शनिवार, 21 सितंबर 2019

अच्छे संन्यासी ना होने से हो रहा धर्म का ह्रास राधेश्याम व्यास

अच्छे संन्यासी ना होने से हो रहा धर्म का ह्रास राधेश्याम व्यास

अच्छे संन्यासी ना होने से हो रहा धर्म का ह्रास राधेश्याम व्यास
फोटो-
बदायूं। शनिवार को रेलवे ओवरब्रिज के पास शिवपुराण कथावाचक राधेश्याम
व्यास ने पत्रकारो से प्रेसवार्ता के दौरान धर्म के ह्रास के बारे में
बोले कि कुछ खराब संन्यासी होने के कारण अच्छे लोगो से भी लोगो का
विश्वास उठा है।
बदायूं क्लब में इन दिनो शिवपुराण कथा का आयोजन चल रहा है जिसमें धामपुर
से पधारे कथावाचक राधेश्याम व्यास ने ओवरब्रिज के पास स्थित नरेश चंद्र
शंखधार के आवास पर जब पत्रकारो ने व्यास जी से सवाल किया कि आज तीन चीजो
में सबसे ज्यादा पैसा है जिसमें राजनीति,शिक्षा,और धर्म को ही लोग मानते
है। जिसमें धर्म को लेकर आज के समाज में काफी परिवर्तन दिखाई दे रहा है
जिसमें आजकल के धर्मगुरू पैसे को लेकर ज्यादा ही रूचि लेते है।
इन सवालो के जबाव में राधेश्याम व्यास जी ने कहा कि कभी भी कोई संत नही
कहता कि आप उसको पैसे दो लेकिन कोई जब पैर छूकर संत के चरणो में पांच सौ
का नोट रख देता है तो ऐसी स्थिति में संत क्या कर सकता है। स्वामी
चिन्मयानंद के सवाल पर बोले की समाज में हर प्रकार का संत है अच्छे संत
को पहचानने की आवश्यता है। हर युग में कुछ लोगो के साथ ऐसा होता आया है
चाहे वात सतयुग के रावण की हो जो सबसे ज्यादा विद्वान जिसे ईश्वर ने
साक्षात तीन बार दर्शन दिए हो ऐसे विद्वान रावण का भी आज समाज में रावण
को किस प्रकार से देखते है द्वापरयुग में श्रीकृष्ण को यातना देने में
कंस की जो भूमिका रही है वह भी आप सभी लोग भलिभांति जानते है। उसी प्रकार
से कलयुग में भी संत समाज के कुछ ऐसे संत जो धर्मपथ से विरत होने को होते
है तव ऐसी स्थिति में ऐसे संत कुछ न कुछ ऐसे काम कर देते है जो सम्पूर्ण
समाज के अच्छे संतो का भी मस्तक नीचा कर देते है।लेकिन धर्म के प्रति जो
आज गिरावट आ रही है वह ज्यादा समय तक नही रहेगी क्योकि जिसकी धर्म के
प्रति जो अगाध श्रद्वा है। वह अटूट है। लेकिन आज भी अच्छे संतो के होने
के कारण धर्म अपनी जगह है।आज जो गिरावट है वह ज्यादा समय तक नही रहेगी।



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