बिल्सी। तहसील क्षेत्र गांव दिधौनी स्थित श्री पद्मप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र पदमांचल पर आज रविवार को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भगवान नेमीनाथ का ज्ञान कल्याणक धूमधाम से मनाया गया। यहाँ सबसे पहले जैन अनुयायियों द्वारा जिनेन्द्र भगवान का जलाभिषेक एवं शांति धारा की एवं विशेष पूजा अर्चना के साथ मंत्रोच्चारण के साथ अर्घ समर्पित कर किया। जैन समाज के मीडिया प्रभारी प्रशांत जैन ने बताया कि नेमीनाथ भगवान के जीवन काल में श्रावक की भूमिका में आचार्य ने षट आवश्यक कर्तव्य पालन की प्रेरणा दी है। देव पूजा, स्वाध्याय, संयम ताप, अनावश्यक कर्तव्य के द्वारा श्रावक संचित पाप कमरें का छम कर सकता है। आप विचार करें कि क्या हम इन आवश्यक कर्तव्यों का पालन करते हैं। केवल ज्ञान उत्पत्ति, केवल ज्ञान और समोशरण का आयोजन हुआ। इस दौरान समोशरण तपस्या काल में मुनि राज तीर्थंकर विविघ तप तपते हुए अपनी आत्म विशुद्धता को बढ़ाते जाते हैं। भगवान को केवल ज्ञान होते ही तीनों लोको के हलचल मच जाती है। कलप्रवासी देवों के यहा घंटा बजने लगते हैं। ज्योतिषी देवों के यहा सिंहनाद, व्यंतर देवो के यहा नगाडों की ध्वनि, भवन प्रवासी देवों के भवनों में शखनाद होने लगता है। वही इंद्र अनेक देवों के साथ भगवान के केवल ज्ञान की पूजा करने के लिए निकल पड़ते हैं। समोशरण की रचना में चारों दिशा में भगवान को विराजमान कर मुनि राज द्वारा प्रवचन कराए जाते हैं। इसके बाद मुनि संघ ने विशाल धर्म सभा का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर संतोष जैन, प्रशान्त जैन, दिव्या जैन, ज्योति जैन, नीलम जैन, दीपिका जैन, स्तुति जैन, आराध्या जैन, आरुष जैन, अरविंद जैन, अनिल जैन, हरिओम शर्मा मौजूद रहे।
संवाददाता अमन सक्सेना
source https://krantibhaskar.com/%e0%a4%a7%e0%a5%82%e0%a4%ae%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%ae%e0%a5%80%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%95/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें