रविवार, 22 सितंबर 2019

नदी सदा शीतल रहती है हमें भी अपना व्यवहार शीतल रखना चाहिएः

नदी सदा शीतल रहती है हमें भी अपना व्यवहार शीतल रखना चाहिएः

संजीव रूप
बदायूं/भगवतगढ़। स्थानीय आर्य समाज मंदिर में चल रही सात दिवसीय वेद कथा का आज विधिवत समापन हो गया। इस अवसर पर सरस वेद कथाकार बदायूं उत्तर प्रदेश से पधारे आचार्य संजीव रूप ने श्रद्धालुओं को अपनी बुराइयां छोड़ने और अच्छाइयां धारण करने का संदेश दिया । उन्होंने कहा परमात्मा की भक्ति का सीधा अर्थ होता है हम अपना आचरण पवित्र बनाएं। हम कोई ऐसा काम ना करें जिससे दूसरों को दुख हो ,हानी हो !उन्होंने कहा कि जिस तरह नदी सदा शीतल रहती है हमें भी अपना व्यवहार शीतल रखना चाहिए, जिस तरह नदी गतिशील रहती है हमें भी उसी तरह गतिशील व पुरुषार्थी रहना चाहिए ,जिस तरह नदी मान अपमान से दूर रहकर निरंतर लक्ष्य की ओर बढ़ती है हमें भी सहनशील होना चाहिए और सदा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए, जिस तरह नदी प्यासे को पानी पिलाती है व हरियाली फैलाती है उसी तरह हमें भी जरूरतमंदों की जरूरत पूरी करनी चाहिए और जहां रहे वहां अपने व्यवहार व आचरण से सबको प्रसन्न रखना चाहिए। संगीतज्ञ मुकेश आर्य ने सुन्दर भजन सुनाए। इस अवसर पर बाबूलाल आर्य राधे श्याम राजोरे, रमेशचंद्र आर्य,ब्रह्मप्रकाश शर्मा,अनिल कुमार गुप्ता,श्याम,ज्ञानप्रकाश,ओमप्रकाश गुप्ता,राधेश्याम बागड़ा,बाबूलाल बेरूआ,बाबूलाल अग्रवाल,दामोदर मेहता,कैलाश केदावत,बद्री शर्मा, ओमप्रकाश आर्य श्रीमती चन्द्रकान्ता शर्मा आदि मौजूद रहे।

संवाददाता अमन सक्सेना



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