बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की व्यवस्था अथवा नई तारीख तय करने का अधिकार सरकार टिहरी राजपरिवार को दे रही है। मंत्री परिषद की बैठक में यह निर्णय किया गया। राजपरिवार वर्तमान रावल से पूर्जा अर्चना कराने के लिए तारीख को भी परिवर्तित कर सकता अथवा पूजा का अधिकार स्थानीय ब्राह्मण को भी दे सकता है। केदारनाथ धाम में भी रावल के प्रतिनिधि के जरिए पूजा कराने का विकल्प खुला रखा गया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि केदारनाथ के रावल को लाने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार और केरल सरकार को इस बाबत पत्र भेजा गया है। उन्हें सड़क मार्ग से उत्तराखंड आने की अनुमति मांगी गई है। लेकिन इसमें पेंच यह है कि दूसरे राज्य से आने पर सरकार को उन्हें 14दिन के क्वारंटीन में रखना होगा। इससे आने का भी ज्यादा लाभ न मिलेगा। मंदिर समिति और शास्त्रों की व्यवस्था के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
बदरीनाथ धाम के लिए फैसला राज परिवार को देने का निर्णय किया गया है। दरअसल, यहां भी रावल के आने पर उनके लिए14 दिन का क्वारंटीन जरूरी होगा। ऐसे में कपाट खोले जाने और नियमित पूजा अर्चना के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में बदरीनाथ धाम के लिए क्या व्यवस्था की जाए, इसके लिए टिहरी राजा से परामर्श लिया जाएगा। उनकी ओर से जो व्यवस्था दी जाएगी, उस अनुरूप सरकार कदम उठाएगी।
300 साल में रावत प्रतिनिधि ने की पूजा
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि केदारनाथ धाम के करीब 400 साल के इतिहास में चार बार रावल की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि ने कपाट खुलने के वक्त पूर्जा अर्चना की थी। इसका गहन अध्ययन किया गया है। इस बार में ऐसा होने में कोई पेंच नहीं आना चाहिए। कोरोना संक्रमण को देखतेहुए कपाट खुलने के वक्त आम लोगों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
ये मंदिर खुलेंगे तय समय पर
चार धाम से जुड़़े नौ अन्य मंदिर के कपाट भी तय समप पर खुलेंगे। लक्ष्मी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, उर्वशी मंदिर, माता भूमि मंदिर, व्यास गुफा, गणेश गुफा, हनुमान मंदिर, भविष्य बद्री।
आज रवाना होंगे केदारनाथ धाम के रावल
पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि केदारनाथ धाम के रावल 1008 भीमा शंकर लिंग महाराष्ट्र नांदेड से उत्तराखंड के लिए शुक्रवार को रवाना होंगे। श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी को भी केरल से लाने के प्रयास चल रहे हैं। मुख्य सचिव की ओर से केरल के मुख्य सचिव व केंद्र सरकार को पत्र भेजा जा रहा है। ताकि उन्हें भी उत्तराखंड आने की मंजूरी मिल सके।
source https://krantibhaskar.com/hindi/news/state-news/uttarakhand-news/7002/
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