गुरुवार, 28 नवंबर 2019

निर्माणाधीन इमारत के निर्माण में लाइट चोरी कि कीमत एक फ्लेट?

निर्माणाधीन इमारत के निर्माण में लाइट चोरी कि कीमत एक फ्लेट?

दमण। संघ प्रदेश दमण-दीव का विधुत विभाग, भवन तथा इमारत के निर्माण के समय बिल्डर को एक अस्थायी बिजली कनेक्शन जारी करता है। इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद, इमारत में बने फ्लेट, दुकान का ख़रीदार अपने नाम का अलग अलग विधुत कनेकसन लेता है और प्रत्येक कनेकसन का एक अलग मीटर लगाया जाता है, जिसके बाद इमारत के सभी फ्लेट अथवा दुकान का अलग अलग बिजली बिल आता है, बिल में मीटर चार्ज, न्यूनतम शुल्क, विधुत शुल्क के बारे में तो लगभग सभी जानते है, लेकिन यदि 100 कनेकसन कि जगह तथा 100 मीटर कि जगह एक ही मीटर हो तो क्या होगा? यह सवाल इस लिए क्यो कि दमण में ऐसी कई इमरते है जिनके निर्माण के समय लिया गया अस्थायी बिजली कनेक्शन, इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद भी जारी है। इमारत का निर्माण पूर्ण होने के बाद भी अस्थायी बिजली कनेक्शन नहीं काटा गया। बल्कि इमारत के निर्माण के समय बिल्डर द्वारा विधुत विभाग से लिए गए अस्थायी बिजली कनेक्शन से, बिल्डर ने स्वय अपना ही विधुत विभाग खोल दिया है, बिल्डर ने अस्थायी बिजली कनेक्शन से उन सभी फ्लेट और दुकानों में बिजली सप्लाई के लिए तार जोड़ दिए जिसकी स्वीकृति शायद बिल्डर के पास नहीं है। बिल्डर एक ही बिजली कनेक्शन से सभी फ्लेट में बिजली कि सप्लाई कर विधुत विभाग के नियमों का उलंधन कर रहा है या नहीं यह तो विधुत विभाग के अभियन्ताओं को पता होगा ही।

कई बिल्डरों ने खोल रखा है अपना खुदका विधुत विभाग।

वैसे इस पूरे मामले के इतर सवाल यह भी है कि अस्थायी बिजली कनेक्शन कब लिया गया? अस्थायी बिजली कनेक्शन जारी करने के बाद उसका प्रतिमाह कितना बिल आया? और कितना बिल आना चाहिए था? यह सवाल इस लिए क्यो कि दमण में बिजली चोरी के कई किस्सों में से एक किस्सा अस्थायी बिजली कनेक्शन का भी है। पूर्व में जनता में ऐसी चर्चा होती रही है कि विधुत विभाग के अभियंता बिल्डरों को इमारत के निर्माण के लिए सीधे थम्बे से लाइन जोड़कर दे दिया करते थे या मीटर देरी से लगते थे और उसके बदले इमारत में अपने अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर फ्लेट बुक कर लेते थे, वैसे पूर्व में लाइट चोरी के लिए मीटर बदलना और मीटर जला देना भी एक चर्चा का विषय रहा है। अब पूर्व कि भांति यह आलम अब भी तो जारी नहीं है? इसका पता लगाने के लिए तो दमण-दीव प्रशासक को दो प्रकार कि अलग अलग जांच करवानी होगी, पहली जांच में यह पता लगाना होगा कि किस बिल्डिंग के निर्माण में कितनी बिजली खपत हुई और जितना बिल आया क्या वह सही है? दूसरी जांच आयकर विभाग से करवानी होगी कि किस अभियंता तथा अभियंता के परिवार के सदस्य के नाम पर दमण में कितनी संपत्ति, फ्लेट, दुकाने है? यदि उक्त दोनों मामलों में ईमानदारी से जांच अधिकारियों ने जांच कि तो अवश्य ही चौकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते है।

क्या समाहर्ता संदीप कुमार ने यह कहा था कि सभी अवैध इमारतों के मालिक को बिजली-पानी काटने की धम्की देकर बुलाओ, उनसे अच्छे खासे धन की उगाही करनी है? | Kranti Bhaskar image 2
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कुछ समय पहले कई इमारतों के बिजली और पानी कनेकसन काटने के लिए कहा था दमण के तत्कालीन समाहर्ता ने आज तक नहीं कनेकसन नहीं कटे, गरीबों के झोपड़े पर बुलडोजर चलाने के लिए कहा होता तो कब का चल गया होगा!

वैसे मामला यह नहीं है कि पूर्व में क्या हुआ था। मामला तो यह है कि इस वक्त अस्थायी बिजली कनेक्शन से सभी फ्लेट में बिल्डर अपनी मनमर्जी से कैसे कनेकसन बाँट रहा है? और विभाग के अभियंता सबकुछ जानते हुए भी मामले में कार्यवाही क्यो नहीं कर रहे है? मीटर यदि अलग नहीं है तो विभाग को कितना नुकसान हो रहा है और कितना नुकसान हो चुका है? क्या इसका हिसाब किसी अभियंता ने लगाया? या फिर टेरीफ़ चार्ज का हवाला देते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया? प्रशासक प्रफुल पटेल को चाहिए कि इस मामले में स्वय संज्ञान ले और नियम तोड़ने वाले अभियंता तथा बिल्डर दोनों पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही करें ताकि पुनः इस प्रकार कि अनियमितताओं के चलते प्रशासन कि छवि धूमिल ना हो।

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source https://krantibhaskar.com/light-theft-cost-a-flat-in-building-construction/

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