशन के रजिस्ट्रेशन के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। उक्त एसोसिएशन के बारे में यह भी बताया जाता है कि उक्त एसोसिएशन किसी से 500 तो किसी से 5000 रुपये सदस्यता के नाम पर वसूलती रही है और उन रुपयों का क्या होता है इसकी जानकारी सदस्यता के नाम पर रुपये देने वाले को नहीं दी जाती।

अब इस प्रकार कि जानकारी सामने आने के बाद वलसाड जिला प्रशासन को चाहिए कि उक्त मामले में बारीकी से जांच करें और मामले में नियमानुसार कार्यवाही करें। क्यो कि मामला किसी कचड़ा एसोसिएशन का नहीं है और यदि मामला किसी कचड़ा एसोसिएशन का होता तो भी नियमों को ताख पर नहीं रखा जा सकता और यह तो दवा एसोसिएशन की बात है।

इस पूरे मामले में एसोसिएशन कि मीटिंग के बाद जो फ़ोटो सोशल मीडिया में वायरल हुए उस पर वलसाड के एक जागरूक नागरिक ने मीटिंग के फ़ोटो को ट्वीट करते हुए मामले में गुजरात के मुख्य मंत्री से जांच और कार्यवाही कि गुहार लगाई है।

प्रशासन को सोचना चाहिए कि यदि चंद लोग मिलकर औषद्धि जैसे व्यवसाय के भी फर्जी एसोसिएशन बनाने लग गए तो उनके द्वारा बेचे जाने वाली दवाओं पर भी शंका उठनी लाज़मी है। सोचने वाली बात भी है कि जब नियमों को धतता बताकर, एक अवैध और अनरजिस्टर ( फर्जी) एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीवनी मेडिकल स्टोर, सचिव गायत्री डिस्ट्रीब्यूटर, उपाध्यक्ष भावसर मेडिकल स्टोर जैसी कंपनियाँ चला रहे है तो क्या उक्त सभी फर्जी पदाधिकारी मेडिकल स्टोर और कंपनियाँ नियमों कि अनदेखी नहीं करती होंगे? वलसाड औषद्धि विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह उक्त एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों कि कंपनियों कि बारीकी से जांच करें, ताकि पता चल सके कि नियमों कि अनदेखी एसोसिएशन तक ही सीमित है या उक्त फर्जी पदाधिकारियों ने नियमों कि अनदेखी के तार मरीजों को दी जाने वाली दवाओं से भी जोड़ दिए है।



source https://krantibhaskar.com/this-drug-association-of-valsad-was-fake/

दमण के कई क्षेत्रों में लाइट चोरी करने और करवाने का खेल जारी…

दमण के कई क्षेत्रों में लाइट चोरी करने और करवाने का खेल जारी…

दमण। संघ प्रदेश दमण के विधुत विभाग के अधिकारियों कि खराब कार्यप्रणाली देखकर लगता है उक्त विभाग के अधिकारियों ने नियमों को उच्च अधिकारियों के निर्देशों कि चट्टान के नीचे दबा दिया है। अब ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्यो कि दमण के कई क्षेत्रो में सालों से डोमेस्टिक लाइन से कमर्शियल उपयोग जारी है। कई मामलों में जनता द्वारा शिकायते भी कि जाती रही है लेकिन विभाग के अधिकारियों द्वारा केवल उन मामलों में कार्यवाही देखने को मिली जिनमे उनकी सेटिंग नहीं हुई, या फिर जिनकी कार्यवाही के लिए सीधे ऊपर से आदेश निर्देश मिले हो। जहां अधिकारियों कि सेटिंग है और ऊपर उस सेटिंग कि जानकारी नहीं है वहा आज भी जनता को लाइट चोरी और अनियमितताओं पर शिकायत करने के बाद चक्कर कटवाए जाते है। जब लाइन-मेन से शिकायत कि जाती है तो लाइन-मेन कहता है कनिय अभियंता से ऊपर बात करो, कनिय अभियंता से शिकायत करने पर कनिय अभियंता कहते है सहायक अभियंता से ऊपर बात करो और सहायक अभियंता कहते है जब तक ऊपर से यानि कार्यपालक अभियंता स्वय संज्ञान लेने के लिए नहीं कहते, तब तक नियमों पर रखी गई निर्देशों कि बड़ी चट्टान नहीं हटाई जाएगी, मतलब जब तक कार्यपालक अभियंता नहीं कहते तब तक कार्यवाही नहीं की जाएगी। अब विधुत विभाग के अधिकारियों के ऐसे रवैये के पीछे का कारण क्या है और लाख अनियमितताओं के बाद भी अभियंता इतने बे-फिक्र क्यो है तो इसका जवाब है वरीय अधिकारियों से सहायक अभियंता और कनिय अभियन्ताओं को मिलने वाला संरक्षण।

जनता को मतलब कि शिकायतकर्ता को यह नहीं पता होता है कि जिस क्षेत्र के लाइट चोरी या अनियमितता को लेकर वह शिकायत कर रहा है उस क्षेत्र का कार्यभार विधुत विभाग के किस अभियंता कि देख रेख में आता है क्यो कि शिकायतकर्ता ने ना जे-ई-आर-सी के नियमों कि किताब पढ़ी होती है ना सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेरिटी के बारे में उसे जानकारी होती है। शिकायतकर्ता तो बस इतना बताता है कि किस थम्बे से किसका तार जुड़ा है और किस डोमेस्टिक कनेकसन से कमर्शियल का उपयोग हो रहा है, अभियंता कई अभियंता तो इतने भ्रष्ट हो चुके है कि बार बार शिकायत करने के बाद थम्बे से जुड़ा तार तो काट देते है लेकिन कोई मामला दर्ज़ नहीं करते है और ऐसा भी कई बार हो चुका है। सीधी सी बात है कि जब लाइट चोरी पर मामला दर्ज़ किया तो लाइट चोरी करने वाले से वसूला दण्ड सरकारी तिजोरी में जमा होगा, जबकि मामला दर्ज़ नहीं किया तो वही अवैध तरीके से वसूला दण्ड अधिकारियों और अभियन्ताओं कि तिजोरी में जमा होगा।

अभी कुछ महीनों पहले कि बात है दमण क्षेत्र के दाबेल मुख्य मार्ग पर स्थित एक अवैध ढाबे में सालों से उसके पास में स्थित थम्बे से लाइट के तार जुड़े हुए थे। क्रांति भास्कर कि टिम द्वारा लाइट चोरी कि शिकायत करने पर लाइट के तार काट दिए गए, लेकिन नियमानुसार कोई मामला दर्ज़ नहीं किया गया। अब मामला दर्ज़ ना करने कि अवज में अभियंता ने कितनी रिश्वत ली यह तो उक्त क्षेत्र के कनिय अभियंता के ऊपर वाले अधिकारी ही बता सकते है। वैसे दाबेल क्षेत्र के सहायक अभियंता का प्रभार हरीश टंडेल के पास बताया जाता है। एक समय ऐसा भी था जब हरीश टंडेल ने विधुत विभाग कि गड़बड़ियों और अनियमितताओं को खुलकर जनता के सामने रखते थे, लेकिन आज बात कुछ और है आज वह स्वय अनियमितताओं पर आंखे बंद कर तमाशा देखने वाले अधिकारियों कि फेहरिस्त में शामिल है।

खेर विधुत विभाग के अभियन्ताओं को चाहिए कि डोमेस्टिक लाइन से कमर्शियल उपयोग के लिए एक जांच अभियान चलाए और विधुत चोरी करने वालों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही करें। वैसे क्रांति भास्कर कि टिम ने विधुत चोरी और अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए मुहिम छेड़ दी है और यदि जनता चाहे तो वह भी विधुत चोरी और अनियमितताओं पर क्रांति भास्कर कि टिम को जानकारी दे सकती है। जिससे कि विधुत चोरी पर प्रतिबंध लगे और भ्रष्ट अभियन्ताओं के चहरे से ईमानदारी का मुखोटा उतरें। शेष फिर।



source https://krantibhaskar.com/light-theft-games-continue-in-many-areas-of-daman/

शनिवार, 23 नवंबर 2019

दमण-दीव, दादरा नगर हवेली को जोड़कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा: मोदी सरकार

दमण-दीव, दादरा नगर हवेली को जोड़कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा: मोदी सरकार

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव और दादरा नगर हवेली (DNH) का विलय अब तय माना जा रहा है। क्यो कि इस विलय के लिए सरकार ने अपना मन बना लिया है। हालांकि इससे पहले भी कई बार संघ प्रदेश दमण-दीव और दादरा नगर हवेली को गुजरात में जोड़ने कि अफ़वाए उठती रही थी, लेकिन इस बार कोई अफ़वाह नहीं है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने बताया कि इस उद्देश्य के लिये लोकसभा में एक विधेयक अगले हफ्ते पेश किया जाएगा। मेघवाल ने कहा कि दादरा और नगर हवेली और दमन व दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक 2019 अगले सप्ताह के लिए प्रस्तावित किया गया है। और यह विलय बेहतर प्रशासन और विभिन्न कार्यों के दोहराव की जांच और निगरानी के उद्देश्य से किया जाने वाला है।

वैसे आप को बता दे कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 35 किमी की दूरी है लेकिन दोनों प्रदेशों में अलग-अलग बजट और अलग-अलग सचिवालय हैं। दादरा और नगर हवेली में सिर्फ एक जिला है, एक समाहर्ता है जबकि दमन और दीव में दो जिले हैं और दो समाहर्ता है एक दमण में और एक दीव में।

विलय के बाद केंद्र शासित प्रदेश का नाम दादरा नगर हवेलीदमन और दीव हो सकता है जबकि इसका मुख्यालय दमन और दीव होने की संभावना है। वैसे विलय के बाद दोनों प्रदेशों में किस तरह के परिवर्तन दिखने को मिलेंगे, दोनों प्रदेशों के विलय से जनता, व्यापार, उधोग और राजनीति पर क्या असर पड़ता है यह तो समय आने पर ही पता चल पाएगा। लेकिन जानकारों कि माने तो विकास और व्यवस्था बानाए रखने में प्रशासन को इस विलय से काफी मदद मिलेगी। 



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सोमवार, 18 नवंबर 2019

मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल के खिलाफ थाने में की शिकायत

मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल के खिलाफ थाने में की शिकायत

वापी। वापी की शिवम हॉस्पीटल में पुत्र को जन्म देने के बाद प्रसूता को रक्तस्त्राव होने के बाद हरिया अस्पताल में दाखिल किया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत होने पर उसके परिजनों ने टाउन थाने में शिवम अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत होने का आरोप लगाते हुए शिकायत की। जिसके अंतर्गत पुलिस ने शिकायत लेकर जांच शुरू की है। पुलिस के अनुसार पोस्टमोर्टम में सही रिपोर्ट का पता चलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। जानकारी के अनुसार मूलत: दानह लेकिन वर्तमान में डुंगरा निवासी हेमलताबेन पटेल को डिलीवरी के लिए गुरुवार को शिवम अस्पताल में लाया गया था। जहां बच्चे की डिलीवरी होने पर कुछ समय बाद उसकी तबियत खराब होने पर रात को डॉक्टरों ने हरिया अस्पताल ले जाने को कहा। उसके बाद उसे हरिया ले जाया गया। जहां जांच में उसे ज्यादा खून जाने पर ऑपरेशन किया गया। बाद में उसे आईसीयू में भर्ती किया गया था। लेकिन रविवार को उसकी मौत हो गई। जिसके बाद उसके परिजनों ने शिवम अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से उसकी मौत का आरोप लगाया था। दूसरी तरफ शिवम अस्पताल की ओर से मृतका के परिजनों के आरोप को खारिज करते हुए कहा गया कि डॉक्टरों ने अपनी ओर से उसके उपचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।



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बर्बाद हुई फसलों का किसानों को जल्द मिले मुआवजा-मोहन डेलकर

बर्बाद हुई फसलों का किसानों को जल्द मिले मुआवजा-मोहन डेलकर

दानह। दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर ने सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन प्रदेश के किसानों के मुद्दे को उठाया। उन्होंने बेमौसम बरसात से प्रदेश के किसानों को हुए भारी नुकसान से राहत के लिए उचित धनराशि देने के िलए जल्द कार्यवाही शुरू करने की मांग की। सांसद मोहन डेलकर ने लोकसभा में इस गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाते हुए कहा कि संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में इस वर्ष बेमौसम बरसात से आदिवासी किसानों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरे प्रदेश में छोटे और आदिवासी किसान हैं। किसानों की तबाह हुई फसलों का केन्द्र द्वारा मूल्यांकन का अनुरोध करते हुए उन्होंने किसानों को जल्द मुआवजा देने का अनुरोध किया। जिससे कि प्रदेश के किसान आगामी सीजन की खेती के लिए समर्थ हो सकें। किसानों कहा कि किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता देने की आवश्यकता है। सांसद मोहन डेलकर ने अंत में गरीब आदिवासी किसानों के परिवार की दयनीय स्थिति से भी संसद को अवगत कराते हुए विशेष रुप से इस तरफ सभी का ध्यान आकृष्ट कराया।



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दमण में सफ़ाई अभियान का कोई असर नहीं। मगरवाडा में खुले में फेंका जा रहा है कचरा।

दमण में सफ़ाई अभियान का कोई असर नहीं। मगरवाडा में खुले में फेंका जा रहा है कचरा।

दमण । मोटी दमण स्थित मगरवाडा में खुले में होटलों का सूखा, गीला एवं खाद्य वस्तुएं रूपी कचरा डाला जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार इस जगह पर एक एजेंसी द्वारा आर्गेनिक खाद्य बनाने का काम किया जा रहा था। इन दिनो यह काम बंद है। इसकी वजह से होटलों द्वारा फेंका जा रहा कचरा बदबू के साथ ही कीटाणु और जीवाणु उत्पन्न कर रहा है। इस गंदे कचरे की वजह से आसपास के क्षेत्र के लोगों को दुर्गन्ध एवं मच्छरों से भी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। गीला कचरा जमीन में जा रहा है जिससे बोरवेल में आने वाला पानी भी दूषित हो रहा है। अब यह किस होटल का कचड़ा है और तय नियमों के अनुसार उक्त होटल पर क्या कार्यवाही होनी चाहिए यह तो प्रशासन को अच्छी तरह पता है लेकिन होटल का नाम अब तक नहीं पता चल पाया है। संबन्धित विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि इस तरह आम जगहों पर कचड़ा डालने वाली होटलों पर काठोर कार्यवाही करें। वैसे गांववालों की शिकायत को देखते हुए आज बीडीओ प्रेमजी मकवाणा स्थल पर पहुंचे और खुद स्थल का मुआयना किया। बीडीओ ने जल्द से जल्द इस साइट को बंद करवाकर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।



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वलसाड, वापी और दमण, सिलवासा के बिल्डर टैक्स चोरी में अव्वल। 8 नहीं बल्कि 800 करोड़ की टैक्स चोरी का अनुमान!

वलसाड, वापी और दमण, सिलवासा के बिल्डर टैक्स चोरी में अव्वल। 8 नहीं बल्कि 800 करोड़ की टैक्स चोरी का अनुमान!

जमीन, फ्लेट, दुकान जैसे प्रॉपर्टी कि खरीद-बिक्री में (काले-धन) नगद कि लेन-देन से तो लगभग सभी वाकिफ़ है। नगद (काले-धन) कि लेन-देन के सबसे मुख्य कारणों में से एक कारण है टैक्स चोरी का। क्यो कि किसी भी प्रकार कि प्रॉपर्टी खरीदने पर सबसे पहले उस प्रॉपर्टी कि कीमत के अनुसार तय नियमों के मुताबिक स्टेंप पेपर लेने पड़ते है और स्टेंप के रूप में सरकार को राजस्व मिलता है तथा जब कोई प्रॉपर्टी खरीदता है तो सरकार को यह भी पता चल जाता है कि उसके पास कितना धन है और उसने उस धन के बारे में आयकर विभाग को बताया या नहीं, यदि खरीददार ने जितनी रकम कि प्रॉपर्टी खरीदी है उस रकम का लेखा जोखा आयकर विभाग के पास नहीं होता तो आयकर विभाग प्रॉपर्टी खरीदने वाले से यह सवाल कर सकता है कि वह प्रॉपर्टी खरीदने के लिए धन कहा से लाया। वैसे काफी कम खरीददार या बिल्डर ऐसे होते है जो काले धन से ताल्लुख नहीं रखते और जिस रकम में प्रॉपर्टी बेचते है अथवा खरीदते है उतनी ही रकम कि रजिस्ट्री (दस्तावेज़) तैयार करवाकर सरकार को पूरा टैक्स अदा करते है। ज़्यादातर खरीददार और बिल्डर जमीन खरीद-बिक्री से लेकर फ्लेट, दुकान, मकान बनाकर बेचने अथवा खरीदने में बे-हिसाब काले-धन कि लेन-देन करते है और करोड़ों कि टैक्स चोरी करते है। वैसे तो देश के हर हिस्से में ऐसे बिल्डर मौजूद है जो जमीन, फ्लेट, मकान, दुकान कि खरीद-बिक्री में काला-धन वसूलकर सरकार को चुना लगाते है सरकार भी समय समय पर ऐसे बिल्डरों पर कार्यवाही करती रही है आयकर विभाग द्वारा कई बार बड़ी चपेमारी भी देखने को मिलती रहती है। लेकिन अगर गुजरात के वलसाड, वापी, दमण, सिलवसा के पास पास में स्थित क्षेत्रों में चल रहे प्रोजेक्टों तथा बिल्डरों कि बात करें तो यहाँ भी काला-धन वसूलने वाले और टैक्स चोरी करने वाले बिल्डरों कि भरमार है।

वैसे तो क्रांति भास्कर अपने पिछले अंकों में कई बार बिल्डरों कि टैक्स चोरी और काले धन कि लेन-देन पर, कई बड़े और चौकाने वाले खुलासे कर चुका है। कई बार काले-धन कि लेन-देन और टैक्स चोरी पर क्रांति भास्कर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित कर चुकी है। लेकिन इस बार जो खुलासा क्रांति भास्कर करने जा रही है वह अवश्य सरकार को यह सोचने पर विवश कर देगा कि असल में बिल्डर टैक्स चोरी कर रहे है या आयकर अधिकारी बिल्डरों से टैक्स चोरी करवा रहे है? यह सवाल भले-ही एक बार सरकार को करेले जैसा कड़वा लगे लेकिन सरकार भी जानती है करेले के अपने फायदे है।

खेर अब मुद्दे पर आते है। तो मुद्दा यह है क्रांति भास्कर कि टिम ने अपनी खोजी पत्रकारिता द्वारा अपने पिछले अंकों में कई बार कई बिल्डरों कि टैक्स चोरी और काले धन कि लेन-देन पर, कई बड़े और चौकाने वाले खुलासे किए। कई बार काले-धन कि लेन-देन और टैक्स चोरी पर प्रशासन कि आंखे खोलने हेतु प्रमुखता से खबरें भी प्रकाशित की। लेकिन आयकर अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिली। अब आयकर अधिकारियों ने कोई ठोस कार्यवाही क्यो नहीं की? यह सवाल तो देश के वित्त मंत्री को उन आयकर अधिकारियों से करना चाहिए जो प्रतिमाह वेतन का इंतजार करते करते अपना अधिकतर समय जनता के पैसों से चलने वाले अतानुकूलित कार्यालय में निकाल देते है। खेर अब बात करते है टैक्स चोरी के उन आंकड़ों कि जो क्रांति भास्कर कि टिम को मिले है। तो आप को बता दे कि क्रांति भास्कर कि खोजी टिमअब तक 50 से अधिक प्रोजेक्टों के दस्तावेज़ मिले है। प्राप्त दस्तावेजों को देखकर लगता है कि वापी तथा वापी के आस पास में स्थित प्रोजेक्टों कि जमीन खरीद और बिक्री में पिछले कुछ एक वर्षों में बिल्डरों द्वारा सरकार को अब तक अरबों रुपयों का चुना लगाया जा चुका है तथा अरबों कि टैक्स चोरी कि जा चुकी है। वैसे तो जो दस्तावेज़ मिले है उनमे से अभी भी कुछ एक दस्तावेज़ ऐसे है जिनकी सत्यता को लेकर क्रांति भास्कर कि पड़ताल जारी है, लेकिन जिन दस्तावेजों कि सत्यता पर क्रांति भास्कर कि खोजी टिम अपनी पड़ताल पूरी कर चुकी है उनकी कुल रजिस्ट्रेशन क़ीमत 200 करोड़ से अधिक कि है।

दस्तावेज़ मिलने के बाद सबसे पहले, क्रांति भास्कर कि टिम ने एक-एक कर, सभी दस्तावेजों कि अलग-अलग पड़ताल की तथा सभी दस्तावेजों में दी गई जमीन खरीद-बिक्री को लेकर अंकित रकम की सत्यता को लेकर भी एक पड़ताल की। ताकि यह पता चल सके कि जमीन जब खरीदी गई (यानि जब जमीन का रजिस्ट्रेशन हुआ) दस्तावेज़ बने, तब उक्त जमीन का भाव (क़ीमत) कितना था तथा दस्तावेज़ में जो भाव क़ीमत बताई गई है वह सही क़ीमत है या फिर सरकार को चुना लगाने के लिए, कम क़ीमत तथा गलत क़ीमत के दस्तावेज़ तैयार करवाए गए है।

पड़ताल के बाद जो जानकारी और आंकड़े सामने आए वह काफी चौकाने वाले है। पड़ताल में पता चला कि 200 करोड़ से अधिक क़ीमत के जो दस्तावेज़ मिले है उनकी जमीन खरीद के समय यानि उस समय कि वास्तविक क़ीमत 800 करोड़ से भी अधिक कि थी और केवल टैक्स चोरी करने तथा सरकार को चुना लगाने के लिए बिल्डरों ने यह ना हजम होने वाला करोड़ों का घोटाला, आयकर अधिकारियों कि नाक के नीचे किया। अब इसमे आयकर विभाग तथा आयकर अधिकारियों का नाम क्यो जोड़ा जा रहा है तथा उन पर सवाल क्यो खड़े किए जा रहे है तो इसके पीछे दो कारण है पहला कारण तो यह है कि दक्षिण गुजरात के आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के संयुक्त निदेशक का कार्यालय वापी में स्थित है। आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग का कार्य है जांच करना सतर्कता रखना और टैक्स चोरी पर अंकुश लगाना। लेकिन अब यदि इतनी बड़ी टैक्स चोरी सामने आई है तो मतलब साफ है कि आयकर अधिकारियों कि भूमिका भी शंका के डायरे में है। हालांकि क्रांति भास्कर कि खोजी टिम को कुछ ऐसी जांकारियाँ और दस्तावेज़ भी मिले है जिनहे देखकर लगता है कि वलसाड, वापी, दमण और सिलवसा के कई बिल्डरों के साथ आयकर अधिकारियों कि पुरानी सांठ-गांठ है। वैसे अब सोचने वाली बात यह है कि अब तक जो आंकड़े सामने आए है वह तो केवल जमीन खरीद-बिक्री के है। जमीन पर बनी इमारत में फ्लेट, दुकान, मकान बनाकर बेचने का हिसाब लगना तो अभी भी बाकी है।

वैसे आम तौर पर देखा जाता है कि जमीन कि कई गुना अधिक क़ीमत में इमारत बनती है और जमीन क़ीमत से कई गुना अधिक क़ीमत में इमारत में बनी दुकान और फ्लेट बिकते है, ऐसे में केवल जमीन खरीद-बिक्री में यदि 800 करोड़ कि टैक्स चोरी हुई है तो उक्त सभी इमारतों में बनी दुकान, फ्लेट में कितने हजार करोड़ करोड़ कि टैक्स चोरी हुई होगी? इस सवाल का जवाब देना शायद वापी में बैठे आयकर अधिकारियों के बस कि बात नहीं है क्यो कि पिछले लम्बे समय से आयकर अधिकारियों को गांधारी कि भूमिका में देखा गया। वैसे उक्त सभी प्रोजेक्टों में से एक प्रोजेक्ट कि जमीन और उस पर बनी इमारत में बनी दुकान कि कुल बिक्री का अनुमान लगाया गया तो काफी चौकने वाले आंकड़े सामने आए? दस्तावेज़ में दी गई जिस जमीन कि कीमत लगभग 55 लाख बताई गई, उस जमीन पर जब इमारत बनकर तैयार हुई और बनी सभी दुकानों का मूल्यांकन किया गया तो लगभग जमीन कीमत से 40 गुना अधिक कीमत के आंकड़े सामने आए। इसके बाद जब उक्त कारोबार के जानकार (एक्सपर्ट) से बात-चित कि तो पता चला यह आंकड़े सही है और कई बार इससे भी कई गुना अधिक आंकड़े सामने आ सकते है। मतलब यदि 800 करोड़ कि टैक्स चोरी सिर्फ जमीन कि खरीद में हुई है और 200 करोड़ के दस्तावेज़ बने है तो उसकी 40 गुना टैक्स चोरी उक्त जमीन पर बने प्रोजेक्टों में हो सकती है! आंकड़े देखकर लगता है इस गड़बड़ घोटाले का सच और यह पहली सिर्फ सीबीआई और ई-डी मिलकर सुलझा सकती है क्यो कि रियलस्टेट के कारोबार में इतनी बड़ी टैक्स चोरी आज से पहले कभी नहीं सुनी गई। क्रांति भास्कर चाहती है कि उसके पास जो दस्तावेज़ है वह जनता के सानमे आए, लेकिन 50 प्रोजेक्टों के दस्तावेजों का पुलिंदा कई हजार पन्नों का है इस लिए क्रांति भास्कर इस वक्त उक्त दस्तावेज़ पाठकों के लिए उपलब्ध नहीं करा सकती। यदि इस मामले कि तह तक जाकर सीबीआई अथवा ई-डी मामले में जांच कि रुचि रखती है तो अवश्य क्रांति भास्कर उक्त सभी दस्तावेजों कि एक कॉपी सीबीआई और ई-डी को देगी।

वैसे पुख्ता तौर पर सूचना मिलने के बाद भी हाथ पर हाथ धरे आयकर अधिकारियों को भ्रष्ट कहे या कामचोर? इसका फ़ैसला या तो जनता करें या स्वय वह आयकर अधिकारी जो ईमानदार होने के बाद भी जांच से डरते है! अब ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्यो कि पिछले लम्बे समय में क्रांति भास्कर ने अपनी खोजी पत्रकारिता के तहत अपने पिछले अंकों में बिल्डरों कि टैक्स चोरी और काले-धन कि लेन-देन को लेकर कई खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की थी लेकिन आयकर अधिकारियों के कानों तले जू नहीं रेंगी, कोई ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिली। इतना ही नहीं कई मामलों में वापी में बैठे आयकर अधिकारियों कि भूमिका और कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते रहे और यह शंका भी रही कि कहीं वापी में बैठे आयकर अधिकारियों का भी हिस्सा पहले से तय तो है। वापी आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक कमल मंगल को टैक्स चोरी मामले में कितनी बार सूचना मिली और कितनी बार उनके द्वारा छापे-मारी की गई? गांधीनगर में बैठे अधिकारी एक बार यह सवाल कमल मंगल से कर के देख ले।

Income tex Office Vapi
Income tex Office Vapi

खेर अब इस पूरे मामले के सामने आने के बाद तथा करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपये के घोटाले और टैक्स चोरी कि जानकारी सामने आने के बाद, गांधीनगर में बैठे वरीय आयकर अधिकारी गांधी जी के बंदर बने बैठे रहेंगे या फिर सभी बिल्डरों के यहां एक साथ औचक चपेमारी कर मोदी सरकार को चुना लगाने वालों पर कठोर कार्यवाही करेंगे? इस सवाल का जवाब भी समय आने पर मिल ही जाएगा। लेकिन यदि भारत के वित्त मंत्री इस मामले में स्वय संज्ञान लेते हुए ई-डी और सीबीआई कि एक संयुक्त टिम बनाकर वापी दमण और सिवाल्सा के बिल्डरों कि जांच करवाए तो हो सकता है कि अब तक जितना अनुमान लगाया गया है उससे भी कई गुना अधिक रकम कि टैक्स चोरी पकड़ी जाए।

जरा सोचिए यदि खून होने के बाद पुलिस (लाश से खूनी का नाम) पूछे और कहे कि जब तक लाश खुद नहीं बोलती या सबूत नहीं मिलता तब तक वह केश दर्ज़ ही नहीं करेगी! तो मुजरिम कैसे पकड़ा जाएगा। लेकिन कानून बनाने वाले को यह पता था कि मुर्दे बोला नहीं करते। इस लिए पुलिस मुर्दा देखते ही पहले मामला दर्ज़ करती है फिर जांच करती है और उसके बाद मुजरिम को पकड़कर सजा दिलाती है।

लेकिन आयकर विभाग के अधिकारी टैक्स चोरी के मामले में जानकारी देने पर कहते है पहले सबूत लाओं उसके बाद में सबूत ऊपर भेजेंगे, जब ऊपर से सबूतों के आधार पर अप्रूवल मिल जाएगा, तब जांच शुरू होगी और उसके बाद आगे कि कार्यवाही की जाएगी! अब बताइये क्या ऐसे टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा? सूचना देने तथा शिकायत करने आए व्यक्ति से आयकर विभाग के अधिकारी इतने सबूत मांगती है जैसे आई-आर-एस कि डिग्री आयकर अधिकारियों ने नहीं सूचना देने वाले शिकायतकर्ता ने ले रखी हो। कई बार तो सूचना देने वाले तथा शिकायत करने वाले को आयकर अधिकारियों ना मिलने दिया जाता है ना उनका संपर्क नंबर बताया जाता है।

आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के संयुक्त निदेशक कमल मंगल का तबादला होने के बाद, वापी आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के कार्यालय से पता चला कि आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग ने संयुक्त निदेशक कमल मंगल कि जगह जिस अधिकारी को नियुक्त किया गया है उनका नाम भारद्वाज है और वह अब सूरत में बैठते है वापी कार्यालय ना आए है ना आएंगे। आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के संयुक्त निदेशक भारद्वाज का नंबर अब तक ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है इस लिए जब आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के कार्यालय में मोजूद अधिकारी से भारद्वाज के नंबर तथा ई-मेल आई-डी के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होने ऐसे देने से ऐसे इंकार कर दिया जैसे भारद्वाज को प्रभार मिलने के साथ ही यह निर्देश भी मिल गए हो कि, उन्हे टैक्स चोरी पर अंकुश लगाने कि कोई आवश्यकता नहीं है!

वैसे अब तक जो खुलासे हुए है उनके अलाबे अभी और भी ऐसे कई प्रोजेक्ट है जिनके दस्तावेज़ क्रांति भास्कर कि खोजी टिम को मिले है लेकिन उन दस्तावेजों कि सत्यता को लेकर क्रांति भास्कर कि पड़ताल अभी जारी है फिलवक्त मिले दस्तावेज़ को देखकर इतना ही कहा जा सकता है कि जो आंकड़े सामने आए है वह समंदर में से पानी के एक लोटे के समान है। शेष फिर।

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बुधवार, 13 नवंबर 2019

Nutrition – 5 techniques To Any Healthy Eating Plan

Nutrition – 5 techniques To Any Healthy Eating Plan

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Infuse hemp seeds with ethanol and use the tincture as a diuretic remedy in case of renal inflammation, ureter inflammation and prostatitis. You can make a decoction, too. Infuse a tablespoon among the fruits having a glass of water and boil the infusion for fifteen minutes. Afterwards, permit decoction brew for a short time and drink the decoction within daily in three equal parts.

Oxidative stress can occur either due to a cut of antioxidant level or by reason of an an excessive amount of free radicals or both equally. If the living condition surrounding us is polluted or unhygienic, we operate in stressful conditions without having it drinking enough water, we might be victims of oxidative stress. It can actually cause cellular damage, thus accelerating wrinkling and baldness and might also result in diabetes and weight gain. To combat this, we ought to increase intake of colorful plant food, green teas and herbal tea to fight it.



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शनिवार, 9 नवंबर 2019

दमण में मिला, बिना लाइसेन्स वाला बार एण्ड रेस्टोरेन्ट!

दमण में मिला, बिना लाइसेन्स वाला बार एण्ड रेस्टोरेन्ट!

दमण। संघ प्रदेश दमण के दाबेल क्षेत्र में आबकारी विभाग के लाइसेन्स बिना ही एक अवैध बार एण्ड रेस्टोरेन्ट चलाने का एक मामला सामने आया है। दाबेल क्षेत्र के सर्वे नंबर 493/7 कि जमीन का एक भाग हरीश ढेढका पटेल, दिनेश ढेढका पटेल तथा ढेढकीबेन ढेढका पटेल के नाम पर है। इसी जमीन पर पिछले कई वर्षों से बिना नाम का एक अवैध बार एण्ड रेस्टोरेन्ट चल रहा है यह अवैध बार एण्ड रेस्टोरेन्ट दाबेल मुख्य मार्ग पर, उत्सव होटल के पास तथा पटेल ढाबा के सामने स्थित है। चलाने वाले का नाम मिथुन पटेल (कामली) निवासी चला वापी बताया जाता है। बताया जाता है कि इस अवैध ढाबे के पास ना शराब बिक्री कि अनुमति है ना बिजली का कनेकसन है ना फूड विभाग से लिया कोई लाइसेन्स है! फिर भी पिछले कई वर्षों से कांग्रेस के कार्यकर्ता हरीश ढेढका पटेल के संरक्षण में यह अवैध कारोबार नियमों को धतता बता रहा है और आबकारी अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है।

वही हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले कि जानकारी आबकारी अधिकारियों को है तथा इस मामले कि जानकारी कई बार आबकारी अधिकारी सिलवाना परेरा को दी जा चुकी है लेकिन फिर भी उक्त मामले में आबकारी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिली।

क्या इस ढाबे वाले के साथ सिलवाना परेरा कि कोई साठ-गाठ है? क्या आबकारी अधिकारियों ने नियमानुसार कार्यवाही करना बंद कर दिया है? अब इन सवालों के साथ यह सवाल भी है कि इस एक अवैध शराब के ढाबे कि तर्ज पर दमण में और कितने अवैध शराब के ढाबे चल रहे है? दमण आबकारी आयुक्त को चाहिए कि उक्त मामले में जांच कर नियमानुसार कार्यवाही करें तथा पता लगाए कि बिना लाइसेन्स इस तरह शराब बिक्री कर उक्त ढाबे ने आबकारी विभाग के कितने नियम तोड़े एवं कितनी ड्यूटी चोरी की। शेष फिर।



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गुरुवार, 7 नवंबर 2019

सोने के कारोबार का काला सच, जोधपुर में 50 किलो सोने में से 4 किलो सोना गायब!

सोने के कारोबार का काला सच, जोधपुर में 50 किलो सोने में से 4 किलो सोना गायब!

जोधपुर। जब कभी निवेश अथवा धन को सुरक्षित करने कि बात आती है तो अबसे पहला ख्याल (जमीन खरीद) भूमि निवेश का आता है उसके बाद सोना और सोने से बने आभूषण। लेकिन इस महंगाई के दौर में सभी के लिए तो भूमि निवेश यानि प्रॉपर्टी खरीदना मुमकिन नहीं है इसी लिए जो लोग भूमि ( जमीन ) नहीं खरीद सकते वह समय समय पर कभी सोना तो कभी सोने के बने आभूषण खरीदते है ताकि सोने के रूप में उनका धन सुरक्षित रहे। वैसे यह खबर ना निवेश से जुड़ी है ना जमीन से यह खबर तो उन स्वर्णकार और खरीददारों के से जुड़ी है जो सोने कि खरीद बिक्री में जाने अंजाने ठगी का शिकार हो रहे है।

जोधपुर शहर में कई छोटे व बड़े सोने के आभूषणो के शो-रूम है, कई बड़े गोल्ड ट्रेडर है जो प्रतिदिन करोड़ों के सोने का व्यापार करते है। लेकिन वह किस कीमत में कितनी शुद्धता का सोना खरीदते है और ग्राहकों को कितनी शुद्धता का सोना किस कीमत पर बेचते है इसका हिसाब किताब तो उक्त खबर के बाद स्वय ग्राहकों को लगाना चाहिए।

जानकारी मिली है कि जोधपुर में सोने में बड़ी खरीद बिक्री करने वाले (गोल्ड ट्रेडर्स) 99.99 शुद्धता वाला सोना बेंक अथवा बेंक के माध्यम से खरीदते है और आभूषण बनाने वाले (स्वर्णकार) को 99.50 शुद्धता का सोना बेचा जाता है। अब सबसे पहला सवाल है 00.49 सोना कहा गया? इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जान लीजिए कि यदि 99.99 शुद्धता वाला 50 किलो ग्राम सोना 99.50 शुद्धता के हिसाब से बिक्री किया तो कितने सोने का गमन हुआ? तो इसका जवाब है 250 ग्राम सोना। अब 250 ग्राम सोना कितनी रकम का होता है? तो इस सवाल का जवाब और हिसाब आप आज के सोने के भाव से कर सकते है। वैसे 99.99 शुद्धता वाला 50 किलो ग्राम सोना जब 99.50 शुद्धता के हिसाब से बिक्री किया जाता है तो 250 ग्राम सोना कहा जाता है और इसका हिसाब कैसे रखा जाता है और क्या सरकार तथा आयकर अधिकारियों को इस बात कि जानकारी है? यह सवाल अभी भी फन उठाए है।

DWARIKA JEWELLERS PRIVATE LIMITED
Registered address is 501, KIRTI TOWER, NEAR NAGPAL HOSPITAL SHAHIBAUGH UNDER BRIDGE SHAHIBAUGH Ahmedabad.

Director Name
DWARKA DAS SONI
CHANDRA VEER SONI
LAXMI NARAYAN SONI
MATHARA DAS SONI

 

ज्ञात हो कि जोधपुर में कई ऐसे गोल्ड ट्रेडर्स है जो बेंकों अथवा बेंको के माध्यम से 99.99 शुद्धता वाला सोना 99.50 शुद्धता के हिसाब से बिक्री करते है। इस प्रकार 99.99 शुद्धता वाला सोना 99.50 शुद्धता के हिसाब से बिक्री करने वालों कि सूची में एक नाम जोधपुर के द्वारिका ज़्वेलर्स (Dwarika Jewellers) का भी बताया जाता है। द्वावरिका ज़्वेलर्स कि एक इकाई भिसतियों के बास में है तथा दूसरी कबूतरों के चौक में। बताया जाता है कि प्रति दिन उक्त इकाइयां कई किलो ग्राम का कारोबार करती है। इतना ही नहीं उक्त इकाई के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उक्त इकाई कि अधिकतर खरीद और बिक्री दो नंबर में होती है यानि कि बिना बिल, मतलब टेक्स चोरी। अब उक्त इकाई कितने किलो ग्राम एक नंबर में बेचती है और कितने किलो ग्राम दो नंबर में? इस सवाल का जवाब तो तब मिलेगा जब उक्त इकाइयों कि बारीकी से जांच कि जाए, इकाइयों में काम करने वालों के मोबाइल नंबर का रिकॉर्ड निकाला जाए, उनकी कॉल रिकॉर्डिंग चेक कि जाए तथा इकाइयों में कब और कोन कितना सोना देने (बिक्री करने) आया और कब कितना सोना लेने (खरीदने) आया इसकी सीसी टीवी फुटेज चेक कि जाए। तो हो सकता है जांच में राजस्थान कि अब तक कि सबसे बड़ी टैक्स चोरी पकड़ी जाए! क्यो कि गोल्ड पर तथा आभूषण पर 3 प्रतिशत टैक्स भी है अब यदि दो नंबर में सोना खरीदा तो टैक्स चोरी और दो नंबर में बेचा तो टैक्स चोरी और शुद्धता के नाम पर कि गई सोने में कमी अलग से। वैसे उक्त इकाई के अलावे भी अन्य कई बड़ी इकाइयों के नाम और दस्तावेज़ क्रांति भास्कर कि टिम के हाथ लगे है लेकिन उन इकाइयों के संबंध में मिले दस्तावेजों कि सत्यता पर पड़ताल अभी बाकी है। वैसे द्वारिका ज़्वेलर्स से क्रांति भास्कर कि टिम ने ग्राहक बनकर टेलिफोनिक रूप से यह जानकारी मांगी कि उनसे गोल्ड खरीदने पर वह किस शुद्धता का सोना देंगे और कितनी शुद्धता के सोने का पैसा लेंगे? तो द्वारिका ज़्वेलर्स कि और से बताया गया कि वह 99.50 शुद्धता का सोना देगी और 99.50 शुद्धता के सोने का पैसा लेगी। अब सवाल उठता है कि 99.50 शुद्धता का सोना बेचकर 99.50 शुद्धता के सोने का पैसा लेकर उक्त इकाई मुनाफा कैसे करती है? वही दूसरा सवाल यह है कि जब द्वारिका ज़्वेलर्स 99.99 शुद्धता वाला खरीदती है तो 99.99 शुद्धता वाला क्यो नहीं बेचती? क्या कारण है जिसके चलते 99.99 शुद्धता वाला सोना खरीदा जाता है और 99.50 शुद्धता वाला सोना बेचा जाता है? ऐसे कई सवाल है जिन पर से पर्दा उठना अब जरूरी है।

50 किलो में से 4 किलो सोना गायब!

वैसे इस पूरे मामले के इतर एक मामला और है, और अब बात करते है आभूषण बनाने वाले तथा बने हुए आभूषण बिक्री करने वाले कि तो आभूषण बनाने के लिए अधिकतर स्वर्णकार जो सोना, बड़े ट्रेडर्स से खरीदते है वह 99.50 शुद्धता वाला होता है। लेकिन जब स्वर्णकार सोने के आभूषण बिक्री करते है तो तय नियमों के अनुसार उसकी शुद्धता कम से कम 91.666 होनी चाहिए। अब इस हिसाब से यदि 99.50 शुद्धता वाला सोना खरीद कर स्वर्णकार 91.666 शुद्धता वाले सोने के आभूषण बनाकर बिक्री करता है तो 50 किलो ग्राम सोने में से लगभग 4 किलो ग्राम सोना कहा गया इसका हिसाब स्वर्णकार सोने के आभूषण खरीदने वाले को नहीं देता। हेरान करने वाली बात तो यह है कि 4 किलो ग्राम सोने का जो अनुमान लगाया गया है वह न्यूनतम शुद्धता वाले सोने से लगाया गया है जबकि बाजार में इससे कम शुद्धता वाले आभूषण भी मिल जाते है। इस हिसाब से सोने के आभूषण बनाकर बिक्री करने वाले प्रति दिन कितने करोड़ का ग्राहकों को चुना लगाते है इसका सटीक अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। इतना ही नहीं आभूषण बेचते वक्त दुकानदार ग्राहक से 99.50 अथवा 99.99 के पैसे ले और 91.666 का सोना दे, तो अब इसे ठगी ना कहे तो क्या कहे? आभूषण लेते समय दुकानदार खरीदार से मेकिंग चार्ज भी ले ले और सोना भी कम दे यह तो खुलेआम ठगी ही दिखाई देती है।

उक्त पूरे मामले को देखकर लगता है सोने के बड़े गोल्ड ट्रेडर्स और स्वर्णकार दोनों मिलकर ग्राहकों को चुना लगा रहे है साथ ही साथ सरकार को भी चुना लगा रहे है। इस लिए आयकर विभाग तथा टैक्स संबन्धित विभागों को चाहिए कि बड़े गोल्ड ट्रेडर्स और बड़े गोल्ड ट्रेडर्स से सोना खरीदने वालों कि बारीकी से जांच करें और पता लगाए कि अब तक किस गोल्ड ट्रेडर्स ने ग्राहक को तथा सरकार को कितने करोड़ का चुना लगाया। शेष फिर।



source https://krantibhaskar.com/gold-trader-dwarika-jewellers-jodhpur/