विशेष।
बलात्कार शब्द ही इतना डरावना है जब भी इसको सुना, पढ़ा जाता है तो दिमाक में एक तस्वीर उभर जाती हैं की एक महिला पर पुरुष का यौन हमला, एक महिला की जिंदगी का खात्मा।
पूरे विश्व मे ये बलात्कार एक समस्या बनी हुई है। लेकिन भारत मे ये समस्या विकराल रूप धारण किये हुए है। वर्ष 2011 में देशभर में बलात्कार के कुल 7,112 मामले सामने आए, जबकि 2010 में 5,484 मामले ही दर्ज हुए थे। आंकड़ों के हिसाब से एक वर्ष में बलात्कार के मामलों में 29.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 बलात्कार के मामले थानों में पंजीकृत होते हैं। 2018 में बलात्कार के 18 हजार से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए। इससे भी कई गुना मामले ऐसे भी रहे जिनको लड़की ने या परिवार ने इज्जत और डर के कारण पुलिस में दर्ज ही नही करवाया या पुलिस ने दर्ज ही नही किये।
अभी 2 दिन पहले हैदराबाद में डॉ प्रियंका रेड्डी के साथ और झारखंड में लॉ स्टूडेंट की छात्रा के साथ बलात्कार की जघन्य व अमानवीय घटना घटित हुई। हैदराबाद में डॉ प्रियंका जो वेटर्निरी डॉ थी ड्यूटी से अपने घर आ रही थी रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो जाती है। उसकी मद्दत के लिए 4 लोग आते है। वो ही चारो इंसान जो मद्दतगार बन कर आये थे। जिन पर एक लड़की ने मुसीबत के समय विश्वास किया कि ये उसकी मद्दत करेगें। कितना खुश हुई होगी। दिल को सकूं मिला होगा मद्दत के लिए आये हाथों को देखकर। लेकिन अगले ही पल मद्दत के लिए आये इंसानो ने अपने उन्ही हाथों को जिन पर एक लड़की ने कुछ समय पहले विश्वास किया था, वहसी जानवर बन कर डॉ प्रियंका रेड्डी पर हमला करते है। उसको उठा ले जाते है उसके बाद वो चारो बलात्कार करते है फिर डॉ प्रियंका को जला कर मार देते है।
ऐसे ही झारखंड में लॉ की स्टूडेंट अपने पुरुष मित्र के साथ बात कर रही होती है। 12 वहसी जानवर आते है और बन्दूक के नोक पर उनको अगुआ करके एक ईंट-भट्ठे पर ले जाकर लड़की से बलात्कार करते है।
ये 2 बलात्कार की घटनाएं कोई पहली और आखिरी घटना नही है। रोजाना ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती है। आंकड़ो पर नजर डाली जाए जो आंकड़े एक आम इंसान को हिला कर रख सकते है।
जब भी कोई ऐसी घटना घटित होती है तो देश के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो जाती है। शोशल मीडिया जो वर्तमान में आम जनता को अभिव्यक्ति का प्लेटफार्म प्रदान करता है, खुशी हो या गम वो यहां अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करता है। प्रत्येक व्यक्ति जो शोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है ऐसी अमानवीय घटना पर अपना पक्ष रखता है, अपना गुस्सा जाहिर करता है। वो रेपिस्ट के लिए कड़ी सजा की मांग करता है।
लेकिन ये गुस्सा, कड़ी सजा की मांग, फाँसी की मांग, क्या सभी बलात्कार की घटनाओं में होती है। सायद ऐसा नही है।
वर्तमान की इन दोनों घटनाओं को देखे या इससे पहले की कुछ घटनाओं को देखे तो बलात्कार में कड़ी सजा, फांसी की मांग, लिंग काटना बहुमत उन घटनाओं में की जाती है जिनमे बलात्कार के बाद लड़की को मार दिया जाता है।
समाज का बहुमत तबका बलात्कार ही उसको मानता है जिसमे रेप के बाद लड़की को मार दिया जाता है।
अगर लड़की रेप के बाद जिंदा रह गयी तो उसके साथ बलात्कार हुआ ही नही उसके पक्ष में लड़ने की बजाए उसी से 100 सवाल पूछ लिए जाते है। रेप पीड़ित के खिलाफ और रेपिस्ट के पक्ष में अनेको झूठी कहानियां बना दी जाती है। बलात्कार पीड़ित का वीडियो सनी लियोन के पोर्न वीडियो से ज्यादा चाव से देखा जाता है।
हमारे समाज मे बलात्कार के बाद महिला और उसका परिवार जिनको समाज की सहानभूति और मद्दत की जरूरत होती है इसके विपरीत पूरी उम्र जहालत की जिंदगी जीने पर मजबूर हो जाता है। बलात्कार के बाद लड़की को या तो बलात्कारी मार देते है अगर जिंदा बच गयी तो उसको हमारा समाज तिल–तिल कर मारता है।
जैसे ही खबर आई कि हैदराबाद में प्रियंका रेड्डी की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी उसके बाद से उसको पोर्न साइट पर 80 लाख लोगों ने सर्च किया है। उसमे से लाखो सर्च करने वाले ऐसे भी रहे होंगे जो रेपिस्टों को फांसी हो! फांसी हो! चिल्ला रहे है।
क्या सर्च कर रहे हैं ये 80 लाख यूजर्स
ऐसा वीडियो, जिसमे 4 वहसी जानवर एक महिला को कैसे नोच रहे है? या कुछ ओर
सायद वो तलास कर रहे है एक ऐसा वीडियो जिसमे 4 लोगो ने एक महिला से कैसे sex किया। वो वीडियो ढूंढ रहे है ताकि विक्टिम के प्राइवेट पार्ट देखकर मजा लिया जा सके। ऐसे इंसान क्या भविष्य के बलात्कारी नही है?
हजारो Whatsaap ग्रुप्स में बलात्कार या जबरदस्ती करते हुए के वीडियो दिन-रात घूमते रहते है। जिनको लोग बड़े चाव से देखते है और आगे अपने दोस्तों में सर्कुलेट करते रहते है। पिछले दिनों जब भाजपा के एक नेता की भाजपा की ही महिला नेता के साथ सेक्स वीडियो लिकीज हुई तो अपने आपको प्रगतिशील कहने वाली पार्टी का एक बुद्विजीवी नेता शोशल मीडिया पर भाजपा का विरोध करने के नाम पर उन वीडियो के स्क्रीन शॉट लगा रहा था। उसने पोस्ट डाली की जिसको वीडियो चाहिए वो कॉमेंट में फोन नम्बर छोड़े।
पोस्ट के कमेंट बॉक्स में ऐसी जहालत का विरोध करने की बजाए हजारो लोगो ने फोन नम्बर उसकी पोस्ट के कॉमेंट में छोड़ दिये। अब मैसेंजर पर कितने हजार उन गुप्त इज्जतदारो ने फोन नम्बर वीडियो पाने के लिए छोड़ा होगा उसकी गिनती बेमानी है। इन सबको क्या कहोगे जो वीडियो पाने की ललक में लार टपका रहे है।
लेकिन इन महापुरूषो का दूसरा चेहरा बहुत ही शरीफ वाला होता है। शोशल मीडिया पर लड़कियों को चंगुल में फंसाने व उनको प्रभावित करने के लिए बलात्कारियों को फांसी हो, कड़ी सजा, महिला सुरक्षा, रेपिस्ट का लिंग भंग की मांग करते रहते है।
बलात्कार पीड़ित जब कही से गुजरती है तो लोग उसको इस नजर से देखते है जैसे सारा दोष उसी का है। उसके शरीर को कपड़ो के अंदर से, अपनी गन्दी आंखों से स्केन करके कल्पनाओं में उस मंजर को याद करते है कि कैसे उन लोगो के साथ इसने सेक्स किया होगा। अगर पीड़िता का वीडियो मार्किट में है तो लड़की जितने चाहे कपड़े पहन लें लड़की उनको नंगी ही दिखेगी। बहुमत लोग उस महिला के साथ कल्पनाओं में यौन सम्बन्ध तक बना लेते है।
हर गली, चौराहे, नुक्कड़ पर उसका हर पल बलात्कार होता रहता है। उसको इंसाफ मिले ये तो काल्पनिक सोच है।
आपको सायद याद हो इसी से दुखी होकर उन्नाव रेप पीड़ित ने सार्वजनिक बयान दिया था कि क्या इंसाफ के लिए मुझे मरना पड़ेगा।
साम्प्रदायिक विचारधारा
साम्प्रदायिक विचार धारा से ग्रसित लोग ऐसी प्रत्येक घटना को धार्मिक रंग चढ़ाने की कोशिश में रहते है ताकि साम्प्रदायिक धुर्वीकरण करके अल्पसंख्यको को निशाना बनाया जा सके। भारत में साम्प्रदायिक पार्टी भाजपा और उसके संघठन ऐसी प्रत्येक घटना को अपने गन्दे नजरिये से हिन्दू बनाम मुस्लिम बनाने में लगे रहते है इसके लिए उनके पेड वर्कर शोशल मीडिया पर हर पल झूठ फैलाते रहते है।
लेकिन इसके उलट अगर लड़का हिन्दू हो लड़की मुस्लिम हो जैसे जम्मू के कठवा में जब एक 7-8 साल की दलित मुस्लिम लड़की से जब मंदिर में बलात्कार होता है जिसमे मंदिर का पुजारी और उसका भतीजा शामिल होता है। जिसमे लोकल पुलिस के कुछ अधिकारी भी शामिल होते है। तो ये ही राष्ट्रवादी पार्टी पूरे देश मे बलात्कारी के समर्थन में तिरंगा लेकर धरने-प्रदर्शन करती है। क्योंकि पीड़ित लड़की मुस्लिम है और बलात्कारी हिन्दू है।
ऐसे ही जब उत्तर प्रदेश के उन्नाव में भाजपा का विधायक बलात्कार का आरोपी होता है और पीड़ित लड़की दलित समाज से होती है। ये ही साम्प्रदायिक पार्टी विधायक के समर्थन में धरने-प्रदर्शन करती है।
धार्मिक बाबाओं के अंधे अनुयायी
आसाराम, राम रहीम जैसे दर्जनों धार्मिक बाबा जो बलात्कार के आरोप में जेल में बंध है या उन पर केस चल रहे है। उनके लाखो अनुयायी, उनके समर्थन में आज भी धरने-प्रदर्शन करते रहते है। मजबूती से इन धार्मिक बाबाओ के समर्थन में और रेप विक्टिम के खिलाफ बोलते रहते है।
बलात्कारी फोर्स के जवानों का समर्थन करती सरकार
देश के अलग-अलग हिस्सों में जहाँ जनता असन्तोष की वजह से सत्ता के खिलाफ लड़ रही है। उन हिस्सों में फोर्स के द्वारा बलात्कार किये गए। उन फोर्स के जवानों को सजा देने की बजाए देश की सत्ता उनको बचाने के लिए कोर्ट में केस लड़ती है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी जिसके साथ अमानवीयता की हद पार कर दी गयी, जिसकी योनि में पत्थर भर दिए गए। ये सब अमानवीय कृत्य पुलिस अधिक्षक ने थाने के अंदर अंजाम दिए। सरकार ने पुलिस अधिक्षक को सजा देने की बजाए वीरता का मैडल दिलवाया।
मीडिया
मीडिया जो अपने आपको लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहता नही थकता वो ही इस लोकतंत्र को मारने पर तुला हुआ है। वो सत्ता के इशारे पर लोकतंत्र को बर्बर समाज की तरफ ले जाना चाहता है। वो लोगो को भीड़तंत्र बनाने के लिए प्रत्येक वो खबरे प्लांट कर रहा है जो देश की सत्ता चाहती है। मीडिया जिसका मुख्य काम समस्या क्यो पैदा हुई, उसका समाधान क्या हो। इस मुद्दे पर व्यापक काम करने की बजाए। इस केस को भी मीडिया हिन्दू-मुस्लिम बनाने में लगी हुई है।
बलात्कार पर अरब देशों की सजाओं का अनुशरण करने की मांग
जब भी बलात्कार पर चर्चा होती है तो बलात्कार की समस्या का समाधान कड़ी सजा के नाम पर फांसी, लिंग काटना या अरब या मुस्लिम देशों की सजाओ का अनुशरण करने के उदाहरण अक्सर दिए जाते है। जहाँ रेपिस्ट को कड़ी और सार्वजनिक जगहों पर सजा दी जाती है।
फांसी जो अपने आप मे ही अमानवीय है जिसको किसी सभ्य समाज में मंजूर नहीं किया जा सकता और न करना चाहिए। रेपिस्ट को आजीवन कारावास मतलब लास्ट सांस तक जेल के शिकंजों में रखा जाना चाहिए।
अरब और मुस्लिम देश में धार्मिक रूढ़िवादी कानूनों का चलन है। इन देशों में महिलाओं के कोई मानवाधिकार नही है। उनके कानून बर्बर समाज के कानून है। हमारे मुल्क के आवाम ने उन मध्युगीन बर्बर समाज को बहुत पीछे छोड़ कर लोकतांत्रिक समाज में कदम रखा हुआ है। वहाँ की महिलाएं लोकतंत्र की तरफ बढ़ना चाहती है। इसलिए अरब के कानूनों को लागू करने की मांग बर्बर मांग है जिसको कभी न्यायोचित नही ठहराया जा सकता है। हमको हमारी समस्याओं के समाधान के लिए हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही पीछे देखने की बजाए आगे की तरफ देखकर हल ढूंढना पड़ेगा। कितने ही प्रगतिशील मुल्क, सभ्यताएं है जहाँ ये समस्या बहुत कम है। हमको उन मुल्कों की सभ्यताओं से सीखना चाहिए।
देश का बहुमत तबका बलात्कार में अपना पक्ष तय करने के लिए रेप विक्टिम की जाति, धर्म, इलाका देखता है। अगर लड़की दलित, आदिवासी, मुस्लिम है तो बहुमत तबका पीड़ित के साथ खड़ा होने की बजाए रेपिस्ट के साथ खड़ा होता है। अगर रेपिस्ट गलती से मुस्लिम है तो साम्प्रदायिक पार्टियां और उनके संघठन बलात्कारी को आरोपित करने की बजाए पूरे मुस्लिम धर्म को ही रेपिस्ट साबित कर देते है।
बलात्कार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सबसे पहले हमको बलात्कारी मानसिकता के खिलाफ जागरूकता अभियान सॉर्ट टर्म भी और इसके साथ-साथ लांग टर्म अभियान चलाना पड़ेगा। बलात्कारी मानसिकता जिसकी जड़ पुरुषवादी समाज है इस पर हमला करना बेहद जरूरी है। जिस समाज मे महिला को पैदा होने से मरने तक इंसान नही समझा जाता, महिला को दोयम दर्जे का समझना, कमजोर समझना, इंसान मानने की बजाए वस्तु मानना, ऐसे समाज मे पला-बढ़ा आदमी महिला को सम्मान देने की बजाए उस पर हमला ही करेगा। इसलिए सबसे जरूरी है सामाजिक ढांचे में बदलाव करके समानता पर आधारित समाज बनाना।
Sex education की शिक्षा को लागू किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि बलात्कार के आरोप में जेल में बंद बलात्कारी को साइकेट्रिस्ट की टीम काउंसलिंग करे। ताकि ये पता लगाया जा सके उसकी बलात्कारी मानसिकता के पीछे क्या कारण है ताकि भविष्य में ऐसी मानसिकता के खिलाफ काम किया जा सके। हमको जाति, धर्म, इलाका, देश को नजरअंदाज करके निष्पक्ष होकर बलात्कारी के खिलाफ और पीड़ित के पक्ष में ईमानदारी से खड़ा होना चाहिए।
प्रेषक:
Udey Che
source https://krantibhaskar.com/rape-and-society-view/
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