जोधपुर। रोडवेज कर्मियों व ट्रांसपोर्टरों की चक्काजाम हड़ताल खत्म हो गई है। शुक्रवार रात को सरकार से हुई वार्ता के बाद उनकी कई मांगों पर सहमति बन गई थी। हड़ताल खत्म होने के बाद रोडवेज बसों व ट्रकों का संचालन सुचारू हो गया है। शनिवार को सुबह इस जीत की खुशी में रोडवेज कर्मचारियों ने राइका बस स्टैंड पर विजय जुलूस निकाला और मिठाई बांटकर खुशियां जताई। उन्होंने ढोल- थाली पर नृत्य भी किया।
- बसों व ट्रकों का संचालन हुआ सुचारू, यात्रियों व आमजन ने ली राहत की सांस
रोडवेज कर्मचारियों की चक्काजाम हड़ताल तीसरे दिन शुक्रवार को देर शाम समाप्त हो गई थी। प्रदेश में रोडवेज कर्मचारियों की सभी यूनियनों ने एक राय होकर वेतन भत्ते, बोनस और पेंशन तथा परिलाभों को लेकर सरकार के साथ हुई निरंतर वार्ताओं में सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आने पर 25-26 जुलाई को दो दिन का चक्काजाम किया था तथा 26 जुलाई को सकारात्मक वार्ता नहीं होने पर उन्होने अनिश्चितकालीन चक्काजाम की घोषणा कर दी थी। बाद में सरकार के जिम्मेदार लोगों के साथ हुई तीन दौर की वार्ता के बाद वेतन भत्ते और नई बसों के लिए 1150 करोड़ रुपए की घोषणा पर रोडवेज बसों का संचालन शुरू हुआ था। संयुक्त मोर्चा के लक्ष्मणसिंह राजपुरोहित ने बताया कि राज्य सरकार से हुई वार्ता में रोडवेज कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने के लिए कमेटी का गठन किया है। प्रदेश के सेवानिवृत्त रोडवेज कर्मचारियों के पेंशन और विभिन्न मदों के बकाया 600 करोड़ रुपए में से 100 करोड़ देने पर सहमति बन गई। इसके अलावा विभिन्न ट्रेड में रोडवेज के 8 हजार कर्मचारियों की भर्ती राज्य सरकार करेगी। वहीं केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट व हाइवे मिनिस्टर नितिन गडकरी के साथ दिल्ली में हुई वार्ता के बाद ट्रांसपोर्टर्स ने भी शुक्रवार रात को हड़ताल वापस ले ली थी। केंद्र व राज्य सरकार ने दोनों मामलों में कमेटी गठित की है। इस जीत की खुशी में शनिवार सुबह रोडवेज कर्मियों ने विजय जुलूस निकाला और यूनियन के पक्ष में नारेबाजी की।
चक्काजाम से हुआ करोड़ों का नुकसान
इस हड़ताल से रोडवेज के जोधपुर डिपो को करीब साठ लाख रुपए का घाटा उठाना पड़ा। इस दौरान करीब 60 हजार यात्री रोडवेज बसों से सफर नहीं कर सके और 378 बसों का संचालन नहीं हो सका। वहीं जोधपुर के ट्रांसपोर्टर्स को इस हड़ताल से करीब 700 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। हड़ताल के दौरान सूर्यनगरी गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑनर वेलफेयर सोसायटी से जुड़ी ट्रांसपोर्ट कम्पनियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे थे।
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