शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

कबाड़खाने में पड़े लोगों की व्यवस्था करने के लिए हो रहा राज्यपाल के पद का इस्तेमाल: शिवसेना

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार में सत्तासीन शिवसेना ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राज्यपालों की नियुक्ति‍ पर सवाल खड़े करते हुए पार्टी ने अपने मुखपत्र "सामना" में लिखा है कि राज्यपाल का पद राजनीतिक विचारों के कबाड़खाने में पड़े लोगों की व्यवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है.


"राजभवन का ब्रांड बदला" शीर्षक के साथ शुक्रवार को छपेसंपादकीय में पार्टी ने लिखा है, "राज्यपाल नियुक्ति के बारे मे जो कुछ कांग्रेसी शासन मे घट रहा था, वही सब मोदी शासन मे भी घटित हो रहा है. सिर्फ "ब्रांड" बदल गया है. राज्यपाल का मतलब जनता के पैसे पर पाने वाला सफेद हाथी है."


राज्यपाल का पद चाहिए ही क्यों?
श‍िवसेना ने मुखपत्र के जरिए सवाल उठाते हुए लिखा है, "सवाल यह है कि राज्यपाल का पद चाहिए ही क्यों? यह सवाल वैसे ही पुराना है, फिर भी अपने-अपने राजनीति‍क विचारों के कबाड़खाने मे पड़े लोगो की व्यवस्था करने के लिए ही राज्यपाल पद का उपयोग किया जाता है."


यह पद बंगला-गाड़ी की व्यवस्था जैसी
संपादकीय में राज्यपालों की नई सूची के बाबत लिखा गया है, "देशभर के मौजूदा राज्यपालों की सूची पर नजर घुमाएं तो यह बात आसानी से ध्यान में आ जाती है. अब तक इन पदों पर नियुक्त किए गए सारे लोग "बीजेपी" के कार्यकर्ता और नेता हैं. राज्यपाल, नायब राज्यपाल पद के कारण सत्ताधारी पार्टी के करीब 40 लोगों के लिए गाड़ी-घोड़ा, बंगला और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था हो जाती है."


मित्र दलों में भी हैं अनुभवी लोग
लेख में बीजेपी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा गया है कि इन पदों पर राजनीति‍क कार्यकर्ताओं की नियुक्ती करनी होगी तो राष्ट्रीय जनतांत्रि‍क गठबंधन के तेलगु देशम, अकाली दल, शिवसेना में भी पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री आदि लोग कर्तव्य निभाने के लिए तैयार हैं. एकाध राजभवन राष्ट्रीय जनतांत्रि‍क गठबंधन के हिस्से में आने पर किसी को आपत्ति‍ नहीं होनी चाहिए. अनुभवी और कर्तव्यनिष्ठ लोग मित्र दलों में भी भरपूर है. लेकिन सरकार 280 वाले चला रहे हैं, तब तक मित्रों की बातों को कोई सुनेगा ऐसा लगता नहीं है.


संपादकीय में शि‍वसेना ने नए राज्यपालों को शुभकामनाएं भी दी हैं.

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