सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

शान्त, सकारात्मक और शक्तिमान होना हर सफल जीवन का आधार: संत चंद्रप्रभ

शान्त, सकारात्मक और शक्तिमान होना हर सफल जीवन का आधार: संत चंद्रप्रभ

जोधपुर। संत चंद्रप्रभ महाराज ने कहा कि शान्त, सकारात्मक और शक्तिमान होना हर सफल जीवन का आधार है। जीने की कला यही गुर सिखाती है कि सामने वाले का लोहा भले ही गर्म हो जाए, पर हमारा हथौड़ा

तो ठण्डा ही रहना चाहिए। हम खुद को हेप्पीमैन बनाए, एंग्रीमैन नहीं। एंग्रीमैन केवल फिल्मों में ही खलनायक की भूमिका निभाते अच्छे लगते हैं, रीयल लाइफ में तो हैप्पीमैन ही पसंद किए जाते हैं। क्रोध करने वाले लोग घरवालों को भी अच्छे नहीं लगते, फिर दूसरे लोगों को कहां से प्रिय होंगे? क्रोध सांड है, भला कौन इसका सींग खाना चाहेगा? क्रोध तो माचिस की तीली की तरह है। थोड़ा-सा घर्षण लगते ही आग सुलग उठती है। अरे भाई! माचिस में तो अक्ल नहीं है। इसलिए सुलग उठती है। आपमें तो अक्ल है, फिर क्रोध पर कंट्रोल क्यों नहीं करते? किसी ने मुझसे पूछा कि क्रोध क्या है? मैंने उसे सहज जवाब दिया कि दूसरे की गलतियों की सजा खुद को देना। क्रोध तो तात्कालिक पागलपन है। कौन बेवकूफ होगा, जो यह पागलपन दोहराएगा। उम्मीद है आप समझदार हैं। अपनी समझदारी का इस्तेमाल कीजिए और अपने उग्र स्वभाव को सरल स्वभाव में बदलिए।संतप्रवर संबोधि धाम में आयोजित पीसफुल माइंड प्रोग्राम में शहरवासियों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि क्रोध में बनाया गया भोजन और बच्चों को पिलाया गया दूध जहर की तरह नुकसानदायक होता है। क्रोध पैदा हो जाए तो पहले 15 मिनट सो जाएँ, तन-मन को रिलेक्स करें, उसके बाद ही कोई कार्य निपटाएँ। क्रोध में एक बार अपना चेहरा आईने में देखने की तकलीफ उठाए। आपको अपने आपसे नफरत होने लगेगी। तब आप अनायास ही अपने क्रोध को वैसा ही थूक देंगे, जैसे कि मुंह से कफ। कोशिश कीजिए कि क्रोध को हमेशा धैर्यपूर्वक प्रकट करने की आदत डालिए। थोड़ा-सा धैर्य आपके क्रोध को जीतने का मंत्र बन जाएगा। धीरज से सोचने पर कई दफा लगता है कि मैं व्यर्थ ही क्रोधित हुआ। क्रोध के बाद पैदा हुए प्रायश्चित्त से प्रेरणा लीजिए और निर्णय कीजिए कि मैं भविष्य में आगे-पीछे का सोचकर ही तेजी खाऊगा। जो बात आप तैश में आकर कहते हैं, यदि वही धैर्य और शांति से कहने की आदत डाल लें तो आपको आज की तरह दु:ख और प्रायश्चित्त का सामना नहीं करना पड़ता। जब संतप्रवर ने प्राण प्राण में शांति दीप जल जाए, धरती पर स्वर्ग उतर आए…भजन गुनगुनाया तो सभी श्रद्धालु हर्ष विभोर हो गए। इससे पूर्व डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर ने श्रद्धालुओं को मंत्रप्रार्थना के साथ सक्रिय योग के 8 चरणों का प्रशिक्षण दिया।

 



source https://krantibhaskar.com/peace-positive-and-power/

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