गुरुवार, 23 अगस्त 2018

खाध्य विभाग के भ्रष्टाचार और वसूली जा रही रकम में किस किस का कितना हिस्सा?

जोधपुर में भ्रष्टाचार से जनता कितनी परेशान है, इसका अंदाजा लगाने के लिए, जोधपुर के उन तमाम नेताओं को पहले अपनी आलीशान कोठियो से निकल कर आम जनता बनकर उन तमाम विभागो का मुआइना करना होगा, जिनहोने भ्रष्टाचार खत्म करने का जनता से वादा किया। वैसे सरकारी विभागो में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों द्वारा हो रही वसूली को देखकर तो यही लगता है की जारी भ्रष्टाचार उन तमाम नेताओं की समझ से परे है जिनका जिम्मा भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का रहा।

आज बात चाहे राशन कार्ड की हो या वोटर कार्ड की, चाहे बिजली का कनेकसन चाहिए या नए वाहन का रजिस्ट्रेशन, मामला चाहे पुलिस चोकी में शिकायत दर्ज करवाने का हो या अवेध मटके का अवैध अड्डा चलाने का, चाहे मामला नई दुकान के फूड लाइसेन्स का हो या बड़ी कंपनी और उधोग खोलने का लगभग सभी मामलो में, कभी अधिकारियों की सीधी मांग तो कभी दलालो द्वारा वसूली जा रही रकम से जोधपुर की जनता त्रस्त ही देखी गई। कई विभागीय अधिकारियों ने तो मानों जनता को लूटने की ठान ली। रिश्वत के पैसे के बिना ना फाइल आगे बढ़ाते है ना ही जनता को शंतोषजनक जवाब मिलता है, साधारण से साधारण काम के लिए भी रिश्वत ना देने पर आम आदमी को सरकारी विभागो के सेकड़ों चक्कर कटवाना मानो आम बात हो गई हो।

इस सब के बाद मुसीबत और तब बढ़ जाती है जब आम आदमी को पता ही नहीं होता कि शिकायत कहा करनी है, जब पता चलता है तो शिकायत करने के बाद भी आलम देखा गया की शिकायत पर सुनवाई ही नहीं होती, बडी से बडी शिकायत और अख़बार में छपी सुर्खियां भी मामूली आरोप बताकर दरकिनार कर दी जाती है, यदि किसी शिकायत में सुनवाई हुई तो जांच नहीं होती और जांच होती है तो सजा नहीं मिलती, शिकायतकर्ता माथा पीटता रहता है और आरोपी अधिकारी मौज उड़ाते रहते है। ना जाने कब तक ऐसे ही अधिकारी अपनी ऐशगाह आबाद करते रहेंगे और जनता के साथ साथ जांच एजेंसियो को भी ठेंगा दिखाते रहेंगे?

जांच एजेंसिया भी पढे उक्त विभाग के मशहूर किस्से!

सरकार चाहे कांग्रेस की रही या भाजपा की, भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा सबने किया, लेकिन भ्रष्टाचार में कितनी कमी आई जनता अच्छी तरह जानती है। जो नहीं जानते लगता है उनका सरकारी कार्यालयो से अब तक पाला नहीं पड़ा, जब पड़ेगा उन्हे भी पता चल जाएगा की जांच एजेंसियो की औकात भी अब भ्रष्ट अधिकारियों के सामने बोनी दिखाई देने लगी है, अधिकारी ना जनता से रिश्वत मांगने से डरते है ना जांच एजेंसियों की कार्यवाही से यदि जांच एजेंसियों को यह बात कड़वी लगे तो जोधपुर जेल के बगल में स्थित खाद्य एवं स्वास्थ्य विभाग के कार्यकलापों एवं अधिकारियों की कार्यप्रणाली तथा काली कमाई की एक बार जांच कर ले, हो सकता है जांच एजेंसियो की इस जांच से, जांच एजेंसियो के स्वास्थ्य में भी कुछ सुधार आ जाए!

भ्रष्टाचार और वसूली में, शर्मा जी को कोई शर्म नहीं!

वैसे इस विभाग एवं विभागीय अधिकारी की जांच की मांग इस लिए भी जा रही है क्यो कि इस वक्त जोधपुर में इस विभाग द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के चर्चे काफी अधिक है वैसे इस विभाग एवं विभागीय अधिकारियों की खराब कार्यप्रणाली को लेकर क्रांति भास्कर ने अपने पिछले अंकों में एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी, लेकिन लगता है उक्त खबर भी जनता की शिकायतों की तरह जांच के लिए धूल चाट रही है। बड़े ताज्जुब की बात है कि जब जेल के बगल में ही अनियमितता और भ्रष्टाचार के फल-फूलने के चर्चे हो तो अन्य विभागो एवं विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली और भ्रष्टनिती का आलम क्या होगा? यह एक संयोग ही है कि जोधपुर के खाद्य विभाग का कार्यालय जोधपुर की जेल के बिलकुल बगल में स्थित है और पिछले लंबे समय से जोधपुर की जनता खाद्य विभाग के अधिकारी रजनीश शर्मा की करतूतों और भ्रष्टनिती के चर्चे खुलेतौर पर बाजारो में कर रही है जिसकी जानकारी अब तक शायद वरीय प्रशासन को नहीं। जनता की माने तो इस अधिकारी का भ्रष्टाचार भी उतना ही प्रसिद्ध है जितनी जोधपुर की जेल। जनता का कहना है कि साधारण मिठाई की दुकान हो या बड़ी घी-तेल की इकाई, शर्मा जी किसी की शर्म नहीं करते, खाद्या विभाग के नियम तोड़ने है तो शर्मा जी को मलाई देनी पड़ेगी, जनता में चर्चा है की पिछले लंबे समय से खाध्य विभाग के अधिकारियों ने अवैध वसूली और भ्रष्टाचार हेतु कई एजेंट भी पाल रखे है जहां अधिकारी नहीं पहोच पाते वहा अधिकारियों के एजेंट पहोच जाते है। यह और बात है की उक्त अधिकारी अभी तक जांच एजेंसियों के शिकंजे में नहीं आया, वैसे इस पर पर जनता को घोर आश्चर्य भी है और ताज्जुब भी। शायद हो सकता है की जैसे अब तक उक्त अधिकारी शिकायतकर्ताओ को नहीं मिला, वैसे ही जांच एजेंसियों को भी ना मिला हो, अब ऐसा क्यो कहा जा रहा है यह भी जान लीजिए।

राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री भी इसे पढ़ ले।

बताया जाता है की जोधपुर खाद्य विभाग का अधिकारी रजनीश शर्मा खाद्य विभाग के कार्यालय में हाजरी लगाने के लिए तो आता है लेकिन उसके बाद हाजिर नहीं रहता, फ़ील्ड के नाम पर और निरक्षण के नाम पर उक्त अधिकारी कहा जाता है और किस किस से मिलता है इसका पता जांच एजेंसिया सवय लगाए तो ही बेहतर होगा। वैसे इस मामले में जनता का कहना है की उक्त अधिकारी कार्यालय में आने के बाद तुरंत निरक्षण के नाम पर उगाही को निकल जाता है अब यह उगाही जायज़ है या नाजायज इसका पता करने के लिए तो जांच एजेंसिया है ही, लेकिन किसी अधिकारी के बारे में इस प्रकार की चर्चा विभाग एवं प्रशासन दोनों के लिए काफी शर्मिंदगी की बात है।

खाद्य विभाग के मुख्य अधिकारी तथा राजधानी में बैठे सचिव भी इसे अवश्य पढे और जांच के आदेश जारी करें।

विभाग में मौजूद अन्य कर्मचारियो से जनता को पता चलता है कि शर्मा जी तो फील्ड पर चले गए, अब कोनसे फील्ड पर गए है और क्या लेने गए है इसकी जानकारी यदि अन्य कर्मचारियो को हो भी तो जनता को नहीं दी जाती, प्रबुद्ध जनता अपने अंदाज में सवय ही अंदाजा लगा लेती है। वैसे बात केवल इतनी ही नहीं है जोधपुर के कई छोटे-बड़े उधोग रजनीश शर्मा के नाम से कापते है कापते इस लिए नहीं की शर्मा जी नियमानुसार कार्यवाही करेंगे, बल्कि इस कपकापाहट का कारण यह है की इस बार इकाई में आए तो ना जाने कितनी मांग करेंगे। चर्चे यह भी है कि जोधपुर में रजनीश शर्मा के कई ऐसे अघोषित और अवैध एजेंट है जो उक्त अधिकारी के लिए उधोगों एवं व्यापारियो से उगाही करते है, इस पूरे मामले में कितनी हकीकत है इसका पता लगाने के लिए समय रहते जोधपुर खाद्य विभाग मे मुख्य अधिकारी को इस मामले में जांच करने की आवश्यकता है तथा राजस्थान सरकार के खाद्य एवं स्वस्थ्य निदेशक को चाहिए की तत्काल उक्त अधिकारी की जांच किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से करवाए जिससे इस पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। शेष फिर।



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