गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

देश के सुपर मार्केट में उपलब्ध होगा ट्राइबल फुड कोदो

देश के सुपर मार्केट में उपलब्ध होगा ट्राइबल फुड कोदो

जोधपुर। देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। गांधीजी का सपना था कि देश का असली विकास गरीब व आदिवासी क्षेत्रों के विकास ही है। इसी सोच को चरितार्थ करते हुए केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों तथा स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने वाले आमजन को नई सौगात देने की तैयारी में है। औषधीय गुणों से भरपूर और डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक कोदो राइस आकर्षक पैकिंग के जरिए बड़े-बड़े सुपर मार्केट तक पहुंचेगा। इस राइस की मार्केटिंग विश्वविद्यालय के द्वारा की जाएगी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो. टीवी कट्टीमनी ने बताया कि जनजातीय बाहुल्य अमरकंटक क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लगाए जाने वाले इस विशिष्ट किस्म के चावल (कोदो) को देशभर के बड़े बाजारों तक पहुंचाने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। वह दिन दूर नहीं जब मेन स्ट्रीम बिजनेस पॉलिसी से जुडक़र आदिवासी विकास की नई इबारत लिखेंगे। इस कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय ने कोदो की ब्रांडिंग और विक्रय का जिम्मा उठाया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की इस कवायद के बाद जल्द ही औषधीय गुणों से भरपूर कोदो राइस बड़े-बडे शॉपिंग माल तक पहुंचाया जाएगा। विश्वविद्यालय और जिला कृषि विभाग की यह संयुक्त पहल बिजनेस मॉडल की पहली कड़ी बताई जा रही है। कुलपति ने बताया कि आयुर्वेदिक महत्व के अनुरूप कोदो को कई औषधीय गुणों से पूर्ण होना पाया गया है। खासकर यह डायबिटीज के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी और उपयुक्त है। जनजातीय वर्ग के लोगों के समग्र विकास के उद्देश्यों की दिशा में विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ ही जनजातीय वर्ग के लोगों को छोटे-छोटे उद्योगों से जोडऩा जरूरी है। आजीविका के सशक्त माध्यम तैयार कर समग्र विकास की कल्पना पूरी की जा सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आजीविका केंद्र के जरिए कई अन्य उद्योगों की भी रूपरेखा तैयार की है, जो कि जल्द ही साकार होगी।

जिला कृषि अधिकारी एनडी गुप्ता का मानना है कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में यह फसल भारी मात्रा में लगाई जाती थी, लेकिन धान की फसल ने कोदो का स्थान ले लिया और अब सीमित रकबे में फसल उत्पादन हो रहा है। वर्तमान समय में इसके लाभकारी गुणों को देखते हुए मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ी है। कोदो का सेवन स्वस्थ लोगों के अलावा डायबिटिक मरीज भी करते हैं, जो कि मधुमेह नियंत्रण, गुर्दा रोग, पित्तनाषक, कफ संबंधित समस्याओं के लिए कारगर है। महिला समूहों को मिलेगा लाभ- यूनिवर्सिटी के आजीविका व्यापार केंद्र के समन्वयक तथा जोधपुर निवासी डॉ. आशीष माथुर ने बताया कि लाभकारी गुणों के कारण कोदो की मार्केट में डिमांड तो है, लेकिन इस फसल को बड़े व्यापारिक केंद्रों तक सुलभ नहीं किया गया। विश्वविद्यालय बहपुरी गांव की लक्ष्मी और सतगुरू स्व-सहायता समूह के जरिए कोदो की पैकेजिंग कराएगा। इसके बाद गुणवत्तायुक्त उत्पादों को बड़े व्यापारिक केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा। समूह की महिलाओं को इस उत्पाद का लाभांष प्राप्त होगा और अब तक जिस फसल पर वे लाभ की उम्मीदें भी नहीं लगाए थे उसे लाभ से जोड़ा जाएगा। इससे महिला समूह की आर्थिक स्थिति सुधरेगी साथ ही लोगों को इस औषधीय फसल का लाभ भी मिलेगा। डॉ. माथुर ने बताया कि कोदो पैकजिंग के साथ ही विश्वविद्यालय जल्द वनांचल से प्राप्त शहद की प्रोसेसिंग और पैकजिंग पर कार्य करेगा। इसके अलावा ऐसे कई अन्य छोटे-छोटे उद्योगों के जरिए क्षेत्र के जनजातीय वर्ग की आजीविका सुदृढ़ करने की योजना है।



source https://krantibhaskar.com/sub-market-in-country/

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