शनिवार, 7 दिसंबर 2019

दमण-दीव विधुत विभाग के लाइनमेन परेशान, फ़िर उठी मांग कब होंगे नियमित, 8000 में घर चलना मुश्किल।

दमण-दीव विधुत विभाग के लाइनमेन परेशान, फ़िर उठी मांग कब होंगे नियमित, 8000 में घर चलना मुश्किल।

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव में ऐसे कई विभाग में जिनमे लम्बे समय से कई अधिकारियों, कर्मचारियों का प्रमोशन लंबित है, लेकिन मोटी तंख्वाह और ऊपर कि कमाई के चलते कई अधिकारी प्रमोशन कि परवाह नहीं करते और अपने वरीय अधिकारियों कि चापलूसी कर, अतिरिक्त प्रभार प्राप्त कर लेते है ताकि मोटी तंख्वाह के साथ साथ मोटी मलाई का इंतजाम भी हो जाए। लेकिन इस वक्त बाद उन कर्मचारियों की है जिनके पास ना मोटी तंख्वाह मिलती है ना अतिरिक्त प्रभार।

जानकारी मिली है कि संघ प्रदेश दमण-दीव में कई कर्मचारी वर्क चार्ज पर काम कर रहे है तो कई डेलीवेजस पर। देखने वाली बात यह है कि जब चुनाव आते है तो नेता कहते है सबको नियमित किया जाएगा, लेकिन चुनाव के बाद डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों कि कोई टोह नहीं लेता। अब ऐसा क्यो है और यह कहा तक सही है कि चुनाव में डेलीवेजिस पर काम करने वालों को नियमित करने वादा कर, चुनाव के बाद नेता डेलीवेजिस पर काम करने वाले कर्मचारियों को अपना मुह तक नहीं दिखाते? यह सवाल अब दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले 67 कर्मचारी दमण-दीव के सभी नेताओं से कर रहे है।

वैसे संघ प्रदेश दमण-दीव विधुत विभाग में कुल कितने पद है, कितने अधिकारी अतिरिक्त प्रभार ग्रहण मलाई मार रहे है और कितने कर्मचारी डेलीवेजस के सहारे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए विवश है इसका लेखा-जोखा तो प्रशासन के पास होगा ही, दमण-दीव के नेता भी इस जानकारी से अनभिज्ञ नहीं है। लेकिन क्या प्रशासन को तथा दमण-दीव के नेताओं को इस बात कि जानकारी है कि डेलीवेजस पर काम करने वालों को अपने परिवार के भरणपोषण में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और नियमित होने कि आस में कैसे अब तक कई कर्मचारियों ने अपने जीवन का एक लंबा समय खर्च कर दिया है? क्रांति भास्कर को डेलीवेजस पर काम करने वाले लगभग 67 कर्मचारियों कि जानकारी मिली है।

बताया जाता है कि उक्त 67 कर्मचारी पिछले कई वर्षों से डेलीवेजस पर काम कर रहे है और इन्हे प्रतिमाह लगभग 8000 रुपये वेतन मिलता है अब न्यूनतम वेतन कितना होना चाहिए यह जानकारी भी प्रशासन के पास मौजूद है यदि विधुत विभाग के अधिकारियों को न्यूनतम वेतन कि जानकारी नहीं तो वह एक बार इस विषय में श्रम विभाग से मदद मांग सकती है। लेकिन क्या प्रशासन को यह पता है कि उक्त कर्मचारियों का पी-एफ जमा होता है या नहीं? प्रशासन के पास अवश्य यह जानकारी भी होगी।

  • कब तक डेलीवेजस का दश झेलते रहेंगे विधुत विभाग के 67 कर्मचारी?
  • हम 1 नहीं 67 है फ़िर भी न्याय नहीं मिल रहा: विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले श्रमिक।
  • दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने कि आवश्यकता।

लेकिन शायद जनता यह नहीं जानती होगी कि दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों को पी-एफ नहीं मिलता, मतलब उनका पी-एफ जमा नहीं होता। अब यह कितने कमाल कि बात है कि एक और तो प्रशासन उधोगों को कर्मचारियों का पी-एफ जमा करने कि सीख और नसीहत दे रही है और दूसरी और प्रशासन स्वय अपने ही विधुत विभाग में काम करने वाले गरीब कर्मचारियों का पी-एफ जमा नहीं कर रही है।

Sr. No. NAME Joining
1 Amit T. Patel 23/08/2008
2 AmitKumar N. Patel 17/06/2002
3 Ashok P. Patel 21/07/2002
4 Bharat C. Patel 3/1/2008
5 Bhupendra G. Patel 5/10/2007
6 Chitrang V. Kamil 9/7/2009
7 Dhenesh T. Patel 23/06/2009
8 Dhrmeah B. RANA 21/11/2008
9 Dilip Ramu Patel 27/07/2004
10 Dinesh I. Patel 20/12/2008
11 Dinesh R. Patel 21/09/2008
12 Ditesh M. Patel 10/5/2005
13 Dubar V. Patel 10/6/2005
14 Haresh N. Halpati 25/09/2008
15 Hetal R. Patel 24/06/2009
16 Hitesh R. Halpati 21/06/2009
17 Hitesh R. Halpati 27/01/2006
18 Hitesh R. Patel
19 Hitesh S. Patel 7/6/2006
20 Jayanti D. Patel 30/06/2003
21 Jayhind H. Mitna 21/07/2008
22 Jignesh B. Patel 4/2/2008
23 Jignesh I. Prajapati 25/07/2004
24 Jignesh M. Patel 21/04/2006
25 Jignesh Prajapati 25/04/2007
26 Kailesh A. Halpati 22/07/2005
27 Kamlesh S. Patel 7/2/2005
28 Kapil N. Patel 7/1/2009
29 Kiran G. Patel 16/04/2008
30 Mahesh B. Patel 5/7/2007
31 Mahesh N. Patel 10/7/2009
32 Manoj A. Patel 27/01/2006
33 Nainesh J. Mangela 30/06/2003
34 Nantesh Banu 2/10/2006
35 Naresh M. Dhodi 19/04/2005
36 Naresh R. Patel 8/7/2002
37 Nimesh D. Patel 8/6/2004
38 Nitesh L. Patel 11/7/2009
39 Noronha Agnelo Antonio 1/9/2005
40 Pankaj V. Keni 6/11/2007
41 Pradeep H. Patel 13/12/2006
42 Pradip C. Patel 24/06/2008
43 Prakash M. Halpati 21/07/2009
44 Pramod R. Mitana 20/06/2007
45 Rahul D. Tandel 1/5/2009
46 Rajesh C. Patel 3/1/2007
47 Rajesh M. Patel 9/1/2003
48 Rajesh Natu Patel 22/04/2003
49 Raju B. Patel 21/06/2003
50 Rakesh B. Patel 12/11/2008
51 Satish R. Bhandari 22/04/2003
52 Satish R. Halpati 18/08/2005
53 Shandhya S. Gandhi 20/09/2007
54 Suresh A. Patel 14/08/2007
55 Suresh G. Kamli 6/12/2004
56 Suresh G. Patel 14/08/2007
57 Tarun R. Patel 27/08/2007
58 Trushar C. Patel 27/03/2005
59 Uamesh N. Patel 21/06/2005
60 Umet Hari Mangela 8/2/2005
61 Vijay J. Patel 14/10/2009
62 Vilash N. Patel 11/2/2009
63 Vimal G. Patel 26/01/2007
64 Vinod S. Tandel 26/05/2003
65 Yatin J. Patel 31/12/2008
66 Yogesh G. Patel 21/10/2008
67 Yogesh M. Patel 18/12/2008

 

वैसे यह आलम केवल दमण-दीव विधुत विभाग में डेलीवेजस पर काम करने वाले कर्मचारियों का है या फिर अन्य विभाग के कर्मचारियों का पी-एफ भी जमा नहीं होता है? इस सवाल का जवाब या तो प्रशासन दे सकती है या फिर पी-एफ विभाग। वैसे प्रशासन के लिए डेलीवेजिस पर काम करने वाले कर्मचारियों का पी-एफ जमा करना अनिवार्य है या नहीं तथा पी-एफ जमा ना करने पर पी-एफ कोई कार्यवाही कर सकता है या नहीं? इस सवाल का जवाब भी या तो प्रशासन के पास है या फिर पी-एफ विभाग के पास। लेकिन डेलीवेजस पर काम करने वाले जिन कर्मचारियों के नाम कि सूची सामने आई है उनमे से कई कर्मचारी तो 15 साल से अधिक समय पहले से काम कर रहे है अब यदि नियमित उनका पी-एफ जमा होता तो अब तक पी-एफ कि रकम कितनी हो चुकी होती? यह सवाल अब उक्त सभी कर्मचारियों के मन में है जो सालों से नियमित होने कि आस लगाए बैठे है और जिनहे समय समय पर सालों से नियमित करने का आश्वासन दिया जाता रहा है।

संघ प्रदेश दमण-दीव के नेताओं को इस मामले में राजनीति से ऊपर उठकर दमण-दीव प्रशासन तथा विधुत विभाग से उक्त मामले में बात-चित कर सभी डेलीवेजिस कर्मचारियों को न्याय देने कि आवश्यकता है यदि न्याय उन्हे नियमित होने का हक देता है तो कर्मचारियों को नियमित ना करना, कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा!



source https://krantibhaskar.com/linemen-of-daman-diu-electricity-department-upset-difficult-to-walk-home-at-8000/

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें