मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

उदवाड़ा में आयोजित इरानशाह उदवाड़ा उत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री

उदवाड़ा में आयोजित इरानशाह उदवाड़ा उत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री

वापी। रविवार को मुख्यमंत्री विजय रुपाणी उदवाड़ा में चल रहे इरानशाह उदवाड़ा उत्सव में सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि 13 सौ वर्ष पहले  धर्म की रक्षा के लिए अपना वतन छोड़कर भारत आने वाले पारसी समरसता और बंधुत्व का श्रेष्ठ उदाहरण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए वतन छोडऩे के लिए मजबूर होने वाले लोग वतन से दूर होने की पीड़ा समझ सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि धर्म रक्षा के लिए देश छोडऩे को मजबूर होकर और बरसों तक शरणार्थी बनकर तकलीफ सहने वालों के प्रति संवेदनशीलता के साथ उन्हें नागरिकता देने वाले नागरिकता बिल का वोटबैंक की राजनीति के कारण विरोध करने वाले लोग स्वयं गुमराह हैं। उन्होंने कहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने वाला बिल नहीं है। मुख्यमंत्री रुपाणी ने कहा कि गुजरात और भारत सरकार सदा सर्वदा पारसी कौम के सुख दु:ख के साथ रहेगी और साथ मिलकर प्रजा के कल्याण के लिए काम करने की भावना भी व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि समग्र विश्वमें से यात्री यहां पवित्र अग्नि के दर्शन करने आते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पारसी समाज के अद्भुत प्रदान को समझकर उनके गौरवपूर्ण इतिहास को विश्व विख्यात बनाने के लिए उदवाड़ा में इरानशाह उत्सव शुरू किया गया। इस तीन दिवसीय उत्सव में हेरीटेज वॉक फोटो गैलेरी, स्ट्रीट आर्ट, टजर हंट स्पर्धा, एन्टीक घड़ी जैसे वस्तुओं का प्रदर्शन और बिक्री, पारसी समाज की स्वादिष्ट व्यंजनों और कला संस्कृति के प्रदर्शन का मेला भी आयोजित किया गया है।



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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

गुजरात के पूर्व IAS अफसर पर ईडी का छापा, 36 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त

गुजरात के पूर्व IAS अफसर पर ईडी का छापा, 36 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त

नई दिल्ली।  सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों पर एक के बाद एक मामले में कार्यवाही करती दिखी लेकिन इसके बाद भी भ्रष्टाचार कम होता नहीं दिखाई दे रहा है सरकारी अधिकारियों बढ़ती संपत्ति और भ्रष्टाचार कि वजह से अब तक कई सरकारों कि किरकिरी होती रही है। अभी पता चला है कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मनी लांड्रिंग मामले में गुजरात कैडर के पूर्व आइएएस अधिकारी संजय गुप्ता व उनके परिवार की 36 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त की हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1985 बैच के अधिकारी रहे गुप्ता ने वर्ष 2002 में नौकरी छोड़कर आतिथ्य सेवा (हॉस्पिटैलिटी) का कारोबार शुरू किया था, जिसका नाम नीशा ग्रुप ऑफ कंपनीज बताया जाता है।

ईडी ने उनके खिलाफ मेट्रो लिंक एक्सप्रेस फॉर गांधीनगर एंड अहमदाबाद कंपनी लिमिटेड (एमईजीए) से संबंधित गबन तथा आपराधिक कदाचार के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। गुप्ता अप्रैल 2011 से अगस्त 2013 के बीच एमईजीए के चेयरमैन थे। ईडी के अनुसार, ‘जांच में पाया गया कि गुप्ता ने एमईजीए के चेयरमैन रहते हुए विभिन्न पदों पर अपने करीबियों की नियुक्ति की। गुप्ता ने वर्ष 2012-13 में कई मुखौटा कंपनियां बनाईं और इन कर्मचारियों को उनका निदेशक बना दिया।’

जांच एजेंसी के अनुसार, ‘गुप्ता ने एमईजीए के ठेकों के लिए किसी नियम का अनुपालन नहीं किया। सामग्री और सेवा की आपूर्ति के लिए मुखौटा कंपनियों को ठेके दिए गए और फर्जी बिल बनाए गए।’ इस मामले में राज्य पुलिस की तरफ से मुकदमा दर्ज होने और गुप्ता व अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद ईडी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया है।

इस मामले को देखकर लगता है कि अभी भी देश में भ्रष्टाचार अपने फन फैलाए बैठा है और अधिकारी अभी भी रिश्वतख़ोरी कर जनता और सरकार को चुना लगाकर अपनी ऐशगाह आबाद कर रहे है। इस एक मामले के सामने आने के बाद ई-डी को चाहिए कि वह इस मामले को आधार बनाकर अपनी जांच का दायरा बढ़ाए और ऐसे अन्य अधिकारियों कि तलाश करें जिनहोने रिश्वतख़ोरी के दम पर करोड़ों कि अवैध संपत्ति जमा कर रखी है।



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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

राजस्थान के किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश की सख्त जरुरत: विशेषज्ञ

राजस्थान के किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश की सख्त जरुरत: विशेषज्ञ

राजस्थान। किशोरावस्था जीवन चक्र का सबसे खास चरण है जो कि संभावनाएं और चुनौतियां साथ लेकर आता है। दरअसल यह बचपन और वयस्क होने के बीच की वो अहम कड़ी होती है जब किशोर  में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव होते है। विशेषज्ञों का मानना है कि तमाम उम्र पर पड़ने वाले किशोरावस्था के प्रभावों के मद्देनज़र किशोरों के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देना अति आवश्यक है। किशोरावस्था मानव विकास का अद्वितीय चरण है।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में किशोरों की संख्या 25 करोड़ 30 लाख है जो किसी भी अन्य देश के मुक़ाबले अधिक है। ये हमारे देश की कुल आबादी का 21 प्रतिशत है या ऐसे कहा जा सकता है कि प्रत्येक पांचवां भारतीय ‘एक किशोर’ है। जनसंख्या में इतनी बड़ी हिस्सेदारी भी किशोरों और किशोरावस्था को महत्वपूर्ण बनाती है।   राजस्थान में 10 से 19 साल उम्र के किशोरों की आबादी 1.5 करोड़ (राज्य की कुल जनसंख्या का 23 प्रतिशत) है।

दरअसल जब बात किशोरावस्था की होती है तो ये समझना आवश्यक है कि उम्र के इस नाज़ुक पड़ाव में एक किशोर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्तर पर महती बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा होता है। ईएसआई मॉडल अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अखिलेश जैन बताते हैं कि “मनोवैज्ञानिक स्तर पर एक किशोर के लिए ये परिवर्तन, स्वयं के बारे में समझ विकसित होने से शुरू होना माना जा सकता है  ऐसे में किशोर इस बात को लेकर खासे संवेदनशील हो जाते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे में क्या राय रखते हैं, विशेष तौर पर उनके अपने खास साथियों का उनके बारे में क्या और कैसा सोचते है। साथ ही , उनकी अपेक्षा होती है कि उन्हें  स्वतंत्रता  मिलें। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि अपने निर्णयों, भावनाओं और क्रिया-कलापों के लिए अब उन्हें ज्यादा आजादी चाहिए। तरुणावस्था में एक किशोर में ये इच्छा भी प्रबल होने लगती है कि वो ना केवल अपने करीबी दोस्तों के ग्रुप में सबसे योगय हो बल्कि सबसे खास भी हो। इसके साथ ही जैसे-से उनमें शारीरिक बदलाव आने लगते हैं वो खुद को पहले से अलग महसूस करने लगते हैं और खुद के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने लगते हैं।”

किशोरावस्था के दौरान लड़के-लड़कियों को शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। उम्र की इस दहलीज़ पर एक किशोर में मानसिक तौर पर परिपक्वता आने की तुलना में शारीरिक परिवर्तन कहीं ज्यादा तेज़ी से और ज्यादा स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होते हैं। यही वजह है कि किशोरावस्था पर खास ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि व्यक्तिगत और वातावरण दोनों का ही प्रभाव किशोरावस्था के दौरान होने वाले इन परिवर्तनों पर पड़ता है। यह भी समझना होगा कि किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का न केवल किशोरावस्था में, बल्कि जीवन पर्यन्त स्वास्थ्य पर असर होता है।

सेव द चिल्ड्रन के डिप्टी डायरेक्टर, प्रोग्राम एंड पॉलिसी, संजय शर्मा कहते हैं कि किशोरावस्था की इस अनूठी प्रकृति और महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे स्वास्थ्य नीति और कार्यक्रमों में विशिष्ट स्थान मिलना चाहिए। लाइफ स्किल एजुकेशन प्रदान करने और स्कूल स्तर पर सशक्तीकरण से ही इनसे जुड़े 80 प्रतिशत मुद्दों का समाधान संभव है। इसके साथ ही सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी योजनाओं का पूरे राज्य में विस्तार करने की आवश्यकता है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO),  किशोरावस्था को शैशवकाल और गर्भधारण के साथ जीवन चक्र की तीसरी सबसे संवेदनशील अवस्था मानता है। लेकिन किशोरों की आवश्यकताओं को अक्सर उपेक्षित किया जाता है, क्योंकि उन्हें आमतौर पर छोटे बच्चों या फिर वयस्कों के साथ रखा जाता है। अक्सर सभी किशोरों को भी एक ही समूह माना जाता है, परंतु लड़कियों और लड़कों में आवश्यकताएं और स्वास्थ्य समस्याएं अलग-अलग होती हैं जिनके लिए रणनीति अपनाने की आवश्यकता होती है।

किशोरों के स्वास्थ्य और हितों की रक्षा न केवल सामाजिक दायित्व ही है बल्कि संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकारों पर सम्मेलन (CRC) के अनुसार ये समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी है कि कल के वयस्कों को आज सबसे अच्छी शुरुआत देना सुनिश्चित किया जाए। ।

किशोर स्वास्थ्य में निवेश का सीधा परिणाम होगा कि:

  • जीवनस्तर में सुधार; पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, यौन स्वास्थ्य के स्तर में सुधार होगा जिससे अगली पीढ़ी अधिक उत्पादक,प्रसन्न और स्वस्थ होगी।
  • आर्थिक लाभ: भावी पीढ़ी स्वस्थ होगी तो उसमें तीव्र आर्थिक विकास की संभावना को साकार करने का सामर्थ्य होगा; स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और स्वस्थ, समावेशी व उत्पादक कार्यबल संभव होगा।
  • जनसांख्यिकीय लाभ: मानव संसाधन का सरंक्षण ,भावी पीढ़ी के सकारात्मक व्यवहार से अपराधों में कमी, परिवार के आरोग्य से गरीबी में कमी, शिक्षा के स्तर में वृद्धि, मृत्यु दर में कमी।

स्पष्ट है कि किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश के न केवल तात्कालिक फायदे हैं अपितु इसके दीर्घकालिक लाभ भी होंगे, एवं आने वाले वर्षों में अधिक उत्पादक समाज की स्थापना हो सकेगी। स्वस्थ किशोरावस्था, बेहतर शैक्षिक अवसर, सकारात्मक सामाजिक जुड़ाव और आर्थिक योगदान के पूरे चक्र से इसकी पुष्टि भी होती है|

संपर्क,
अस्मिता जाधव
९८३३९३८५४४



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हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दमण दीव का 59 वां मुक्ति दिवस

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दमण दीव का 59 वां मुक्ति दिवस
दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव का 59 वें मुक्ति दिवस हर्षोल्लास के साथ गुरुवार को मनाया गया। इस उपलक्ष्य में आयोजित  भव्य राजकीय समारोह में मुख्य अतिथि प्रशासक प्रफुल पटेल ने ध्वजारोहण कर परेड निरीक्षण किया । इस अवसर पर दमण-दीव एवं सांसद लालू पटेल, प्रशासक के सलाहकार अनिल कुमार सिंह, डीआईजीपी ऋषिपाल सिंह, दमण कलेक्टर डॉ. राकेश मिन्हास, पर्यटन सचिव तपस्या राघव समेत के अधिकारी, जनप्रतिनिधि,   राजनैतिक अग्रणी, स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
मुक्ति दिवस की  शुभकामनाएं देते हुए प्रशासक प्रफुल पटेल ने कहा कि कोई भी काम   बिना प्रयास के सफल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि दमण-दीव एक नई दिशा की तरफ बढ रहा है। इतना ही नहीं हर क्षेत्र में दमण-दीव एवं दानह नेशनल लेवल पर अपनी जगह बना रहा है। नेशनल लेवल पर दमण-दीव एवं दानह को 48 पुरस्कार मिले। जिसमें 2 पुरस्कार द्वितीय श्रेणी, 3 पुरस्कार तृतीय श्रेणी एवं प्रशास्ति पत्र शामिल है। साथ ही दीव एवं सिलवासा को स्मार्ट सिटी के कैटेगरी में जगह मिली। भ्रामिक एवं अफवाहों को फैलाने वाले असामाजिक तत्वों की बातों पर गौर न करके प्रदेश की जनता ने काम एवं प्रशासनिक व्यवस्था को देखा है। साथ ही दमण-दीव एवं दानह के एकीकरण का स्वागत किया है। सिंगल यूज प्लास्टिक, स्वच्छता अभियान, शिक्षा, बुनियादी ढांचा, भौतिक, सामाजिक एवं सोच में परिवर्तन आया है। कनेक्टीविटी के क्षेत्र की बात करें तो दीव से अहमदाबाद और मुंबई और सूरत से दीव, दमण से अहमदाबाद के बीच हेलीकॉप्टर सेवा जल्द ही परिपूर्ण होगी। 70 करोड की लागत से दीव में बडा प्रोजेक्ट बन रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में 800 करोड रूपए का निवेश। 30 अप्रैल से पहले जंपोर बिच पर देश का सबसे अहम एवं देश-विदेश के पक्षियों से सज्ज चिडिया बनने जा रहा है। इतना ही नहीं कडैया में 20 करोड रूपए की लागत से म्युजियम, प्राणी संग्रहालय भी जल्द बनेगा। दमण-दीव के प्रत्येक चार रास्ता पर 6 महीने के अंदर सीसीटीवी कैमरे लग जाये। मोटी दमण की 5 पंचायतों के बुनियादी विकास के लिए 33 करोड रूपए की राशि मंजूर की गई है। जल्द ही मोटी दमण की 5 पंचायतों की तस्वीर बदलेगी।
दमण-दीव सांसद लालू पटेल ने भी  प्रदेशवासियों को 59वें मुक्ति दिवस की बधाई दी। लालू पटेल ने कहा कि दमण-दीव में चारो तरफ विकास-विकास विकास ही चल रहा है। मोदी सरकार की सभी योजनाओं का लाभ प्रदेशवासियों को मिले इसके लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर जानकारी दी गई कि 70 करोड की लागत से दीव में बडा प्रोजेक्ट बन रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में 800 करोड रूपए का निवेश। 30 अप्रैल से पहले जंपोर बिच पर देश का सबसे अहम एवं देश-विदेश के पक्षियों से सज्ज चिडिया बनने जा रहा है। इतना ही नहीं कडैया में 20 करोड रूपए की लागत से म्युजियम, प्राणी संग्रहालय भी जल्द बनेगा।  6 महीने के अंदर सीसीटीवी कैमरे लग जाये। मोटी दमण की 5 पंचायतों के बुनियादी विकास के लिए 33 करोड रूपए की राशि मंजूर की गई है। जल्द ही मोटी दमण की 5 पंचायतों की तस्वीर बदलेगी।


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मुंबई हाइकोर्ट ने दानह जिला पंचायत के 210 कर्मचारियों को नौकरी पर लेने का दिया आदेश

मुंबई हाइकोर्ट ने दानह जिला पंचायत के 210 कर्मचारियों को नौकरी पर लेने का दिया आदेश
सिलवासा। दानह प्रशासन द्वारा 4 महीने पहले निकाले गए जिला पंचायत के कर्मचारियों को वापस लेने का आदेश मुंबई हाइकोर्ट ने दिया है। जानकारी के अनुसार  दानह  की कई पंचायतों में विभन्न पदों पर कार्यरत 210   दैनिक वेतन कर्मचारियों को दानह प्रशासन ने निकाल दिया  था। जिसे नाराज  जिला पंचायत प्रमुख रमण काकवा ने प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल  की थी। मुंबई हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर नजर रखते हुए गुरुवार को 210 कर्मचारियों के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए इन्हें फिर से नौकरी पर रखने का आदेश दिया है।
 मुंबई हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को नौकरी पर रखने एवं निकालने का पूर्ण अधिकार जिला पंचायत प्रमुख को है।  हाईकोर्ट के इस आदेश से जिला पंचायत प्रमुख की सर्वोपरिता स्थापित हुई है। इससे अब प्रशासन को एक बात तो समझ आ गई है कि न्यायपालिका में कर्मचारियों के हक एवं अधिकार को न्याय मिला है। प्रशासन के निर्णयों पर भी इसका असर होगा। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद कर्मचारियों में खुशी का माहौल है।   हाईकोर्ट के इस निर्णय पर प्रदेश की जनता एवं जनप्रतिनिधियों ने आभार व्यक्त किया है


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मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

सांसद मोहन डेलकर की उपस्थिति में जिला पंचायत की सभा, संघ प्रदेश के एकीकरण पर आभार व्यक्त।

सांसद मोहन डेलकर की उपस्थिति में जिला पंचायत की सभा, संघ प्रदेश के एकीकरण पर आभार व्यक्त।

सिलवासा। दादरा नगर हवेली जिला पंचायत की सामान्य सभा का आयोजन दानह सांसद मोहन डेलकर की उपस्थिति में आयोजित किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष रमण काकवा, उपप्रमुख महेश गावित, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एचएम चावड़ा समेत अन्य लोगों ने पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया।

इसमें कई प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें दोनों केन्द्र शासित प्रदेशों के विलय के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद किया गया। प्रदेश में मिनी विधानसभा, दोनों संघ प्रदेश का हेडक्वार्टर सिलवासा में रखने समेत कई प्रस्ताव भी पास किए गए। सामान्य सभा में  खानवेल को अलग जिला पंचायत का दर्जा देने, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट के  संदर्भ में ग्राम पंचायत खानवेल एवं खरडपाडा की एक्स-पोस्ट फाक्टो की मंजूरी, पंचायत घर एवं कम्युनिटी हॉल के नवीनीकरण सहित सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सेवाओं एवं भारत सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर चर्चा कर प्रस्ताव पास किया गया। सांसद मोहन डेलकर ने सभी जनप्रतिनिधियों को मार्गदर्शन भी दिया।



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सोमवार, 16 दिसंबर 2019

वापी के बिल्डर गिरिराज जाडेजा पर बलात्कार का आरोप।

वापी के बिल्डर गिरिराज जाडेजा पर बलात्कार का आरोप।

वापी। वापी के एक बिल्डर द्वारा अपनी आफिस में काम करने वाली महिला कर्मचारी के साथ बलात्कार करने का मामला सामने आने के बाद सनसनी मच गई है। पीडि़ता को अपने गर्भवती होने का पता चलने पर उसने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की। जिसके बाद उसे सूरत के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां पर पुलिस की पूछताछ में यह घटना प्रकाश में आई। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडि़ता तीन बच्चों की मां है। उसका छोटा बेटा गांव में उसके माता पिता के साथ रहता है। पति के काम न करने पर महिला ने वापी में आने के बाद एक अस्पताल में नौकरी की। बाद उसे किंग वल्र्ड रियल्टी कंस्ट्रक्शन के मालिक गिरिराज जडेजा के आफिस में नौकरी मिल गई। बिल्डर द्वारा उसे रहने के लिए फ्लैट भी दिया गया था।

पीडि़ता का आरोप है कि एक दिन गिरिराज सिंह जडेजा उसके घर पहुंच गया। उसके बच्चे स्कूल में थे। गिरिराज ने उसके साथ बलात्कार किया और बाद में यह बात किसी को बताने पर नौकरी से निकालने की भी धमकी दी। मजबूरी में महिला चुप रही। जिसके बाद गिरिराज ने उसके साथ कई बार बलात्कार किया। पीडि़ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 21 नवंबर को बिल्डर ने उसे फोन पर कहा कि उसके चार दोस्त उसके घर आ रहे हैं और रात में उन्हें खुश करना होगा। महिला के मना करने पर उसने उसकी पिटाई भी की। जिसके बाद महिला अपनी सहेली के कुछ दिन पहले सूरत चली गई।

यहां उसे अपने गर्भवती होने का पता चलने पर उसने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की। जिसके बाद उसे सूरत के अस्पताल में ले जाना पड़ा। वहां सूचना पर पुलिस ने पहुंचकर उससे पूछताछ की तो सारा मामला सामने आया। इस घटना के प्रकाश में आने पर सनसनी मची है। पीडि़ता का आरोप है कि सूरत आने से पहले जब वह बिल्डर से अपना हिसाब मांगने उसके कार्यालय गई थी तो उसने उसे गोली मारने की धमकी दी थी और रौब गांठते हुए कहा था कि पुलिस और राजनीति में उसकी बहुत पैठ है, उसका कोई कुछ नहीं कर पाएगा। जिससे महिला डरकर सूरत  आ गई थी। वापी पुलिस मामला दर्ज कर आगे की छानबीन में जुटी है।



source https://krantibhaskar.com/vapi-builder-giriraj-jadeja-accused-of-rape/

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

करोड़ों खर्च कर अध्यक्ष बनने का सपना देखने वालों में पहला नाम विशाल का तो दूसरा नायक का…

करोड़ों खर्च कर अध्यक्ष बनने का सपना देखने वालों में पहला नाम विशाल का तो दूसरा नायक का…

दमण। संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अब जल्द होने वाला है। संगठनात्मक चुनाव – 2019 की टिम तैयार हो चुकी है। भाजपा द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव हेतु पर्यवेक्षकों कि सूची भी तैयार कि जा चुकी है। सूची में दादरा नगर हवेली तथा दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुनाव हेतु श्री किशन रेड्डी और संबित पत्रा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। श्री किशन रेड्डी केन्द्रीय राज्य मंत्री है और संबित पत्रा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता।

प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव के लिए भाजपा द्वारा पर्यवेक्षकों कि सूची जारी होने के बाद दादरा नगर हवेली और दमण-दीव संघ प्रदेशों का विलय हो गया, दो संघ प्रदेशों को एक संघ प्रदेश बना दिया गया तो अब यह चर्चा भी है कि संघ प्रदेश एक है तो भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी एक ही होगा।

वैसे दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कि रेस में, वासू पटेल, दीपेश टंडेल, नवीन पटेल, विशाल टंडेल, मनोज़ नायक, तरुणा पटेल, बी-एम माछी के नाम पर जनता में चर्चा हो रही है वही दादरा नगर हवेली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कि रेस में, नटु पटेल, हशमुख भण्डारी, दिग्विजय परमार, दीपक जादव, फतेसिंह चौहान, राकेश चौहान, अनिल पटेल के नाम कि चर्चाए चल रही है। लेकिन अब यदि दादरा नगर हवेली और दमण-दीव का एक प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया तो रेस में किसना नाम सबसे आगे होगा यह कहना तो अभी काफी मुश्किल है।

वैसे चर्चा यह भी है कि जब गोपाल टंडेल को दमण-दीव भाजपा अध्यक्ष बनाया गया तब दमण-दीव में यह चर्चा हुई थी कि 1.5 करोड़ देकर गोपाल टेंडेल अध्यक्ष बने, अब यदि उस वक्त हुई चर्चा को सही माने तो इस वक्त करोड़ों खर्च कर अध्यक्ष बनने का सपना देखने वालों में पहला नाम विशाल टंडेल का लिया जा रहा है और दूसरा नाम मनोज़ नायक का। विशाल टंडेल कुछ वर्ष पहले तक दमण-दीव कांग्रेस अध्यक्ष थे, राजनीति के सारे गुर विशाल ने कांग्रेस से ही सीखे, वह कई बार पूर्व में हुए अपने भाषणों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी माता भी बता चुके है। कुछ वर्ष पहले जब दमण-दीव में विधुत विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर जनता ने भीषण आंदोलन किया उस वक्त विशाल टेंडेल पर कई बार आरोप लगे कि वह दमण-दीव कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बैठ विधुत विभाग के अभियन्ताओं को यूपीए से संरक्षण प्रदान करवा रहे थे। यूपीए का वो दौर सबको याद है जब जनता विधुत विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर सड़कों पर आई उस वक्त दमण-दीव में यह चर्चा भी हो रही थी कि विशाल ने विधुत विभाग के अभियन्ताओं के साथ मिलकर तथा कांग्रेस के पद पर रहकर करोड़ों कि काली कमाई की। विशाल टेंडेल पर लगे आरोपों पर कोई जांच हो उससे पहले ही सरकार बदलते ही विशाल ने पार्टी ही बदल दी। कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा में शामिल होने के कुछ समय बाद विशाल टेंडेल को भाजपा प्रदेश उप प्रमुख का पद दिया गया लेकिन विशाल के एक वीडियो ने उस पद कि गरिमा को ही तार-तार कर दिया, फिर क्या था भाजपा ने विशाल टंडेल से भाजपा प्रदेश उप प्रमुख का पद छिन लिया। कुछ समय बाद पुनः विशाल टंडेल को भाजपा प्रवक्ता का पद दिया गया। जब विशाल टंडेल भाजपा प्रवक्ता बने तो सोशल मीडिया में विशाल टंडेल के सेकड़ों फेल्ट होने के मेसेज व्हाट्सप्प पर वायरल होने लगे। खेर इस वक्त सवाल यह नहीं है कि किस नेता ने पूर्व में क्या किया? सवाल तो यह है कि इस वक्त जिसे अध्यक्ष पद दिया जाएगा वह जनता के लिए क्या करेगा? यह सवाल इस लिए क्यो कि जनता से पक्ष है पार्टी है। ना कि पार्टी और पक्ष से जनता। और केन्द्रीय आला कमान भी इस बात से इंकार नहीं कर सकती। वैसे बात यही खत्म नहीं होती बात अभी बाकी है। राजनीतिक जानकारों कि माने तो पद कि लालसा करने वाले विशाल और नायक को यदि प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं मिला तो उनकी नज़रे जिला अध्यक्ष के पद पर रहेगी, मतलब कि प्रदेश अध्यक्ष के पद कि रेस से बाहर होने पर वह जिला अध्यक्ष कि रेस में जीतने के प्रयास कर सकते है।

वैसे दोनों प्रदेशों के सभी भाजपा नेताओं सूची तैयार कि जाए तो सबसे अनुभवी नेता वासू पटेल, दीपक जादव, अनिल पटेल और नट्टू पटेल है। नट्टू पटेल का नाम इस रेस में इस लिए भी है क्यो कि दोनों प्रदेशों में भाजपा के पास ऐसा और कोई नेता नहीं है जो पूर्व में भाजपा से सांसद का चुनाव जीता हो और जिसे दोनों प्रदेशों कि जनता करीब से जानती हो। हालांकि नट्टू पटेल के लिए लोगों का यह भी कहना है कि उन्हे राजनीतिक संगठन चलाने का अनुभव नहीं है। ऐसे में फिर सवाल वही है कि दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद अब किसे मिलेगा और किसे प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा? लगता है इस सवाल का जवाब उसी वक्त मिलेगा जब प्रदेश अध्यक्ष कि नियुक्ति होगी।

दमण-दीव कि कुत्सित राजनीति और राजनीतिज्ञों पर बड़े खुलासे जल्द…

दादरा नगर हवेली और दमण-दीव में भाजपा संगठन मंत्री विवेक धाड़कर के 8 साल पूरे हो चुके है। दमण के राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि विवेक धाड़कर ने भाजपा कि एक मीटिंग में कहा था कि उन्होने उमेश को 6 लाख का फंड दिया और इसी लिए लालू पटेल कि जीत हुई, अब संगठन मंत्री विवेक धाड़कर कि इस बात का क्या मतलब निकाला जाए? इस चर्चा के बाद सवाल यह भी उठता है कि भाजपा संगठन मंत्री विवेक धाड़कर को फंड कहा से मिला और उन्होने किसके कहने पर भाजपा के विरोधी उम्मीदवार को फंड दिया?

चर्चा यह भी हो रही है कि भाजपा के कई नेता पद और कुर्सी कि सौदेबाजी करते आए है। इतना ही नहीं दमण-दीव कि कुत्सित राजनीति और नेताओं के बारे में भी क्रांति भास्कर कि टिम को काफी चौकाने वाली जानकारिया मिली है। क्रांति भास्कर कि टिम मिली जानकारियों कि सत्यता पर अपनी पड़ताल कर उन्हे भी भाजपा आलाकमान और जनता के सामने रखेगी। शेष फिर।



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गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान लड्डू बाँट रहा…

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान लड्डू बाँट रहा…

दमण। नागरिकता संशोधन विधेयक, लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है। राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में 125 मत पड़े वहीं इसके विपक्ष में कुल 99 वोट पड़े। अब नागरिकता विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। अब राष्ट्रपति के विधेयक पर हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।

नागरिकता संशोधन बिल पास होने कि खुशी में दमण-दीव भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जश्न मनाया गया। जश्न में दमण-दीव भाजपा के कई नेताओं के साथ, अभी कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए जिग्नेश पटेल भी लड्डू एक दूसरे को लड्डू खिलाते दिखाई दिए। आप को बता दे कि यह वही जिग्नेश पटेल है जिनहोने कभी भाजपा और भाजपा के कार्यकर्ताओं को जमकर कोसने का काम किया। जिग्नेश पटेल के पिता और भाई अभी भी कांग्रेस में है लेकिन जिग्नेश पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया।

फोटो में जिस तरह जिग्नेश पटेल दमण-दीव भाजपा नेता वासू पटेल को लड्डू खिलाते दिखाई दे रहे है और विशाल टंडेल जिस तरह जिग्नेश पटेल को लड्डू खिलते दिखाई दे रहे है उसे देख कर लगता है कि “भाजपा माफ़ नहीं करती” यह बात अब पुरानी हो चुकी है। इस कार्यक्रम में जिग्नेश पटेल कि उपसतिथी कई भाजपा कार्यकर्ताओं को खली लेकिन वह पार्टी के फैसले के आगे नतमस्तक दिखे और मन ही मन गुनगुनाने लगे कि “देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान”। जब जिग्नेश पटेल के लड्डू खिलते हुए फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुए तो गाने के लिरिक्स ही बदल गए जनता ने चुटकी लेते हुए इस गाने में थोड़ा बदलाव कर दिया बदलाव यह है कि देख तेरे संसार कि हालत क्या हो गई भगवान लड्डू बाँट रहा… “—”! जनता यह इस लिए कह रही है क्यो कि दमण कि जनता को अभी भी जिग्नेश पटेल और जिग्नेश पटेल के चेले-चमचो कि हफ़्ता वसूली से निजात नहीं मिल पाई है। खेर इस वक्त मामला हफ़्ता-वसूली का नहीं है। मामला तो राजनीति और जश्न का है। भाजपा ने जश्न मनाया, लेकिन अब कार्यक्रम के कुछ फोटो रंग में भंग डाल रहे है तो इसमे कैमरे का क्या दोष! वैसे एक बात तो सही है कि राजनीति में सब मुमकिन है और जिग्नेश पटेल का भाजपा में शामिल होना इस बात का जीता जागता सबूत है।



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कांग्रेस पार्टी के वेणुगोपाल ने कहा शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे

कांग्रेस पार्टी के वेणुगोपाल ने कहा शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे
नई दिल्ली विश्वविद्यालय में  4500 तदर्थ Ad hoc सहायक प्रोफेसरों की बड़ी दयनीय स्थिति है, जो सामाजिक असुरक्षा के बीच विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों / विभागों में लंबे समय से पढ़ा रहे हैं। 2010 के बाद से, विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्तियों के लिए कोई बड़ा अभियान नहीं चला है |  2007 में ओबीसी वर्ग के लिए 27% आरक्षण लागू होने के बाद कॉलेजों और विभागों में रिक्तियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार 10% से अधिक अस्थाई शिक्षकों को नहीं रखा जा सकता किंतु फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय में 50% से अधिक तदर्थ अध्यापकों की संख्या बढ़ गई है  | गैर-स्थायी शिक्षकों के लिए स्वीकृत पदों के अधिकतम 10% के अनुमत यूजीसी मानदंड का उल्लंघन है। यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंड यूजीसी नेट / जेआरएफ, एम फिल, पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरेट आदि जैसी सभी अपेक्षित शैक्षणिक योग्यताएं पूरी करने के बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय में  इन शिक्षकों को भेदभाव के तहत सेवा करने के लिए मजबूर किया जाता है |  दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से  यूजीसी के दिशा-निर्देशों, विभिन्न कानूनी आदेशों और समान काम के लिए समान वेतन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले पर्याप्त पदों पर पिछले कई वर्षों से तदर्थ अध्यापकों  का शोषण किया जा रहा है |  ये शिक्षक कई लाभों से वंचित हैं जैसे, वार्षिक वेतन वृद्धि, मातृत्व अवकाश, करियर में वृद्धि, और चिकित्सा लाभ और यहां तक ​​कि गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार से भी वंचित हैं। तदर्थ शिक्षकों का कार्यकाल चार महीने के लिए निर्धारित किया जाता है, जो कि संतोषजनक सेवा रिकॉर्ड और साक्षात्कार के आधार पर आगे बढ़ाया जाता है | जो भी राजनीतिक प्रशासकों के रहमों करम पर निर्भर करता है |  दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों की शोषणकारी और अमानवीय सेवा की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  तदर्थ महिला शिक्षक अपनी गर्भावस्था की अवधि के दौरान कुछ समय  के लिए सेवा छोडने  के लिए मजबूर होती हैं |
बच्चे को जन्म देने के बाद अध्यापन कार्य में सेवा देने  का विकल्प हमेशा के लिए छिन जाता है |   अध्यापन कार्य में  तदर्थ अस्थाई शिक्षक की प्रथा  इतनी गंभीर है कि यह न केवल तदर्थ अस्थायी शिक्षकों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि देश के गुणवत्ता और सस्ती उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान  के शिक्षण-गुणवत्ता वाले शिक्षण वातावरण के लिए भी प्रतिकूल है।  विश्वविद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए  अनेक बार  विज्ञापनों के नाम पर फार्म शुल्क वसूला गया  लेकिन नियुक्तियां हर बार खाली रही | दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय को 31 जुलाई 2017 तक इन सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिये  गए किंतु  फिर इन पदों को स्थायी आधार पर भरने में असफल रहे हैं |  उच्च शिक्षा के अधिकांश सार्वजनिक वित्तपोषित संस्थानों को संकायों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और इनमें से अधिकांश को तदर्थ / अनुबंध के आधार पर असुरक्षित कार्यकाल के साथ नियोजित किया गया है। जैसा कि जीओआई की विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार  अकादमिक पेशे की लोकप्रियता में लगातार गिरावट दर्ज की है।
 सरकार ने इससे पहले कई बार अस्थाई शिक्षकों को नियमित करने के ऐतिहासिक कदम उठाए हैं | दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐसे कदम वर्ष 1979-80,1987-88, 1998-99 और 2003 में उठाए गए थे (अस्थायी अध्यादेश, XIII-A (Ord.13-A), सभी अस्थायी शिक्षकों को  स्थायी किया गया |  राजस्थान सरकार ने 2010 अध्यादेश 200 के माध्यम से अस्थायी शिक्षकों को स्थाई  किया था | पश्चिम बंगाल में  महाविद्यालयों के शिक्षक सेवाओं को २०१० में नियमित किया गया। यू.पी., हिमाचल प्रदेश और हरियाणा सरकार (हरियाणा अधिसूचना के मुख्य सचिव: 6/7 / 2014-1-G.S-I दिनांक 16-6-2014) ने भी इस तरह की सकारात्मक पहल की है। पंजाब सरकार ने 2013 में नियमित करने का  कार्य  किया है।


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दमण में मीटर रीडिंग के नाम पर जनता के लाखों रुपये स्वाहा…

दमण में मीटर रीडिंग के नाम पर जनता के लाखों रुपये स्वाहा…

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव विधुत विभाग के अभियन्ताओं कि ख़राब कार्यप्रणाली देखकर लगता है विधुत विभाग में घोटाले का दौर अब भी जारी है। जानकारी मिली है कि दमण विधुत विभाग ने किसी निजी कम्पनी को घरेलू और आवासीय कनेकसन के मीटर कि रीडिंग का ठेका दिया है। ठेका कितने में दिया और ठेका देने में कितने नियमों कि अनदेखी हुई यह सवाल तो है ही लेकिन यह सवाल भी है कि जब दमण-दीव विधुत विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारी है तो उसने किसी निजी कम्पनी को मीटर कि रीडिंग के लिए ठेका क्यो दिया और यदि पर्याप्त कर्मचारी नहीं है तो विभाग नई भर्ती क्यो नहीं कर रही?

बताया जाता है कि नानी दमण में दिलीप नगर के पास स्थित किसी पार्थ इलेक्ट्रिकल कम्पनी को मीटर रीडिंग का ठेका दिया गया है ठेकदार का नाम जीतू बताया जाता है और जीतू दमन-दीव विधुत विभाग के पुराने तिकड़मी एजेंट अनिल मालवीय का खास बताया जाता है। जानकारी यह भी मिली है कि पार्थ इलेक्ट्रिकल के मालिक जीतू ने भी अपने कर्मचारियों को रीडिंग के लिए एक अलग से ठेका दे रखा है, मतलब कि कर्मचारियों को बता दिया गया कि रीडिंग लाओं और पैसे ले जाओ, जो जितनी अधिक रीडिंग लाएगा उसे उतना अधिक पैसा मिलेगा। ठेकदार रीडिंग लाने वाले कर्मचारियों को 3 रुपये से 4 रुपये प्रति रीडिंग के हिसाब से देकर अपना उल्लू सीधा कर रहा है और अभियंता सबकुछ जानते बुझते जनता के लाखों रुपये स्वाहा होते देख रहे है। हो ना हो इस मामले में अवश्य बड़ा भ्रष्टाचार छुपा है क्यो कि दमण विधुत विभाग कि वेबसाइट के अनुसार 40502 घरेलू और आवासीय कनेकसन है बताए जाते है। वैसे अब ठेकदार अपने कर्मचारियों को एक रीडिंग के लिए कितने पैसे दे रहा है यह जानकारी तो सामने आ गई। लेकिन विधुत विभाग ठेकदार को एक रीडिंग के लिए कितने पैसे दे रहा है यह जानकारी सामने आना अभी बाकी है।

जानकारी यह भी मिली है कि रीडिंग से संबन्धित अधिकतर कामकाज कनिय अभियंता भावेश जोशी और कनिय अभियंता मेहुल टण्डेल देखते है दोनों ही कनिय अभियंता वर्क-चार्ज पर बताए जाते है। जोशी घरेलू और आवासीय कनेकसन और मेहुल कमर्शियल। पार्थ इलेक्ट्रिकल को जो रीडिंग का कोंटरेक्ट दिया गया है वह घरेलू और आवासीय कनेकसन का है और घरेलू और आवासीय कनेकसन का काम काज जोशी के पास है। अब सवाल यह उठता है कि विभाग के पास मीटर रीडिंग के लिए कितने आदमी है और वह कितने मीटर कि रीडिंग लेते है तथा यह कैसे तय करते है कि ठेकदार के आदमियों ने कितने मीटर कि रीडिंग ली और उन्हे कितना भुगतान करना है? मामला काफी पैचीदा है क्यो कि मीटर रीडिंग का काम विधुत विभाग के कर्मचारी भी करते है। कही ऐसा तो नहीं कि मीटर कि रीडिंग सरकारी कर्मचारी ले रहे हो और ठेकदार बिना कुछ किए विभाग को बिल देकर पैसा ले रहा हो? ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी। हकीकत क्या है जांच के बाद पता चलेगा। इस लिए उक्त मामले में विधुत सचिव को जांच करनी चाहिए वह यदि व्यस्त है तो किसी जांच एजेंसी से भी जांच करवा सकते है लेकिन मामले को देखकर लगता है कि जांच में जितनी देरी होगी उतना ही जनता के धन का गमन अधिक होगा, इस लिए बेहतर है यही है कि विधुत सचिव इस मामले कि जांच जल्द करवा ले क्यो कि प्रशासक प्रफुल पटेल ने जांच शुरू कि तो वीर जांच कि आंच विधुत सचिव तक आणि तय है।



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दमण-दीव विधुत विभाग में, सहायक अभियंता के पद 4 और नियुक्तियाँ 7, इसे कहते है नियमों को धतता बताना!

दमण-दीव विधुत विभाग में, सहायक अभियंता के पद 4 और नियुक्तियाँ 7, इसे कहते है नियमों को धतता बताना!

दमण। जब भी दमण-दीव विधुत विभाग के कार्यपालक अभियंता का नाम सामने आता है तो पूर्व में हुए आंदोलन के वो तमाम दृश्य सामने आ जाते है जो विभाग और विभागीय अभियन्ताओं कि खराब कार्यप्रणाली पर अंकुश लगाने के लिए जनता ने किए। कार्यपालक अभियंता मिलिंद रामभाऊ इंगले द्वारा कि गई कई गड़बड़िया भी समय समय जनता और प्रशासन के सामने आती रही, एक बार उनही गड़बड़ियों के चलते इंगले से कार्यपालक अभियंता का प्रभार भी ले लिया गया था, लेकिन थोड़े समय बाद पुनः इंगले कुर्सी के गणेश हो गए। वैसे इस वक्त विधुत विभाग से जुड़ी जो जानकारिया सामने आई है उन्हे देखकर लगता है कि इंगले भी वही है और अभियन्ताओं कि कार्यप्रणाली भी वही यदि कुछ बदला है तो अनियमितताओं पर आवाज उठाने वालों कि नियत और चहरे।

खेर दमण-दीव विधुत विभाग कि वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार दमण में कुल 3 और दीव में 1 सहायक अभियंता का पद है और कनिय अभियंता के दमण में 13 और दीव में 5 पद है। जबकि दमण-दीव विधुत विभाग द्वारा हरीश टंडेल, अनिल बमणिया, के-के भास्करन, सुरेश पटेल, योगेश त्रिपाठी, एम सोलंकी, परेश पटेल को सहायक अभियंता का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अब सवाल यह है कि जब दमण-दीव विधुत विभाग अपनी वेबसाइट पर सहायक अभियंता के 4 पद होने कि जानकारी दे रहा है तो उसने 7 सहायक अभियंता कैसे नियुक्त किए? क्या विभाग के कार्यपालक अभियंता जिसे चाहे सहायक अभियंता का अतिरिक्त प्रभार दे सकते है? जितने चाहे उतने सहायक अभियंता नियुक्त कर सकते है? यदि कार्यपालक अभियंता 4 कि जगह 7 सहायक अभियंता नियुक्त कर सकते है तो विधुत सचिव 1 कि जगह 2 कार्यपालक अभियन्ताओं कि नियुक्ति क्यों नहीं करते? 1 कार्यपालक अभियंता दमण के लिए और 1 कार्यपालक अभियंता दीव के लिए।

संघ प्रदेश दमण-दीव विधुत विभाग में अनियमिताओं को दौर जारी है। विभाग में अधिकारियों कि कमी और अतिरिक्त प्रभार का खेल अपने शबाब पर है, भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया है कि अधिकारियों को ना जांच एजेंसियों का खोफ़ रहा है ना प्रशासक के कोप का।

वैसे जानकारी यह भी मिली है कि उक्त 7 के 7 सहायक अभियन्ताओं के पास केवल सहायक अभियंता का अतिरिक्त प्रभार है मतलब कि उक्त सभी अभियंता वैसे तो कनिय अभियंता है लेकिन साहब कि साहेबगिरी ने उक्त सभी कनिय अभियन्ताओं को सहायक अभियंता का अतिरिक्त प्रभार देकर, सहायक अभियंता नियुक्त कर दिया।

यह गोलमाल देखकर जनता जानना चाहती है कि जब कनिय अभियन्ताओं को रातो-रात सायहक अभियंता का प्रभार दे दिया गया तो कोंटरेक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित क्यो नहीं किया जाता? क्यों कार्यपालक अभियंता विभाग के खाली पड़े पदों पर नियुक्तियाँ नहीं कर रहे है? दमण-दीव विधुत विभाग में एक भी नियमित सहायक अभियंता नहीं है मतलब यदि विधुत विभाग के कार्यपालक अभियंता चाहे तो दमण-दीव विधुत विभाग में सहायक अभियंता पद पर नई नियुक्तिया कि जा सकती है। वैसे दमण-दीव विधुत विभाग कि वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार सब-डिवीजन-2 यानि दीव में सहायक अभियंता के पद पर परेश पटेल, कनिय अभियंता के पद पर अजय पटेल, मितेश पटेल और राजु वाला, यह कुल 4 अभियंता नियुक्त है जबकि दीव में कुल 1 सहायक अभियंता तथा 5 कनिय अभियंता का पद बताया जाता है। मतलब दीव में एक कनिय अभियंता कम है। अब ऐसा क्यो? यह तो विभाग के मुख्या ही बता सकते है। लेकिन उक्त पूरे मामले को देखकर लगता है कि दमण-दीव विधुत विभाग नियमों कि राह पर नहीं बल्कि कार्यपालक अभियंता मिलिंद रामभाऊ इंगले द्वारा दिए गए निर्देशों कि राह पर चल रहा है और कार्यपालक अभियंता मिलिंद इंगले को इसके लिए प्रशासन कि और से पूरी छूट मिली हुई है।



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मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ से प्रेरित अवार्ड समारोह में रियल लाइफ हीरोस को किया गया सम्मानित

‘मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ से प्रेरित अवार्ड समारोह में रियल लाइफ हीरोस को किया गया सम्मानित
डूंगरपुर: नेशनल एनजीओ पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) और जतन संस्थान ने एक साथ मिलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉल में, मुख्य अतिथि व चेयरमैन केके गुप्ता और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के कार्यक्रम अधिकारी  नीरज गुप्ता की उपस्थिति में रियल लाइफ हीरोस को सम्मानित करने के लिए एक अवार्ड्स समारोह का आयोजन किया। इन पुरस्कारों को लोकप्रिय एडुटेनमेंट शो ‘ मैं कुछ भी कर सकती हूँ’ के संदेश को आगे ले जाने के विचार से होस्ट किया गया|

इस समारोह  में, जतन संस्थान के एक सदस्य, राजदीप सिंह, ने बताया कि उनका संघ किशोर स्वास्थ्य, पोषण, परिवार नियोजन की बेहतरी के लिए काम कर रहा है, साथ ही साथ लगभग 40 गांवों में बाल विवाह, हिंसा, लिंग-भेदभाव और व्यसन का उन्मूलन कर रहा है। । समारोह में अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया, जिसमें किशोर और किशोरिया शामिल हैं जिन्होंने अपने-अपने गांवों में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत की है। इसके अलावा, पीएफआई के नीरज गुप्ता ने समरोह में किशोर के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व को साझा किया। जतन संस्थान पिछले 4 महीनों से राजस्थान के 40 गांवों में घरेलू हिंसा, अनियोजित गर्भावस्था और परिवार नियोजन जैसे मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने की दिशा में काम कर रहा है।

पुरस्कारों की प्रभारी अंजू कुंवर और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के अधिकारी लोकेश पांडे ने  साथ मिलकर, पुरस्कारों में उपस्थित युवा लड़के और लड़कियों के साथ बातचीत की और उजाला क्लिनिक के माध्यम से प्रेरक कहानियां साझा कीं।


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दिल्ली विश्वविद्यालय में Ad hoc अध्यापकों को परमानेंट करने के लिए सड़कों पर उतरे 8000 से अधिक शिक्षक

दिल्ली विश्वविद्यालय में Ad hoc अध्यापकों को परमानेंट करने के लिए सड़कों पर उतरे 8000 से अधिक शिक्षक

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में फिलहाल 5000 से अधिक तदर्थ अध्यापक अध्यापन का कार्य  कर रहे थे | सरकार ने अचानक 28 अगस्त को फरमान जारी करके सभी तदर्थ अध्यापकों को नौकरी से वंचित कर दिया | जिससे शिक्षक आक्रोशित होकर सड़कों पर उतर गए हैं | दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA)भी फिलहाल तदर्थ अध्यापकों को नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर गई है |  दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल मीणा ने बताया कि AAD संगठन के चेयरमैन आदित्य नारायण मिश्रा ने तदर्थ  अध्यापक जब तक नियमित नहीं हो जाती तब तक उनके साथ सड़कों पर आंदोलन करते रहेंगे | दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ की व्यवस्था होने के कारण शिक्षक अनिश्चितता के दौर में गुजरता है| प्रत्येक 4 महीने बाद उसको विश्वविद्यालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है |  इस तरह अनिश्चितता के कारण वह अपनी    पारिवारिक द नीतियां बनाने में  असमर्थ रहता है | तदर्थ व्यवस्था के कारण कई अध्यापकों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं | कई मामले मानसिक शोषण के सामने आए हैं जिसके कारण दिल्ली विश्वविद्यालय  की शैक्षणिक प्रक्रिया पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है | हर बार उनको दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन के चुनावों के आसपास उनको नियमित करने का सपना दिखाया जाता है,     हर बार उसको निराशा हाथ लगती है | अध्यापक इसलिए मांग कर रहे हैं क्योंकि देश के कई विश्वविद्यालयों में नियमित होने का  कार्य हो चुका है | जब देश की जगह जगह विश्वविद्यालय में यह हो चुका है तो सरकार क्यों दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ अध्यापकों को नियमित नहीं करना चाहती ? डॉ डॉनिल मीणा ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने पहले भी कई बार गेस्ट टीचरों को परमानेंट किया है कांग्रेस ने हाल फिलहाल में मध्यप्रदेश और  राजस्थान के गेस्ट टीचर को नियमित  करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है | डॉ अनिल मीणा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में तदर्थ अध्यापकों को नियमित करने  की घोषणा की थी | कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला नहीं और तदर्थ अध्यापक आज भी सड़कों पर भटक रहे हैं | जिससे दिल्ली विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है | दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ  अध्यापकों ने कहा है कि जब तक उनको  नियमित नहीं कर दिया जाए  तब तक वह वाइस चांसलर हाउस के सामने सड़कों पर कड़ाके की ठंड में आंदोलन करते रहेंगे | डॉ अनिल मीणा ने बताया कि राष्ट्र निर्माण में सबसे ज्यादा जिसका योगदान होता है वह शिक्षक है | आज सरकार की रणनीतियां शिक्षकों के खिलाफ है, जिसके कारण  शिक्षक सड़कों पर हैं |  फिलहाल देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, राष्ट्र निर्माण करने वाला शिक्षक सड़कों पर भटक रहा है  | सरकार की फिलहाल रणनीतियां शिक्षा को उद्योग के रूप में स्थापित करके कुछ गिने-चुने चंद उद्योगपतियों के हाथों बेचने की है जिसके परिणाम स्वरूप देश का बहुसंख्यक वर्ग शिक्षा से वंचित होने  का षड्यंत्र  शुरू कर दिया है   दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक सड़कों पर इसलिए उत्तर रहे हैं कि यदि शिक्षा व्यवस्था इसी तरह से बर्बाद हो गई तो आने वाली पीढ़ियों को वह क्या जवाब देंगे ?



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प्रशासक प्रफुल पटेल की एक और पहल कामयाब, पुर्तगाल की नागरिकता के लिए गोवा जाने की जरूरत नही।

प्रशासक प्रफुल पटेल की एक और पहल कामयाब, पुर्तगाल की नागरिकता के लिए गोवा जाने की जरूरत नही।

दमण। संघ प्रदेश दानह और दमण दीव प्रशासक प्रफुल पटेल की एक और पहल कामयाब रही है। अब पुर्तगाल की नागरिकता हासिल करने के लिए दमण वासियों को गोवा जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। छह महीने में ही दमण वासियों के लिए इसके लिए कैम्प लगेगा। पहले साल में एक ही बार  कैम्प लगाया जाता था। लेकिन अब दो बार कैम्प लगाया जाएगा। यह कैम्प इस मंगलवार से शुरू होगा।  मंगलवार सुबह 9.00 बजे से शाम 05.30 बजे तक पुर्तगाल दूतावास से आए लुईस नोरते कान्सुलेट जनरल ऑफ पुर्तगाल और उनके दो सहयोगी मोटी दमण समाहर्तालय के सभागार में पुर्तगाली नागरिकता संबंधी कागजातों की जांच पड़ताल करेंगे। इस कारण लुईस नोरते दमण और दीव तथा दानह के प्रशासक प्रफुल पटेल से शिष्टाचार भेंट भी की।



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रविवार, 8 दिसंबर 2019

आयकर विभाग कि 39 ठिकानों पर छापेमारी।

आयकर विभाग कि 39 ठिकानों पर छापेमारी।

दिल्ली, प्रेट्र। आयकर विभाग ने कर चोरी के मामले में बीएसई से जुड़े कुछ ब्रोकर और कारोबारियों के 39 ठिकानों पर छापा मारा है। इन कारोबारियों पर 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेनदेन में कर चोरी का आरोप है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को यह जानकारी दी। सीबीडीटी ने बताया कि मुंबई, कोलकाता, कानपुर, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, हैदराबाद और गाजियाबाद स्थित 39 ठिकानों पर तीन दिसंबर को छापे मारे गए थे। बोर्ड ने बताया कि ये शेयर ब्रोकर और कारोबारी इक्विटी डेरिवेटिव सेग्मेंट के लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते थे तथा बहुत छोटे समय अंतराल में रिवर्स ट्रेड करते हुए नकली नफा-नुकसान दर्शाते थे। ऐसा करते हुए इन्होंने इस तरह के नफा-नुकसान के मद में 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बचा ली। यदि यह ट्रेडिंग नियमों के अनुरूप होती तो उन्हें इस राशि पर कर का भुगतान करना पड़ता।

बताया जाता है कि इस तरह की गतिविधियों से फायदा उठाने वालों की संख्या हजार से ज्यादा हो सकती है। फायदा उठाने वाले पूरे देश में फैले हो सकते हैं। इनकी पहचान की कोशिश की जा रही है। साथ ही यह जानने का प्रयास भी हो रहा है कि किसने कितना लाभ कमाया। छापे में 1.20 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी भी बरामद हुई है। सीबीडीटी ने बताया कि छापे में कई दस्तावेज और प्रमाण मिले हैं। प्रत्यक्ष कर के विभिन्न नियमों के आधार पर इनकी जांच की जा रही है। आयकर विभाग द्वारा कि गई इस छापेमारी के बाद हड़कंप मच गया है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इस तरह कि और कई छापेमारी देखने को मिल सकती है।



source https://krantibhaskar.com/raids-on-39-locations-of-income-tax-department/

राष्ट्रपति के पास पहुंचा दानह, दमण-दीव विलय बिल

राष्ट्रपति के पास पहुंचा दानह, दमण-दीव विलय बिल

दानह। दादरा नगर हवेली, दमण-दीव एकीकरण का बिल राज्यसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दिया गया है। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद बिल को संवैधानिक मंजूरी मिल जाएगी। जानकारी के अनुसार करीब 58 वर्ष पहले दोनों केन्द्र शासित प्रदेश अलग अलग संघ प्रदेश के तौर पर 1961 में भारतीय गणराज्य में सम्मिलित हुए थे। संयुक्त नई यूटी का नाम दादरा नगर हवेली, दमण-दीव होगा। यह मुंबई हाइकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में ही रहेगा। जानकारी के अनुसार संयुक्त यूटी में दादरा नगर हवेली, दमण व दीव के कलेक्टर मुख्यालय अपनी जगह पहले की तरह बने रहेंगे। राज्यों की तरह कलक्टर की जिम्मेदारी और बढ़ जाएगी।

नये संघ प्रदेश की राजधानी दमण में होगी, जिससे दमणवासियों को विलय के बाद कोई परेशानी नहीं होगी। दादरा नगर हवेली 491, दमण, दीव 110 वर्ग किमी में बसा हुआ है। दादरा नगर हवेली में अनुसूचित जनजाति 43 प्रतिशत हैं जबकि दमण दीव में 9 प्रतिशत हैं। दोनों प्रदेश एक होने से सरकारी योजना व सेवा में आरक्षण का अधिकाधिक फायदा दमण को ही मिलेगा। प्रशासनिक कार्यो के लिए दादरा नगर हवेली की जनता को दमण जाना पड़ेगा। खास बात यह है कि विधेयक का दादरा नगर हवेली के किसी राजनैतिक दल, जनप्रतिनिधि व समाजसेवी संस्था ने विरोध तक नहीं किया। संसद में दादरा नगर हवेली व दमण-दीव के सांसदों ने संघ प्रदेशों के विलयकरण पर खुशी जताई है, तथा निकट भविष्य में मिनी असेम्बली के लिए योग्य कदम बताया है।



source https://krantibhaskar.com/daman-diu-merger-bill-reached-to-president-of-india/

उप समाहर्ता ने चाल मालिकों को स्वच्छता रखने का दिया निर्देश।

उप समाहर्ता ने चाल मालिकों को स्वच्छता रखने का दिया निर्देश।

दमण। सोमनाथ ग्राम पंचायत स्थित डीआईए हॉल में बैठक के दौरान उप समाहर्ता और श्रम उपायुक्त चार्मी पारेख ने चाल मालिकों को स्वच्छता बनाये रखने की नसीहत दी। उन्होंने चाल मालिकों को स्वच्छता बनाये रखने के साथ प्राथमिक सुविधाओं के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि चाल में स्वच्छता, रूम में लाइट, पानी की व्यवस्था समेत जरुरी  बुनियादी सुविधाओं के इंतजाम पर जोर दिया। उन्होंने चाल मालिकों को स्पर्श योजना की जानकारी देते हुए कहा कि ओआईडीसी ने श्रम योगी आवास बनाएं है, जो स्वच्छ एवं हवादार है। बताया गया कि स्पर्श योजना की तरह इसे बनाने पर श्रम विभाग एक यूनिट पर 2500 रूपए सब्सिडी भी देगा और  चाल मालिकों को इसका लाभ लेना चाहिए। इस बैठक में  चार्मी पारेख ने चाल मालिकों को स्वच्छता बनाये रखने की सख्त हिदायत दी। इस कार्यक्रम में बीडीओ प्रेमजी मकवाणा, पंचायत सेक्रेटरी शिवांग पटेल समेत कई चाल मालिक तथा ग्रामीण  उपस्थित थे।

  • एक यूनिट पर 2500 रूपए सब्सिडी के बारे में दी गई जानकारी।
  • 128 चाल मालिक बैठक में शामिल। खेती कि जमीन पर बनी चाल का क्या होगा? यह सवाल अब भी कायम।

उक्त बैठक के बाद जानकारी मिली है कि उक्त बैठक में लगभग 128 रूम मालिकों ने हिस्सा लिया। बताया यह भी जाता है कि जिन रूम मालिकों ने बैठक में हिस्सा लिया उनमे से कई रूम, चाल खेती कि जमीन पर बने है अब इस बैठक में अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि खेती कि जमीन पर बने रूम का क्या होगा? क्या प्रशासन उन्हे अवैध करार कर कार्यवाही करेगी या फिर खेती कि जमीन पर बने रूम और चाल को वैध करार किया जाएगा? शायद इन सवालों के जवाब जनता के मन में उठ रहे सवालों का अंत करने के लिए उप समाहर्ता को एक और बैठक का आयोजन कर जनता को खेती कि जमीन पर किए गए अवैध निर्माण के बारे में भी जानकारी देकर सब कुछ स्पष्ट कर देना चाहिए।

 

 



source https://krantibhaskar.com/deputy-collector-instructed-to-keep-the-chalice-owners-clean/

शनिवार, 7 दिसंबर 2019

बिल्डरों को मिली छापेमारी की गुप्त सूचना, सबने अपने अपने तरीक़े से ठिकाने लगाए काले धन के काले कागजात।

बिल्डरों को मिली छापेमारी की गुप्त सूचना, सबने अपने अपने तरीक़े से ठिकाने लगाए काले धन के काले कागजात।

वापी। आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हे पता है बिल्डर करोड़ों कि जमीन खरीदकर केवल चंद लाख का रजिस्ट्रेशन करते है और बाकी कि रकम का लेन-देन नगद में कर लिया जाता है, उन्हे यह भी पता है कि बिल्डर इमारत में बनी फ्लेट और दुकान कि बिक्री में काले-धन कि लेन-देन करता है। लेकिन सबूत ना होने के कारण वह कुछ नहीं कर सकते। अगर कोई उन्हे बैठे बिठाए उनके वातानुकूलित कार्यालय में ठोस सबूत लाकर देगा तो वह अवश्य कार्यवाही करने के लिए गांधीनगर में बैठे अपने डीजी साहब से मामले में जांच करने और छापेमारी करने कि इजाज़त मंगेगे और डीजी साहब से आदेश मिलने के बाद ही कार्यवाही या छापेमारी करेंगे। अब इसका तो यही मतलब निकलता है कि वापी में बैठे आयकर अधिकारी केवल दर्शक बने रहना चाहते है? यदि उन्हे सभी सबूत, बिना कुछ किए उनके वानुकूलित कार्यालय में मिले तो ठीक है अन्यथा जैसे चल रहा है वैसे ही चलता रहेगा। खेर अब सवाल यह उठता है कि वलसाड, वापी, दमण और दादरा नगर हवेली के बिल्डरों द्वारा कि जा रही काले-धन कि लेन-देन पर अंकुश कैसे लगेगा?

सबकुछ डीजी साहब के हाथ में है तो फ़िर वापी में आयकर विभाग के दर्जनों अधिकारी क्या केवल स्वांग के लिए है?

वलसाड, वापी, दमण और दादरा नगर हवेली में दर्जनों ऐसे बिल्डर है जिनकी टैक्स चोरी के चर्चे कई बार बाजार गर्म कर चुके है और सेकड़ों ऐसे निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है जिनमे अभी भी काले-धन कि लेन-देन जारी बताई जाती है। क्रांति भास्कर द्वारा भी कई बार बिल्डरों कि टैक्स चोरी और काले-धन कि लेन-देन पर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित कि गई अपने पिछले अंक में भी क्रांति भास्कर ने अपनी खोजी पत्रकारिता के तहत वलसाड, वापी, दमण और दादरा नगर हवेली के कई बिल्डरों के प्रोजेक्टों में करोड़ों कि टैक्स चोरी का खुलासा किया था। लेकिन टैक्स चोरी पकड़ने वाले आयकर अधिकारियों का कहना है उनके पास कोई सबूत नहीं है। अब यह कितने कमाल कि बात है कि जिन टैक्स चोर बिल्डरों कि जानकारी वापी कि आम जनता को है उन टैक्स चोर बिल्डरों कि जानकारी आयकर विभाग के बड़े बड़े अधिकारियों को नहीं! कही ऐसा तो नहीं कि आयकर विभाग के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच पहले से कोई साठ-गांठ है? अब यह सवाल क्यो तो आप को बता दे कि बीते दिनों वापी के एक बड़े बिल्डर को यह सूचना मिली थी कि आयकर विभाग कभी भी उक्त बिल्डर के यहां छापे-मारी कर सकती है।

Income tex Office Vapi
Income tex Office Vapi

सूचना के बाद आनन-फ़ानन में बिल्डर ने रातो-रात अपने कार्यालय का हुलिया बदल डाला, काले-धन कि लेन-देन और टैक्स चोरी से संबन्धित सभी दस्तावेज़ अपने मुख्य कार्यालय से कही और किसी अन्य स्थान पर सिफ्ट कर दिए। उसके बाद भी टैक्स चोर बिल्डर का भय कम नहीं हुआ, आयकर विभाग कि छापे-मारी कि सूचना ने बिल्डर को इतना भयभीत कर दिया कि बिल्डर ने अपने कर्मचारियों के मोबाइल फोरमेट करवा दिए, ताकि यदि आयकर विभाग छापेमारी करें तो कर्मचारियों के मोबाइल द्वारा आयकर विभाग को टैक्स चोरी का कोई सुराख ना मिली, मोबाइल फोरमेट के बाद बिल्डर ने अपने कई कर्मचारियों को नए मोबाइल खरीद कर दिए, जिससे कि उनके मोबाइल में बिल्डर कि कोई ऐसी जानकारी ना रहे जो छापेमारी के दौरान बिल्डर को बड़ा टैक्स चोर साबित कर दे। इतना ही नहीं कर्मचारियों को छापे-मारी के दौरान आयकर विभाग द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। हालांकि इसके अलावे भी बिल्डर के कार्यालय में ऐसी कई चौकाने वाली गतिविधियां हुई जो सिर्फ टैक्स चोरी या आयकर कि रेड के चलने हुई हो यह संभव नहीं, अवश्य टैक्स चोरी के अलावे कई और राज़ भी कैद है बिल्डर के कार्यालयों में और क्रांति भास्कर कि खोजी टिम उस राज़ का पर्दाफास भी कर के रहेगी! वैसे इतना सब होने के बाद जब बिल्डर पूरी तरह बे-फिक्र होकर आयकर विभाग कि रेड का इंतजार करने लगा, तो हद ही हो गई, बिल्डर कि सारी मेहनत और प्रशिक्षण पर पानी फिर गया। बिल्डर आयकर विभाग कि छापेमारी कि प्रतीक्षा करता रह गया और आयकर विभाग कि टिम रेड के लिए आई ही नहीं।

टैक्स चोर बिल्डरों के ग्रीन सिग्नल के बाद होगी रेड?

अब जरा सोचिए कि इतना सब कुछ बिल्डर ने किसी ऐसी सूचना के आधार पर तो नहीं किया होगा जिसकी सूचना का कोई ओचित्य ही ना हो? हो ना हो आयकर विभाग में उक्त बिल्डर का एक खबरी अवश्य रहा होगा जिसने बिल्डर को रेड के लिए तैयार रहने कि जानकारी दी! अब अगर जानकारी दी और रेड नहीं हुई तो इसका एक कारण यह हो सकता है कि जानकारी देने वाले को यह पता ही ना हो कि रेड किसके यहां होने वाली है या किसके रेड कि तैयारी हो रही है? हो सकता है जानकारी देने वाले को सिर्फ इतना पता हो कि कही ना कही रेड होने वाली है और रेड कि तैयारी चल रही है? हो सकता है कही ना कही रेड होने वाली है इस सूचना को बिल्डर ने यह समझ लिया हो कि रेड उसके यहां होगी? और यह भी हो सकता है कि जानकारी देने वाले ने बिल्डर को बिलकुल सही जानकारी दी और जानकारी पाकर टैक्स चोरी के सभी दस्तावेज़ ठिकाने लगाने के बाद बिल्डर ने आयकर अधिकारियों के साथ साठ-गाठ या सेटिंग कर ली और करोड़ों कि टैक्स चोरी में आयकर विभाग के अधिकारियों को भी रिश्वत देकर अपने पक्ष में कर लिया? जिसके चलते रेड हुई ही नहीं? सवाल कई है और बड़ा सवाल यह नहीं है कि इस सब के बाद भी उक्त बिल्डर के यहां रेड क्यो नहीं हुई? रेड तो जब होनी है तब होगी।

जनता से काला धन वसूलना बिल्डर के लिए बाए हाथ का खेल, टैक्स चोरी पकड़ने वाले अधिकारियों काला-धन वसूलना बिल्डर के लिए नामुमकिन!वित्त मंत्री श्री निर्मला सीतारमण को चाहिए कि देश के बड़े बड़े आयकर अधिकारियों पर अपनी पेनी नजरे रखे और समय रहते आयकर अधिकारियों तथा आयकर अधिकारियों के सगे-संबंधी कि संपत्ति कि जांच शुरू करें, जिससे देश को चुना लगाने वालो पर नियमानुसार कार्यवाही कि जा सके।

सवाल तो यह है कि बिल्डर को सूचना किसने दी और किन दामों दी और क्या भविषय में भी बिल्डर को ऐसी ही सूचनाएँ मिलती रहेंगी? इस सवाल के बारे में देश के वित्त मंत्री को भी सोचना चाहिए और इस सवाल का जवाब जानना भारत सरकार के लिए भी आवश्यक है तथा आयकर विभाग के लिए भी साथ ही साथ अनेवेषण विभाग डी जी साहब के लिए भी यह जानना अतिआवश्यक है कि उनके विभाग में बिल्डर का खबरी कौन है? क्यो कि बड़ी पुरानी कहावत है घर का भेदी लंका ढ़ाए! अब आयकर विभाग में घर का भेदी कौन है यह तो स्वय आयकर विभाग के अधिकारियों को पता करना होगा।

यह जानकारी भी जनता के सामने आनी चाहिए।

  • आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग को अब-तक टैक्स चोरी मामले से संबन्धित, कुल कितनी शिकायते मिली?
  • आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के अधिकारियों ने अब-तक स्वय कुल कितने मामलों में टैक्स चोरी कि जानकारी जमा कर भारत सरकार को दी?
  • आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग द्वारा अब-तक, वलसाड, वापी, दमण और दादरा नगर हवेली के कुल कितने बिल्डरों के यहां छापे मारी कि गई और कुल कितनी टैक्स चोरी पकड़ी गई?
  • आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग द्वारा, अब तक कुल कितने मामले में गांधीनगर में बैठे डीजी साहब से जांच कि या छापेमारी कि इजाज़त मांगी और डीजी साहब ने अब तक कुल कितने मामले में जांच और छापेमारी कि इजाज़त दी?

वैसे क्रांति भास्कर कि टिम ने अपनी खोजी पत्रकारिता द्वारा पता किया तो पता चला वापी आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग में कई बिल्डरों का आना जाना लगा रहता है और जिस बिल्डर को छापेमारी कि सूचना मिली वह भी बीते दिनों आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग में चक्कर लगा चुका है यदि आयकर अधिकारी चाहे तो अपने सीसी टीवी फुटेज देख ले, हो सकता है इसके आलवे उन्हे और भी कुछ सुराख मिल जाए। वैसे आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के कार्यालय के दरवाजे सभी के लिए खुले है लेकिन उन सभी कि सूची में उन टैक्स चोर बिल्डरों को शामिल करना कहा तक सही है जो आयकर विभाग के अन्वेषन विभाग कि लिस्ट में थे, है या कभी रहे है? खेर इस पूरे मामले को देखते हुए लगता है कि वापी में स्थित आयकर विभाग का अन्वेषण कार्यालय और इस कार्यालय के अधिकारी कभी भी भविष्य में होने वाली छापे-मारी के बारे में पहले से सूचना का गुप्त प्रसारण टैक्स चोरो को कर सकते है इस लिए आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग के डी जी साहब को चाहिए कि वह इस मामले में कोई ऐसे कदम उठाए जिसके चलते आयकर विभाग का अन्वेषण विभाग छापे-मारी कि सूचना को गुप्त रख सके। शेष फिर।

फिलवक्त आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग में कुल कितने अधिकारी और कर्मचारी है? उक्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम पर और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर कितनी संपत्ति है? क्या किसी ने ऊंचे बाजार भाव वाली जमीन कम कीमत में खरीदी है? यदि इन सवालों का जवाब मिल गया और इन सवालों के आधार पर आयकर विभाग के डी जी साहब ने जांच शुरू कि तो अवश्य यह भी पता चल जाएगा कि आयकर विभाग में टैक्स चोरो का खबरी कौन है।      

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source https://krantibhaskar.com/builders-received-secret-information-of-raids-who-is-the-agent-of-the-builders-in-the-department/

दमण-दीव विधुत विभाग के लाइनमेन परेशान, फ़िर उठी मांग कब होंगे नियमित, 8000 में घर चलना मुश्किल।

दमण-दीव विधुत विभाग के लाइनमेन परेशान, फ़िर उठी मांग कब होंगे नियमित, 8000 में घर चलना मुश्किल।

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव में ऐसे कई विभाग में जिनमे लम्बे समय से कई अधिकारियों, कर्मचारियों का प्रमोशन लंबित है, लेकिन मोटी तंख्वाह और ऊपर कि कमाई के चलते कई अधिकारी प्रमोशन कि परवाह नहीं करते और अपने वरीय अधिकारियों कि चापलूसी कर, अतिरिक्त प्रभार प्राप्त कर लेते है ताकि मोटी तंख्वाह के साथ साथ मोटी मलाई का इंतजाम भी हो जाए। लेकिन इस वक्त बाद उन कर्मचारियों की है जिनके पास ना मोटी तंख्वाह मिलती है ना अतिरिक्त प्रभार।

जानकारी मिली है कि संघ प्रदेश दमण-दीव में कई कर्मचारी वर्क चार्ज पर काम कर रहे है तो कई डेलीवेजस पर। देखने वाली बात यह है कि जब चुनाव आते है तो नेता कहते है सबको नियमित किया जाएगा, लेकिन चुनाव के बाद डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों कि कोई टोह नहीं लेता। अब ऐसा क्यो है और यह कहा तक सही है कि चुनाव में डेलीवेजिस पर काम करने वालों को नियमित करने वादा कर, चुनाव के बाद नेता डेलीवेजिस पर काम करने वाले कर्मचारियों को अपना मुह तक नहीं दिखाते? यह सवाल अब दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले 67 कर्मचारी दमण-दीव के सभी नेताओं से कर रहे है।

वैसे संघ प्रदेश दमण-दीव विधुत विभाग में कुल कितने पद है, कितने अधिकारी अतिरिक्त प्रभार ग्रहण मलाई मार रहे है और कितने कर्मचारी डेलीवेजस के सहारे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए विवश है इसका लेखा-जोखा तो प्रशासन के पास होगा ही, दमण-दीव के नेता भी इस जानकारी से अनभिज्ञ नहीं है। लेकिन क्या प्रशासन को तथा दमण-दीव के नेताओं को इस बात कि जानकारी है कि डेलीवेजस पर काम करने वालों को अपने परिवार के भरणपोषण में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और नियमित होने कि आस में कैसे अब तक कई कर्मचारियों ने अपने जीवन का एक लंबा समय खर्च कर दिया है? क्रांति भास्कर को डेलीवेजस पर काम करने वाले लगभग 67 कर्मचारियों कि जानकारी मिली है।

बताया जाता है कि उक्त 67 कर्मचारी पिछले कई वर्षों से डेलीवेजस पर काम कर रहे है और इन्हे प्रतिमाह लगभग 8000 रुपये वेतन मिलता है अब न्यूनतम वेतन कितना होना चाहिए यह जानकारी भी प्रशासन के पास मौजूद है यदि विधुत विभाग के अधिकारियों को न्यूनतम वेतन कि जानकारी नहीं तो वह एक बार इस विषय में श्रम विभाग से मदद मांग सकती है। लेकिन क्या प्रशासन को यह पता है कि उक्त कर्मचारियों का पी-एफ जमा होता है या नहीं? प्रशासन के पास अवश्य यह जानकारी भी होगी।

  • कब तक डेलीवेजस का दश झेलते रहेंगे विधुत विभाग के 67 कर्मचारी?
  • हम 1 नहीं 67 है फ़िर भी न्याय नहीं मिल रहा: विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले श्रमिक।
  • दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने कि आवश्यकता।

लेकिन शायद जनता यह नहीं जानती होगी कि दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों को पी-एफ नहीं मिलता, मतलब उनका पी-एफ जमा नहीं होता। अब यह कितने कमाल कि बात है कि एक और तो प्रशासन उधोगों को कर्मचारियों का पी-एफ जमा करने कि सीख और नसीहत दे रही है और दूसरी और प्रशासन स्वय अपने ही विधुत विभाग में काम करने वाले गरीब कर्मचारियों का पी-एफ जमा नहीं कर रही है।

Sr. No. NAME Joining
1 Amit T. Patel 23/08/2008
2 AmitKumar N. Patel 17/06/2002
3 Ashok P. Patel 21/07/2002
4 Bharat C. Patel 3/1/2008
5 Bhupendra G. Patel 5/10/2007
6 Chitrang V. Kamil 9/7/2009
7 Dhenesh T. Patel 23/06/2009
8 Dhrmeah B. RANA 21/11/2008
9 Dilip Ramu Patel 27/07/2004
10 Dinesh I. Patel 20/12/2008
11 Dinesh R. Patel 21/09/2008
12 Ditesh M. Patel 10/5/2005
13 Dubar V. Patel 10/6/2005
14 Haresh N. Halpati 25/09/2008
15 Hetal R. Patel 24/06/2009
16 Hitesh R. Halpati 21/06/2009
17 Hitesh R. Halpati 27/01/2006
18 Hitesh R. Patel
19 Hitesh S. Patel 7/6/2006
20 Jayanti D. Patel 30/06/2003
21 Jayhind H. Mitna 21/07/2008
22 Jignesh B. Patel 4/2/2008
23 Jignesh I. Prajapati 25/07/2004
24 Jignesh M. Patel 21/04/2006
25 Jignesh Prajapati 25/04/2007
26 Kailesh A. Halpati 22/07/2005
27 Kamlesh S. Patel 7/2/2005
28 Kapil N. Patel 7/1/2009
29 Kiran G. Patel 16/04/2008
30 Mahesh B. Patel 5/7/2007
31 Mahesh N. Patel 10/7/2009
32 Manoj A. Patel 27/01/2006
33 Nainesh J. Mangela 30/06/2003
34 Nantesh Banu 2/10/2006
35 Naresh M. Dhodi 19/04/2005
36 Naresh R. Patel 8/7/2002
37 Nimesh D. Patel 8/6/2004
38 Nitesh L. Patel 11/7/2009
39 Noronha Agnelo Antonio 1/9/2005
40 Pankaj V. Keni 6/11/2007
41 Pradeep H. Patel 13/12/2006
42 Pradip C. Patel 24/06/2008
43 Prakash M. Halpati 21/07/2009
44 Pramod R. Mitana 20/06/2007
45 Rahul D. Tandel 1/5/2009
46 Rajesh C. Patel 3/1/2007
47 Rajesh M. Patel 9/1/2003
48 Rajesh Natu Patel 22/04/2003
49 Raju B. Patel 21/06/2003
50 Rakesh B. Patel 12/11/2008
51 Satish R. Bhandari 22/04/2003
52 Satish R. Halpati 18/08/2005
53 Shandhya S. Gandhi 20/09/2007
54 Suresh A. Patel 14/08/2007
55 Suresh G. Kamli 6/12/2004
56 Suresh G. Patel 14/08/2007
57 Tarun R. Patel 27/08/2007
58 Trushar C. Patel 27/03/2005
59 Uamesh N. Patel 21/06/2005
60 Umet Hari Mangela 8/2/2005
61 Vijay J. Patel 14/10/2009
62 Vilash N. Patel 11/2/2009
63 Vimal G. Patel 26/01/2007
64 Vinod S. Tandel 26/05/2003
65 Yatin J. Patel 31/12/2008
66 Yogesh G. Patel 21/10/2008
67 Yogesh M. Patel 18/12/2008

 

वैसे यह आलम केवल दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों का है या फिर अन्य विभाग के कर्मचारियों का पी-एफ भी जमा नहीं होता है? इस सवाल का जवाब या तो प्रशासन दे सकती है या फिर पी-एफ विभाग। वैसे प्रशासन के लिए डेलीवेजिस पर काम करने वाले कर्मचारियों का पी-एफ जमा करना अनिवार्य है या नहीं तथा पी-एफ जमा ना करने पर पी-एफ कोई कार्यवाही कर सकता है या नहीं? इस सवाल का जवाब भी या तो प्रशासन के पास है या फिर पी-एफ विभाग के पास। लेकिन डेलीवेजस पर काम करने वाले जिन कर्मचारियों के नाम कि सूची सामने आई है उनमे से कई कर्मचारी तो 15 साल से अधिक समय पहले से काम कर रहे है अब यदि नियमित उनका पी-एफ जमा होता तो अब तक पी-एफ कि रकम कितनी हो चुकी होती? यह सवाल अब उक्त सभी कर्मचारियों के मन में है जो सालों से नियमित होने कि आस लगाए बैठे है और जिनहे समय समय पर सालों से नियमित करने का आश्वासन दिया जाता रहा है।

संघ प्रदेश दमण-दीव के नेताओं को इस मामले में राजनीति से ऊपर उठकर दमण-दीव प्रशासन तथा विधुत विभाग से उक्त मामले में बात-चित कर सभी डेलीवेजिस कर्मचारियों को न्याय देने कि आवश्यकता है यदि न्याय उन्हे नियमित होने का हक देता है तो कर्मचारियों को नियमित ना करना, कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा!



source https://krantibhaskar.com/linemen-of-daman-diu-electricity-department-upset-difficult-to-walk-home-at-8000/

रविवार, 1 दिसंबर 2019

दमण में खुलेआम चल रहे मटके और जुए के अड्डों का Video वायरल।

संघ प्रदेश दमण में जगह जगह जुए और मटके के अड्डे देखकर लगता है कि जुए और मटके के अड्डे चलाने वालों के मन से प्रशासन और कार्यवाही का खोफ खत्म हो चुका है। कुछ लोग कहते है इन अड्डो से अधिकारियों को प्रतिमाह लाखों का हफ़्ता मिलता है तो कुछ लोग कहते है कि जुए और मटके के अड्डो से स्थानीय नेता अपना अपना हिस्सा लेकर इन्हे संरक्षण देते है, हक़ीक़त क्या है? यह तो जांच के बाद पता चलेगा। लेकिन जांच के लिए प्रशासन को सबूत चाहिए और जुए और मटके के अड्डे का एक सबूत इस वक्त एक वीडियो में चीख चीख कर प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि दमण कि गरीब जनता को बर्बाद होने से बचा ले। इस वक्त जो जुए और मटके का जो वीडियो सामने आया है वह अवश्य ही प्रशासन के होश उड़ा देने वाला है। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि जुआ खिलाने वाले भी बड़ी संख्या में है और खेलने वाले भी बड़ी संख्या में है। वीडियो देखकर तो लगता है कि यह अड्डा चलाने वाले किसी के बाप (पुलिस) से नहीं डरते, वरना इस तरह खुलेआम दिन दहाड़े जुए और मटके के अड्डे के वीडियो इस तरह से बाजार में वायरल नहीं होते।

  • क्या दमण के नेता नहीं चाहते कि जनता को बर्बादी के कगार पर ले जाने वाले जुए और मटके के अड्डे बंद हो?

खेर जो वीडियो सामने आया है उसमे से एक सोमनाथ जंक्शन के पास स्थित, किंग बार एंड रेस्टोरेन्ट का है। किंग बार एंड रेस्टोरेन्ट गुलबबाबू का बताया जाता है और जुए के अड्डे का संचालन करने वाले का नाम रंजीत पटेल बताया जाता है रंजीत पटेल और गुलबबाबू सांझेदार है या नहीं इसकी जांच तो दमण पुलिस को करनी चाहिए वैसे यह वही गुलाब बाबू है जो फॉर्च्यून ग्रुप के बिल्डर दर्शक शाह और भावेश शाह का पार्टनर है। गुलाब बाबू का डाहया पटेल, केतन पटेल और जिगगु पटेल से भी करीबी नाता बताया जाता है तो कही ऐसा तो नहीं कि डाहया, केतन और जिगगु के संरक्षण में यह अड्डा चल रहा है? इस सवाल का जवाब भी जांच के बाद ही मिल सकता है।

Daman gambling
Daman gambling

वैसे किंग बार के अलावे हाटयावाड रोड पर स्थित विजय बार के सामने एक ओर जगह भी है जहा जुए का अड्डा चलाए जाने कि बाते सामने आई है उक्त जगह के मालिक का नाम है रमण पटेल और यह वही रमण है जिस पर गुजरात में शराब तस्करी के कई मामले दर्ज है। बताया जाता है कि रमण के यहाँ जुआ खेलने वाले कि गाड़ी पहले प्रिंस गार्डन में पार्क कारवाई जाती है, इसके बाद में जहा अड्डा चल रहा है वहा से रमण का आदमी जुआ खेलने आए हुए व्यक्ति को, प्रिंस गार्डन में लेने के लिए आता है ओर उसे अड्डे तक पहुंचा दिया जाता है। प्रिंस गार्डन रमण के भाई का बताया जाता है और इसी लिए रमण जुए के लिए अपनी सुविधा अनुसार प्रिंस गार्डन का इस्त्माल कर लेता है ताकि किसी को पता ना चले। वही किंग बार में जुए का अड्डा, दमण का सबसे बदनाम जुआरी साजन चला रहा है। यह दोनों अड्डे ही दाबेल में चल रहे है ओर पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे किसी खबरी का इंतजार कर रही है या फिर पुलिस को अपने हिस्से कि मलाई एडवांस में मिल गई?  सवाल कई है लेकिन जवाब प्रशासन के पास है। जब तक प्रशासन ऐसे बार एंड रेस्टोरेन्ट का लाइसेन्स जप्त नहीं करती और जुए और मटके के अड्डे चलाने वालों पर कठोर कार्यवाही नहीं करती तब तक, जनता को बर्बाद करने वाले जुए और मटके के अड्डों पर अंकुश लगना मुश्किल है। प्रशासक प्रफुल पटेल को चाहिए कि इस मामले कि जांच किसी वरीय पुलिस अधिकारी से करवाए तथा जिस किसी क्षेत्र में जनता को बर्बाद करने वाला जुए और मटके का अड्डा मिले उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारी को तत्काल नोकरी से बर्खास्त करें ताकि प्रशासन के बाकी अधिकारियों को भी पता चल जाए प्रशासक प्रफुल पटेल कि कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है।



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एक प्रदेश, एक प्रदेश अध्यक्ष!

एक प्रदेश, एक प्रदेश अध्यक्ष!

संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली और संघ प्रदेश दमण-दीव उक्त दोनों प्रदेशों को एक करने का बिल पास होने के बाद, अब दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और दादरा नगर हवेली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कि रेस में चलने वाले नेताओं के अध्यक्ष बनने के सपने चूर-चूर होते दिखाई दे रहे है। ऐसा इस लिए क्योकि राजनीतिक गलियारों में इस वक्त यह चर्चा हो रही है कि दोनों संघ प्रदेशों को एक करने के बाद, दोनों प्रदेशों का भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष भी एक ही होगा। मतलब साफ है जब प्रदेश एक है तो अध्यक्ष दो कैसे हो सकते है। अध्यक्ष भी एक ही होगा।

वैसे दोनों प्रदेशों को एक करने से पहले दमण-दीव के राजनीतिक गलियारों में दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए, विशाल टंडेल, मनोज नायक, नवीन पटेल और बी-एम माछी जैसे कई नेताओं के नाम पर चर्चा हो रही थी। लेकिन अब हालत बदल चुके है। अब चर्चा हो रही है दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की। वैसे दादरा नगर हवेली और दमण-दीव का प्रदेश अध्यक्ष भाजपा किसे चुनती है यह तो समय अपने पर पता चलेगा। लेकिन जानकारों का मानना है कि दोनों प्रदेश एक होने के बाद, दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मिलकर यह तय करेंगे कि दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसे नियुक्त किया जाए और इस नियुक्ति से पहले दादरा नगर हवेली जिला अध्यक्ष, दमण जिला अध्यक्ष तथा दीव जिला अध्यक्ष कि नियुक्ति कि जाएगी। तीनों जिला अध्यक्षों कि नियुक्ति के बाद दादरा नगर हवेली और दमण-दीव प्रदेश अध्यक्ष कि नियुक्ति होगी।

आप को बता दे कि फिलवक्त दादरा नगर हवेली के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार हसमुख भण्डारी के पास बताया जता है वही दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कि कुर्सी फिलवक्त खाली है। दमण जिला भाजपा अध्यक्ष का पद इस वक्त दीपेश टंडेल के पास है वही दीव जिला भाजपा अध्यक्ष का पद बिपिन शाह के पास बताया जता है। वैसे दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा अध्यक्ष कि नियुक्ति से पहले अभी दमण जिला भाजपा अध्यक्ष और दीव जिला भाजपा अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है इस चुनाव के बाद ही तय हो पाएगा कि दादरा नगर हवेली और दमण-दीव भाजपा अध्यक्ष कि कमान किसे मिलती है। कुल मिलाकर यह कह सकते है कि दमण-दीव भाजपा अध्यक्ष पद कि रेस फिलवक्त रद्द हो चुकी है और रेस में दौड़ने वाले उन नेताओं के सपने भी चूर चूर हो चुके है जिनका नाम पहले दमण-दीव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद कि रेस में था।

अब जानकारों का मानना है कि दोनों प्रदेशों के भाजपा नेता और कार्यकर्ता मिलकर किसी ऐसे एक नेता का अध्यक्ष के लिए चयन करेंगे जो दादरा नगर हवेली और दमण-दीव कि जनता को प्रिय हो और दोनों प्रदेशों के भाजपा कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चल सके। लेकिन विशाल टंडेल, नवीन पटेल, मनोज नायक और बी-एम माछी को यदि दादरा नगर हवेली कि जनता जानती तक नहीं तो वाजिब सी बात है कि वह अब इस रेस का हिस्सा नहीं रहे। वैसे भी जनसंख्या के आधार पर देखा जाए तो दमण-दीव कि तुलना में दादरा नगर हवेली कि जन संख्या अधिक है ऐसे में हो सकता है कि आने वाले समय में दादरा नगर हवेली और दमण-दीव का प्रदेश अध्यक्ष दादरा हवेली से चुना जाए। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा दादरा नगर हवेली से किसे प्रदेश अध्यक्ष का प्रभार देती है यह देखना काफी दिलचस्प होगा। क्यो कि जन संख्या के आधार पर यदि दादरा नगर हवेली का पलड़ा भारी है तो सत्ता के आधार पर दमण-दीव का पलड़ा भारी है। कुल मिलकर ऐसा लगता है कि दादरा नगर हवेली और दमण-दीव का प्रदेश अध्यक्ष किसी एक नेता को चुनना, भाजपा के लिए भी एक बड़ी चुनोती साबित होती दिखाई दे रही है।



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