जोधपुर। देवों के शयन करने के साथ ही सोमवार से चातुर्मास प्रारंभ हो गए। इस दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में शोभायात्रा के साथ कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। चातुर्मास के कार्यकाल में जगह-जगह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन रहेगा। इसके बाद 19 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी यानी तुलसी एकादशी पर चातुर्मास का समापन होगा। चातुर्मास के दौरान चार माह तक शहर के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर सनातन धर्म एवं जैन धर्म के संतों एवं साध्वियों के प्रवचन-कथाएं और धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
सूरत रामद्वारा के ब्रह्मलीन महंत हेमाराम महाराज के निर्वाण के 50 वर्ष पूर्ण होने पर रामस्नेही संप्रदायाचार्य पीठ रामधाम खेड़ापा के पीठाधीश्वर पुरूषोत्तमदास महाराज एवं उत्तराधिकारी गोविंदराम शास्त्री का संत मंडली सहित राम मौहल्ला रामद्वारा में चातुर्मास सत्संग आयोजन सोमवार से शुरू हो गया जो 20 सितंबर तक चलेगा। चातुर्मास के दौरान विभिन्न धार्मिक कथाओं का आयोजन किया जाएगा। साथ ही संतवाणी, संतों द्वारा भजन संकीर्तन के कई धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे। चातुर्मास सत्संग आयोजन समिति के अध्यक्ष कमलकिशोर चांडक व संत गोविंदराम शास्त्री ने बताया कि चातुर्मास आयोजन की शुरुआत शोभायात्रा से हुई जो लाल मैदान बालाजी मंदिर से रावाना होकर पावटा सी रोड होते हुए चातुर्मास स्थल राम मौहल्ला रामद्वारा नागौरी गेट पहुंची। शोभायात्रा में धार्मिक एवं भारतीय रीति रिवाज के अनुसार श्रद्धालु महिलाएं सिर पर कलश लिए चल रही थी। चातुर्मास के दौरान रामसुखदास महाराज द्वारा की जाने वाली प्रार्थना का प्रात: पांच बजे प्रतिदिन आयोजन होगा। प्रार्थना के बाद प्रतिदिन सुबह आठ से नौ बजे संत गोविंद गोपाल द्वारा वाणी पाठ का आयोजन होगा। वाणी पाठ के बाद प्रतिदिन नौ से साढ़े नौ बजे तक वैद्य राम रतन महाराज द्वारा प्रात: कालीन प्रवचन किए जाएंगे। चातुर्मास के दौरान मुख्य कथाओं का वाचन कथा व्यास गोविंदराम शास्त्री की मधुर वाणी में किया जाएगा। चार अगस्त तक गुरुवाणी कथा पर्चीजी का आयोजन किया जाएगा। पांच अगस्त से 11 अगस्त तक शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। बारह अगस्त से 20 अगस्त तक नित्य संगीतमय नवाह्न पारायण पाठ, 21 से 26 अगस्त तक भक्तमाल कथा, 27 अगस्त से 10 सितंबर तक प्रतिदिन भागगवत पाक्षिक कथा, 11 सितंबर से 19 सितंबर तक संगीतमय रामकथा का आयोजन किया जाएगा। साथ ही 20 सितंबर को चातुर्मास पूर्णाहुति का आयोजन किया जाएगा। कथा प्रतिदिन दोपहर बारह से तीन बजे तक आयोजित होगी। इसके अलावा आचार्य चरण पुरुषोत्तमदास महाराज के श्रीमुख से दोपहर तीन से साढ़े तीन बजे तक प्रवचन का आयोजन भी किया जाएगा। आयोजन समिति के प्रहलाद बजाज ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सांयकालीन सत्संग व प्रवचन की सरिता बहेगी जिसने बूंदी रामद्वारा के संत आत्माराम महाराज, बासनी सेजा रामद्वारा के संत सीताराम महाराज, एकता नगर रामद्वारा के संत गोविंद राम महाराज, उत्तराधिकारी राममोहल्ला सूरत रामद्वारा के संत हनुमानदास महाराज, दयालु भवन बीसनगर के संत जगरामदास महाराज सत्संग प्रवचन करेंगे। इसके साथ ही प्रत्येक रविवार को प्रात: 6 से 7.30 बजे तक संत ध्यानदास महाराज द्वारा योग शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमें योग द्वारा शरीर को कैसे स्वस्थ रखा जाए यह शिक्षा दी जाएगी। साथ ही चातुर्मास के दौरान प्रत्येक रविवार को दोपहर 3.30 से शाम पांच बजे तक बालकों को संस्कार युक्त शिक्षा दी जाएगी। संत केशवदास महाराज द्वारा संस्कार शिविर का आयोजन किया जाएगा।
जैन समाज के चातुर्मास 26 से
जैन संतों का चातुर्मास 26 जुलाई यानी चौदस से प्रारंभ होगा। इसको लेकर जैन धार्मिक स्थलों एवं उपासरों में तैयारियां शुरू हो गई है। जैन धार्मिक स्थलों पर संतों एवं साध्वियों के चातुर्मास के दौरान चार माह तक धार्मिक कार्यक्रम चलेंगे। इस दौरान जैन समुदाय के अलग-अलग संप्रदायों के गुरुजनों की जयंती मनाई जाएगी। नवकार जाप, पर्युषण व संवत्सरी पर्व, कल्पसूत्र वाचन, भगवान महावीर जन्म वाचन, महावीर निर्वाण कल्याण दिवस एवं गौतम स्वामी कैवल्य ज्ञान सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रम मनाए जाएंगे। परंपरा अनुसार इस समय दान-पुण्य के कार्यक्रमों का सिलसिला भी चलेगा।
मांगलिक कार्यों पर रोक
मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी पर देव शयन कर जाते है। इस दौरान मांगलिक कार्य व विवाह आदि पर विराम लग जाएगा। इस समयावधि में धार्मिक कार्यों की बहुतायत रहेगी। चातुर्मास पूर्ण होने के बाद 19 नवंबर से देव प्रबोधिनी एकादशी से विवाह एवं शुभ मांगलिक कार्य आरंभ होंगे, लेकिन इस बार गुरु और शुक्र का तारा अस्त होने के कारण नवंबर व दिसंबर में विवाह मुहूर्त कम संख्या में होंगे। इस बार 12 नवंबर से गुरु का तारा अस्त हो जाएगा, जिसका उदय 7 दिसंबर को होगा। अत: देवउठनी एकादशी के बावजूद विवाह व मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। हालांकि पंचांगों की भिन्नता के चलते अलग-अलग मुहूर्त हो सकते है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी, प्रबोधिनी या पद्मनाभा एकादशी भी कहते है। इसके बाद ही धनु का मलमास 16 दिसंबर से शुरू होगा, जो 14 जनवरी 2019 तक जारी रहेगा।
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