रविवार, 18 अगस्त 2019

अमीर-गरीब में भेद होने तक समाज में नहीं होगी शांति: संत ललितप्रभ

अमीर-गरीब में भेद होने तक समाज में नहीं होगी शांति: संत ललितप्रभ

जोधपुर। संत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि अगर अमीर लोग अपने समाज के गऱीब व जरूरतमंद लोगों को पांव पर खड़ा करने का संकल्प ले लें तो स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है। जहां एक अमीर हो और दूसरा गरीब हो उस समाज में कभी सुख और शांति नहीं बनी रह सकती। अगर हम चाहते हैं कि हमारा समाज अपराध मुक्त हो तो हर अमीर एक गरीब परिवार को गोद ले और उसकी शिक्षा-दीक्षा की पूरी व्यवस्था संभाले तो आने वाले मात्र 10 सालों में श्रेष्ठ समाज का निर्माण हो जाएगा। संतप्रवर रविवार को गांधी मैदान में आयोजित सत्संगमाला में धर्म सप्ताह के समापन पर कैसे लाएं परिवार और समाज में एकता विषय पर संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने समाज के आगेवान और अमीर लोगों से कहा कि शादियों में दिखावे के खर्चे न करें, आडंबर और प्रतिस्पर्धा के नाम पर रुपयों का अपव्यय करना समाज को बर्बादी की ओर ले जाना है। आप खर्चा खूब करें, पर दिखावे के लिए नहीं, वैभव प्रदर्शन के लिए नहीं वरन समाज-निर्माण के लिए करें। अगर आप समाज के 20 गरीब लोगों को मकान बनाकर देंगे तो समाज सदा आप पर गौरव करता रहेगा। अगर आप अपनी बेटी की शादी में एक करोड़ का खर्चा करने की बजाए 80 लाख का खर्चा करेंगे और बचाए हुए 20 लाख रुपयों से 20 गरीब परिवार की बेटियों की शादी की व्यवस्था कर लेंगे तो वे बेटियां अपने पीहर बाद में जाएगी पहले आपको पांव छूने आपके घर आएगी।

समाज के जीमण और ब्याहशादियों में बनने वाले अनाप-शनाप आइटमों को अनुचित बताते हुए संतप्रवर ने कहा कि जीमण में 11 आइटम से ज्यादा बनाने पर प्रतिबंध होना चाहिए और एक से ज्यादा मिठाई नहीं बननी चाहिए। नौकरों के हाथों से मेहमानों को 10 तरह की मिठाइयां खिलाने की बजाय अपने हाथों से सब्जी रोटी खिलाना ज्यादा सौभाग्यकारी है। एक तरफ हजारों लोगों को दो समय की रोटी भी नसीब नहीं होती और दूसरी तरफ सौ पचास तरह के व्यंजन बनाना, 10 तरह की मिठाइयां बनाना कहां तक उचित है। समाज में एक ओर खरबपति लोग तो दूसरी ओर स्कूल की फीस चुकाने के लिए भी पैसे की व्यवस्था न हो पाने जैसी स्थितियां सभ्य समाज के लिए अभिशाप है।

एकता के सूत्र देते हुए संतप्रवर ने कहा कि परिवार और समाज में संगठन हो, एक दूसरे का सहयोग हो, आपस में समानता हो और आपसी समन्वय हो। उन्होंने कहा कि समाज में संगठन होना चाहिए। सब मिलजुल कर काम करें और सुख दुख में एक दूसरे के साथ खड़े रहें। समाज को नारंगी बनाने की बजाय खरबूजा बनाएं। नारंगी बाहर से एक होती है, पर अंदर से अलग अलग जबकि खरबूजा बाहर से भले ही अलग होता है, पर छिलका उतरते ही एक हो जाता है। उन्होंने कहा कि जो परिवार व समाज अंगूर के गुच्छे की तरह एक साथ रहता है उसकी कीमत और ताकत 100 गुना बढ़ जाती है, पर गुच्छे से टूटे हुए अंगूरों की तरह बिखरे हुए समाज की कीमत कम और खत्म हो जाती है। पारिवारिक एकता के लिए हमें चाहिए कि हम घर में बड़े बनकर रहने के बजाय बड़प्पन दिखाएं, मैं की बजाए हम शब्द का उपयोग करें, सास ससुर के जीते जी भाइयों में बंटवारा न करें।

इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने कहा कि सुबह-सुबह चाय बिगड़ी तो दिन बिगड़ा, पत्नी बिगड़ी तो जिंदगी बिगड़ी, पर भावनाएं बिगड़ी तो भव-भव बिगड़ जाते हैं। हमें अपनी भावनाओं को हमेशा दिव्य बना कर रखना चाहिए। जो भी कार्य करें अच्छे भावों के साथ करें। दान या धर्म थोड़ा करें पर भाव पूर्वक करें तो वह भी हमारे लिए भवसागर से पार करने वाला बन जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रभु के पास धन-दौलत, ज़मीन-जायदाद मांगने की बजाय अपनी भावनाओं को दिव्य बनाने की प्रार्थना करनी चाहिए कि जब तक में जियें तब तक मति सन्मति रहे और जब तेरे पास आए तो गति सद्गति हो जाए। चातुर्मास समिति के हनुमान प्रसाद चौहान ने बताया कि सोमवार को संत चंद्रप्रभ गांधी मैदान में सुबह 8.45 बजे नवकार मंत्र से कैसे पाएं शांति व समृद्धि विषय पर विशेष संबोधन देंगे।

 

 



source https://krantibhaskar.com/difference-between-rich-and-poor/

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