जोधपुर। संभाग के बाड़मेर जिले में 11 साल की एक बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या के चर्चित मामले में कोर्ट ने दो दोषियों को मृत्युदंड और तीन सह आरोपियों को सात-सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। पॉक्सो एक्ट लागू होने के बाद प्रदेश में यह पहला एेसा मामला है जिसमें एक साथ दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
बाड़मेर जिले के निम्बड़ी गांव में पांच वर्ष पूर्व 29 मार्च 2013 की रात 11 साल की बालिका के अपहरण, दुष्कर्म और बाद में उसे पहाड़ी से नीचे फेंक कर जान से मारने के मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण प्रकरण) एवं पॉक्सो मामलाल बाड़मेर की विशिष्ठ न्यायाधीश वमिता सिंह ने फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में दो मुख्य आरोपी घेवरसिंह राजपुरोहित व श्रवणसिंह राजपुरोहित के अपराध को ध्यान में रखते हुए इनके प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति बरतना न्यायोचित नहीं होगा। दोनों ने षडय़ंत्र रचकर बालिका का अपहरण किया और फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। अपने अपराध को छिपाने के लिए दोनों ने उसे पहाड़ी से धक्का देकर नीचे गिरा निर्मम हत्या की। एेसे में दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376ए, 302 व 120बी के दोषसिद्ध अपराध के लिए मृत्यु दंड से दंडित किया जाता है। मामले में सह आरोपियों प्रहलाद सिंह, नरसिंग सिंह और शंकरसिंह को सात-सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इन तीनों पर मुख्य आरोपियों को छिपाने के साथ ही पीडि़त पक्ष को धमकाने के आरोप थे। अपने आदेश में उन्होंने लिखा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 366 के अनुसार मृत्यु दंड को तब तक निष्पादित नहीं किया जाए तब तक राजस्थान उच्च न्यायालय इसकी पुष्टि नहीं कर दे। दोनों मुख्य आरोपियों घेवरसिंह व श्रवणसिंह साठ दिन के भीतर उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं।
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