बुधवार, 22 अगस्त 2018

खुदा की बारगाह में झुके हजारों शीश, अकीदत व एहतराम के साथ मनाई बकरीद, अल्लाह की राह में दी कुर्बानी

जोधपुर। कुर्बानी का प्रतीक पर्व ईदुल अजहा (बकरीद) बुधवार को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। ईदुल अजहा की मुख्य नमाज जालोरी गेट स्थित बड़ी ईदगाह में अदा की गई। इसके साथ ही शहर की अन्य मस्जिदों में भी नमाज पढ़ी गई। नमाज के बाद मुस्लिम भाइयों ने अल्लाह की राह में कुर्बानी दी।

बकरीद की मुख्य नमाज बड़ी ईदगाह में शहर खतीब काजी मोहम्मद तैयब अंसारी की मौजूदगी में पेश इमाम हाजी मौलाना याकुब कादरी ने अदा करवाई। पेश इमाम हाजी मौलाना मोहम्मद याकुब कादरी ने ईदुल अजहा के मौके पर हज पर गए यात्रियों की सलामती के लिए दुआ की, साथ ही देश मे अमनों-चैन, खुशहाली, सौहार्द, आपसी मुहब्बत, भाईचारगी, देश-प्रेम, सद्भावना के साथ बीमारों को सफात, परेशान हाल की परेशानियों का दूर करने, बेरोजगारों को रोजगार देने, हर इंसान की जायज तमन्नाओं को पूरा करने की दुआ की। इससे पूर्व नमाज अदा करने के लिए सुबह से ही नमाजी ईदगाह में आना शुरू हो गए थे। उनके लिए आसपास की सडक़ों पर भी विशेष व्यवस्था की गई थी। नमाज अदा करने के बाद नमाजियों ने एक दूसरे को बकरीद की गले मिलकर व हाथ मिलाकर मुबारकबाद दी। ईद की मुख्य नमाज पांचवी रोड स्थित छोटी ईदगाह, खेतानाड़ी, नागौरी गेट, शिप हाउस, इक मीनार मस्जिद, चौपासनी रोड, सोजती गेट स्थित मस्जिदों में भी पढ़ी गई। बड़ी ईदगाह में नमाज अदा करने के बाद कांग्रेसी नेता इकबाल खान ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए शांति, आपसी सौहार्द, मुहब्बत का पैगाम पढक़र सुनाया। इस मौके पर ईद की नमाज और तकरीरे सुनाकर इस त्यौहार की महत्ता समझाई गई।

स्वागत-अभिनन्दन किया

ईदेन अभिनन्दन समिति के अध्यक्ष इकबाल खान ने बताया कि ईदुल अजहा के मौके पर शहर खतीब काजी मोहम्मद तैयब अंसारी का महापौर घनश्याम ओझा व जेडीए के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र सोलंकी व वरिष्ठ कांग्रेसी सुपारस भंडारी द्वारा और पेश इमाम हाजी मौलाना मोहम्मद याकुब कादरी का पूर्व नेरश गजसिंह की ओर से साफा और मालाओं से गुलपोशी कर स्वागत-अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर शहर खतीब काजी मोहम्मद तैयब अंसारी ने कहा कि यह सम्मान उनका नहीं बल्कि मारवाड़ के समूचे मुस्लिम कौम का सम्मान है।

यह थे उपस्थित

समिति के मीडिया प्रभारी शौकत अली लोहिया ने बताया कि इस मौके पर महापौर घनश्याम ओझा, जेडीए के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र सोलंकी, वरिष्ठ कांग्रेसी सुपारस भंडारी, निगम के पूर्व प्रतिपक्ष नेता गणेश बिजाणी, डीसीपी पश्चिम मोनिका सैन, एडीसीपी सरिता, इकबाल खान, मोहम्मद युसुफ चौधरी, यूथ कांग्रेस प्रदेश महासचिव इलियास मोहम्मद, मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशनल सोसायटी के सचिव मोहम्मद अतीक, सहकारी बाजार के पूर्व अध्यक्ष राहुल पाराशर, ओमकार वर्मा, एंटीकरप्शन टाइगर संस्थान के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द कुमार व्यास, पुलिस अधिकारी महेन्द्र सिंह, धन्नापुरी, कमल सिंह, कैलाश पारीक, सीमा हिंगोलिया का ईदगाह व मुस्लिम समाज के मोहम्मद साजिद, जहीरूद्दीन, मोहम्मद साबिर बुन्दू, अब्दुल हमीद, सैय्यद मन्सूर अली, मोहम्मद यासीन, सैयद इकराम अली, बबली, साबिर गोप, अब्दुल वहीद, मोहम्मद जावेद, पीर मोहम्मद की ओर से मालाओं से गुलपोशी कर स्वागत किया गया।

सम्मान का लिफाफा बदला

स्वागत समोराह के दौरान पेश इमाम हाजी मौलाना मोहम्मद याकुब कादरी का सम्मान का लिफाफा बदल गया। शहर खतीब काजी मोहम्मद तैयब अंसारी ने बताया कि नगर निगम द्वारा जब उनका स्वागत अभिनन्दन किया गया तो भूलवश पेश इमाम हाजी मौलाना मोहम्मद याकुब कादरी के लिए पूर्व नरेश गजसिंह द्वारा भेजा गया मुस्लिम समुदाय की मुबारकबाद का लिफाफा व मारवाड़ी साफा उन्हें भेंट कर दिया गया। भीड़ के दौरान मुबारकबाद का लिफाफा व मारवाड़ी साफा ससम्मान पैक होने के कारण वह भी उन्हें दे दिया गया। घर पहुंचने पर जब इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत पेश इमाम हाजी मौलाना मोहम्मद याकुब कादरी को पूरे घटना की जानकारी दी और वापस लिफाफा व मारवाड़ी साफा ससम्मान लौटाया। उन्होंने कहा कि किसी की अमानत को अपने पास रखना या वापस नहीं लौटाना बहुत बडा गुनाह है। इसे हम अमानत में खयानत भी कहते है।

तीन दिन तक चलेगा कुर्बानी का दौर

कुर्बानी का दौर आज ईदुल अजहा से तीन दिन तक चलेगा। हजरत इब्राहीम खलीलुल्लाह की सुन्नत और इस्लाम के पांचवे रूक्न से जुड़े वाकये की याद ताजा करने वाले त्योहार ईदुल अजहा पर कुर्बानी देने की परंपरा है। इब्राहीम खलीलुल्लाह ने अपने बेटे इस्माइल अलैहिस्स्लाम को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक कुर्बान करना चाहा लेकिन रब ने बाप-बेटे के जज्बे और उनकी सच्ची मोहब्बत को कबूल करते हुए जन्नत से दुंबा भेज कर कुर्बानी करवाई और हजरत इस्माइल अलैहिस्स्लाम को फरिश्तों के जरिए बचा लिया। यह सिर्फ रब का इम्तिहान था जिसमें हजरत इब्राहीम और हजरत इस्माइल कामयाब हुए। खुदा ने इस सच्ची मोहब्बत और फरमान बरदारी को कयामत तक जिंदा रखने के लिए उम्मते मुस्लिम पर वाजिब फरमा दिया। इसका मकसद हर मुसलमान खुदा की राह में दी जाने वाली इस बेमिसाल कुर्बानी को याद रखने और खुदा के हुक्म पर हर वक्त तैयार रहें। साल में एक बार कुर्बानी का हुक्म देकर मालदार मुसलमान पर कुर्बानी वाजिब फरमाई, ताकि मुसलमानों में रब के हुक्म पर झुकने और उसके हुक्म की फरमान बरदारी का जज्बा सलामत रहे। इसी को लेकर आज अल्लाह की राह में कुर्बानी दी गई।



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