जोधपुर। जयपुर के नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कई सफल कार्डियक सर्जरी की गई है। जोधपुर से कई मरीजों ने वहां जाकर सफल इलाज करवाया है।
नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकित माथुर ने बताया कि 2 महिने से बड़े बच्चों में हृदय विकार को सैनिंग नामक सर्जिकल प्रोसिजर से ठीक किया जाता है। इसमें एट्रिया (हृदय की रक्त संग्रह बिंदु) पर कई चीरे लगाये जाते हैं और इस प्रकार से फोल्ड किया जाता है कि दो सुरंग जैसी संरचना बन सके जो एक के ऊपर एक हो। इससे ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर में पहुंचाने में मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि दो साल की खुशी (बदला हुआ नाम) दिल की एक गंभीर विकृति से पीडि़त थी जिसमें हृदय की दो मुख्य रक्त धमनियां अपनी वास्तविक जगहों पर न होकर विपरीत स्थानों पर थी। वहीं 18 वर्षीय मनोज (बदला हुआ नाम) एक दुर्लभ हदय विकार से था जिसमें की असामान्य रूप से स्थित थी और ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही पीडि़त दिल के दाहिने तरफ वॉल्व, थी जिसके कारण गलत दिशा में रक्त बह रहा था। सिर्फ यह दो केस ही नहीं बल्कि एेसे कई दर्जनों गंभीर केस हर महीने जोधपुर से जयपुर के नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में रैफर किए जाते हैं, जो एेसी हाई रिस्क सर्जरी का सफल सेंटर है। एेसी जटिल सर्जरी, तकनीकी रूप से काफी जटिल होती हैं जिन्हें सफल बनाने के लिए एक बेहतर सर्जिकल योजना, अनुभव और एक प्रशिक्षित सर्जिकल टीम की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि इस तरह के ममलों को सफलतापूर्वक पूरा करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि इसमें दिल के विशेष भागों का पुननिर्माण करना होता है। एेसी सर्जरी के प्रबंधन में प्रशिक्षित सर्जन, एनेस्थेटिस्ट और देखभाल के लिए एक सहायक टीम की जरूरत होती है क्योंकि मरीज की रिकवरी के लिए सर्जरी के बाद के 2-3 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की जोनल क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. माला एेरन ने बताया कि, एेसा देखा गया है की जिन मरीजों में हाई रिस्क फैक्टर्स हैं या उन्हें जटिल सर्जरी की आवश्यकता है, उन का सफल इलाज नारायणा जैसे स्पेशलाइज्ड सेन्टर्स में अच्छी तरह हो सकता है।
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